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बांबे हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को बुद्धिजीवी नरेंद्र दाभोलकर और सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पंसारे की हत्याओं के मामलों में ट्रायल शुरू किए जाने को लेकर की जा रही देरी पर चिंता जताई। हाईकोर्ट ने इसके लिए सीबीआई और सीआईडी को जमकर फटकार लगाते हुए कहा, दोनों मृतकों और उनके परिवारों और गिरफ्तार किए गए आरोपियों, किसी को भी न्याय देने में ‘विफलता’ नहीं होनी चाहिए।
अदालत ने कहा, इन लोगों के भी कुछ मूल अधिकार होते हैं। पीठ ने दोनों जांच एजेंसियों को 24 मार्च को यह बताने का आदेश दिया है कि दोनों मामलों में ट्रायल कब शुरू किया जाएगा। जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस आरआई चागला की खंडपीठ ने कहा, दाभोलकर की गोली मारकर हत्या किए जाने को सात साल और पंसारे की हत्या को पांच साल हो चुके हैं।
पीठ ने गौर किया कि जांच एजेंसियां अभी भी पंसारे मामले में भगोड़े हत्यारों और दाभोलकर हत्याकांड में शामिल हथियार की बरामदगी के मामले में जांच कर रही है। पीठ ने कहा कि इन लोगों के खिलाफ जल्द से जल्द मुकदमा शुरू होना चाहिए। पीठ ने यह निर्णय दाभोलकर और पंसारे के परिजनों की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया। दोनों के परिजनों ने अदालत से इन हत्याकांडों की जांच की न्यायिक निगरानी किए जाने की मांग की थी।
‘लोगों का सिस्टम से विश्वास खत्म नहीं होना चाहिए’
पीठ ने सीबीआई और सीआईडी को फटकारते हुए कहा, यहां क्रिमिनल जस्टिस डिलीवरी सिस्टम की अति विश्वसनीयता दांव पर है। लोगों का सिस्टम में से पूरा विश्वास खत्म नहीं होना चाहिए। पीठ ने कहा, अपराध 2013 और 2015 में अंजाम दिए गए थे।
सार
- दाभोलकर हत्याकांड के ट्रायल में देरी के लिए सीबीआई को फटकार
- पंसारे हत्याकांड में सीआईडी के भी ढीलेपन से नाराज हुआ हाईकोर्ट
विस्तार
बांबे हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को बुद्धिजीवी नरेंद्र दाभोलकर और सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पंसारे की हत्याओं के मामलों में ट्रायल शुरू किए जाने को लेकर की जा रही देरी पर चिंता जताई। हाईकोर्ट ने इसके लिए सीबीआई और सीआईडी को जमकर फटकार लगाते हुए कहा, दोनों मृतकों और उनके परिवारों और गिरफ्तार किए गए आरोपियों, किसी को भी न्याय देने में ‘विफलता’ नहीं होनी चाहिए।
अदालत ने कहा, इन लोगों के भी कुछ मूल अधिकार होते हैं। पीठ ने दोनों जांच एजेंसियों को 24 मार्च को यह बताने का आदेश दिया है कि दोनों मामलों में ट्रायल कब शुरू किया जाएगा। जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस आरआई चागला की खंडपीठ ने कहा, दाभोलकर की गोली मारकर हत्या किए जाने को सात साल और पंसारे की हत्या को पांच साल हो चुके हैं।
पीठ ने गौर किया कि जांच एजेंसियां अभी भी पंसारे मामले में भगोड़े हत्यारों और दाभोलकर हत्याकांड में शामिल हथियार की बरामदगी के मामले में जांच कर रही है। पीठ ने कहा कि इन लोगों के खिलाफ जल्द से जल्द मुकदमा शुरू होना चाहिए। पीठ ने यह निर्णय दाभोलकर और पंसारे के परिजनों की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया। दोनों के परिजनों ने अदालत से इन हत्याकांडों की जांच की न्यायिक निगरानी किए जाने की मांग की थी।
‘लोगों का सिस्टम से विश्वास खत्म नहीं होना चाहिए’
पीठ ने सीबीआई और सीआईडी को फटकारते हुए कहा, यहां क्रिमिनल जस्टिस डिलीवरी सिस्टम की अति विश्वसनीयता दांव पर है। लोगों का सिस्टम में से पूरा विश्वास खत्म नहीं होना चाहिए। पीठ ने कहा, अपराध 2013 और 2015 में अंजाम दिए गए थे।