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Children will be born in factory instead of mother Uterus
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अनोखा दावा: मां की कोख के बजाय फैक्टरी में पैदा होंगे बच्चे, इस सुविधा से बच्चों में मनचाही आदतें डलवा सकेंगे
एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 16 Dec 2022 06:38 AM IST
सार
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एक्टोलाइफ के वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि माता-पिता चाहें तो बच्चे के जीन में बदलाव भी करा सकते हैं। बच्चे की ‘कोई भी खासियत’ जैसे बालों का रंग, आंखों का रंग, ऊंचाई, बुद्धि और त्वचा के रंग को आनुवंशिक रूप से 300 से अधिक जीनों के माध्यम से बदला जा सकता है।
भविष्य में मां की कोख के बजाय इन्सानों के बच्चे फैक्टरी में पैदा होंगे। विज्ञान के क्षेत्र में यह नई खोज काफी चौंकाने वाली है। एक्टोलाइफ नामक कंपनी उन सभी महिला-पुरुषों की मदद का दावा कर रही है, जिनके किसी भी कारण से बच्चे पैदा नहीं हो पा रहे हैं। दुनिया की पहली कृत्रिम गर्भ सुविधा से फैक्टरी में हर साल 30 हजार बच्चे जन्म लेंगे।
एक्टोलाइफ के वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि माता-पिता चाहें तो बच्चे के जीन में बदलाव भी करा सकते हैं। बच्चे की ‘कोई भी खासियत’ जैसे बालों का रंग, आंखों का रंग, ऊंचाई, बुद्धि और त्वचा के रंग को आनुवंशिक रूप से 300 से अधिक जीनों के माध्यम से बदला जा सकता है। एक्टोलाइफ वैज्ञानिकों और इस पूरी प्रक्रिया की शुरुआत करने वाले हासिम अल गायली ने फेसबुक पर एक वीडियो जारी किया है, जिसमें दुनिया का पहला कृत्रिम भ्रूण केंद्र दिखाया गया है। इसमें बच्चे को विकसित होते हुए देखा जा सकता है। एजेंसी
ग्रोथ पॉड्स में गर्भ की तरह पलेंगे बच्चे
एक्टोलाइफ के पास कई उच्च क्वालिटी के उपकरण वाली 75 प्रयोगशालाएं मौजूद हैं। हर प्रयोगशाला में 400 ग्रोथ पॉड्स हैं, जहां गर्भ की तरह बच्चे पल सकते हैं। एक ग्रोथ पॉड्स में एक बच्चा पलता है। हर ग्रोथ पॉड को बिल्कुल उसी तरह से तैयार किया गया है, जैसा कि मां का पेट यानी गर्भाशय होता है।
एक्टोलाइफ के पास एक साल में सुरक्षित तरीके से 30 हजार तक बच्चों को जन्म देने की सुविधा है।
आर्टिफिशियल कोख में बच्चे पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे
वैज्ञानिकों के मुताबिक, कृत्रिम कोख में बच्चे मां के गर्भ की तरह ही सुरक्षित रहेंगे। इस दौरान उनके खान-पान और उनसे जुड़ी बीमारियों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। ग्रोथ पॉड में सेंसर भी होगा जो बच्चे के महत्वपूर्ण संकेतों जैसे दिल की धड़कन, रक्तचाप, सांस लेने की दर और ऑक्सीजन की निगरानी करेगा। हर पॉड (जिसमें भ्रूण पल रहा होगा) को एक स्क्रीन से जोड़ा गया है, जहां कोई भी मां-बाप अपने बच्चे के विकास की प्रक्रिया को सीधे तौर पर देख सकते हैं।
यह है उद्देश्य
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह सुविधा फिलहाल वास्तव में मौजूद नहीं है लेकिन वीडियो में यह दावा किया गया है कि इसका उद्देश्य जनसंख्या में गिरावट से पीड़ित देशों की मदद करना है। 08:39 मिनट के एनीमेशन वीडियो में दावा किया गया है कि यह सुविधा पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा से संचालित होगी। इसमें कहा गया है कि एक्टोलाइफ सुविधा के लिए प्रयोगशाला में बड़ी संख्या में पॉड्स या कृत्रिम गर्भ होंगे, जिसके अंदर बच्चों को पाला जाएगा। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक गर्भावस्था में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते दुनिया भर में हर साल 3 लाख महिलाओं की मौत होती है।
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