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can take up to 9 months to vaccinate all children schools can not be kept shut till then by AIIMS director Dr Guleria
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स्कूल खोलने के पक्ष में गुलेरिया: एम्स डायरेक्टर ने कहा- बच्चों को टीका लगने में नौ महीने लग जाएंगे
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रशांत कुमार झा
Updated Thu, 02 Sep 2021 08:13 AM IST
सार
देश में कोरोना के मामले फिर से डराने लगे हैं। पिछले एक सप्ताह से 40 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं, इसी बीच स्कूलों को भी खोले गए हैं। दिल्ली में भी बच्चों के लिए स्कूल खोल दिए गए हैं। सरकार के इस निर्णय ने एक नई चर्चा शुरू कर दी है। इधर एम्स निदेशक डॉ गुलेरिया ने स्कूलों को फिर से खोलने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए शारीरिक संपर्क महत्वपूर्ण है।
डॉ. रणदीप गुलेरिया, निदेशक, दिल्ली एम्स
- फोटो : Amar Ujala
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देश में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से तेज हो गए हैं। इसी महीने तीसरी लहर आने की आशंका है। इधर राष्ट्रीय राजधानी में 1 सितंबर से बच्चों के लिए स्कूल खोल दिए गए हैं, लेकिन बच्चों के लिए देश में अभी तक टीका उपलब्ध नहीं है। सरकार के इस फैसले ने विशेषज्ञों, छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के बीच बहस शुरू कर दी है कि बिना वैक्सीनेट बच्चे स्कूल कैसे जा सकते हैं। इस सबके बीच एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत में सभी बच्चों को टीकाकरण करने में नौ महीने तक का समय लगेगा, ऐसे में लंबे समय तक बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है। बच्चों के विकास के लिए स्कूल खुलना जरूरी है। क्योंकि बच्चों के लिए शारीरिक संपर्क अहम है।
स्कूलों को खोलने पर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि उन जगहों पर स्कूल खुल सकते हैं जहां पर कोरोना के मामले कम हैं। एम्स डायरेक्टर गुलेरिया ने बताया कि सभी बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ने की सुविधा नहीं होती और ना ही वह माहौल रहता है, ऐसे में स्कूल खोलना जरूरी है। उन्होंने कहा कि करीब-कीरब स्कूलों में सभी टीचरों को वैक्सीन लग चुकी है, वहां की हालत सबसे ज्यादा अनुकूल है। उन्होंने तमाम टीचरोंस स्टाफ से अपील की है कि वे खुद आगे आकर टीका लगवाएं । डॉ गुलेरिया ने स्कूल प्रशासन से लंच ब्रेक और अन्य किसी भी समय भीड़ नहीं जुटने देने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसका हमें पूरा ख्याल रखना होगा कि बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं या नहीं।
तीसरी लहर से निपटने की तैयारी जोरों पर
वहीं, तीसरी लहर के दौरान बच्चों को चपेट में आने पर डॉ गुलेरिया ने कहा है कि कोरोना के मद्देनजर बच्चों के वॉर्ड बनाने और अन्य मेडिकल उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए हर जिले में तैयारी जोरों पर है। बता दें कि मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ नरेश त्रेहान ने कहा था कि कोरोना से अगर बच्चे बीमार पड़े तो हमारे अस्पताल उन्हें संभाल नहीं पाएंगे, क्योंकि हमारे पास अभी तक उतनी सुविधा नहीं है।
विस्तार
देश में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से तेज हो गए हैं। इसी महीने तीसरी लहर आने की आशंका है। इधर राष्ट्रीय राजधानी में 1 सितंबर से बच्चों के लिए स्कूल खोल दिए गए हैं, लेकिन बच्चों के लिए देश में अभी तक टीका उपलब्ध नहीं है। सरकार के इस फैसले ने विशेषज्ञों, छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के बीच बहस शुरू कर दी है कि बिना वैक्सीनेट बच्चे स्कूल कैसे जा सकते हैं। इस सबके बीच एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत में सभी बच्चों को टीकाकरण करने में नौ महीने तक का समय लगेगा, ऐसे में लंबे समय तक बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है। बच्चों के विकास के लिए स्कूल खुलना जरूरी है। क्योंकि बच्चों के लिए शारीरिक संपर्क अहम है।
स्कूलों को खोलने पर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि उन जगहों पर स्कूल खुल सकते हैं जहां पर कोरोना के मामले कम हैं। एम्स डायरेक्टर गुलेरिया ने बताया कि सभी बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ने की सुविधा नहीं होती और ना ही वह माहौल रहता है, ऐसे में स्कूल खोलना जरूरी है। उन्होंने कहा कि करीब-कीरब स्कूलों में सभी टीचरों को वैक्सीन लग चुकी है, वहां की हालत सबसे ज्यादा अनुकूल है। उन्होंने तमाम टीचरोंस स्टाफ से अपील की है कि वे खुद आगे आकर टीका लगवाएं । डॉ गुलेरिया ने स्कूल प्रशासन से लंच ब्रेक और अन्य किसी भी समय भीड़ नहीं जुटने देने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसका हमें पूरा ख्याल रखना होगा कि बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं या नहीं।
तीसरी लहर से निपटने की तैयारी जोरों पर
वहीं, तीसरी लहर के दौरान बच्चों को चपेट में आने पर डॉ गुलेरिया ने कहा है कि कोरोना के मद्देनजर बच्चों के वॉर्ड बनाने और अन्य मेडिकल उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए हर जिले में तैयारी जोरों पर है। बता दें कि मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ नरेश त्रेहान ने कहा था कि कोरोना से अगर बच्चे बीमार पड़े तो हमारे अस्पताल उन्हें संभाल नहीं पाएंगे, क्योंकि हमारे पास अभी तक उतनी सुविधा नहीं है।
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