दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर आम आदमी पार्टी के विधायक शोएब इकबाल ने अपनी ही सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। उन्होंने कहा है कि अगर दिल्ली में अभी राष्ट्रपति शासन लागू नहीं किया गया तो कोरोना के कारण स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है। उनके इस बयान के बाद विपक्ष अरविंद केजरीवाल सरकार पर हमलावर हो गया है और कोरोना प्रबंधन में सरकार के असफल होने की बात कह रहा है। हमारे विशेष संवाददाता अमित शर्मा ने आम आदमी पार्टी के विधायक शोएब इकबाल से बात कर यह जानना चाहा कि उन्हें इस तरह का बयान देने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा? प्रस्तुत है वार्ता के प्रमुख अंश-
प्रश्न- आपने दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। क्या आपको लगता है कि दिल्ली सरकार कोरोना मरीजों के इलाज में, आवश्यक सेवाओं का इंतजाम करने में असफल साबित हो रही है?
देखिये, सबसे पहले तो मैं आपको यह स्पष्ट कर दूं कि मैंने यह बयान अपनी सरकार के खिलाफ नहीं दिया है। मेरा केवल इतना ही कहना है कि यह बेहद कठिन समय है। दिल्ली में हालात बेहद खराब हो रहे हैं। लोग चाहकर भी किसी की मदद नहीं कर पा रहे हैं। सरकार हो या प्रशासन कोई भी हमारी बात नहीं सुन रहा है, ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को स्वास्थ्य का मामला अपने हाथ में ले लेना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो आने वाले समय में स्थिति को नियंत्रण करना बिलकुल मुश्किल हो जाएगा।
प्रश्न- आपकी इस बात का अर्थ तो यही है कि केजरीवाल सरकार कोरोना मरीजों के लिए उचित काम करने में असफल साबित हो रही है। इसीलिए आप केंद्र से सारी चीजें अपने हाथ में लेने की बात कह रहे हैं?
मैं यह नहीं कह रहा हूं। मैं कह रहा हूं कि दिल्ली सरकार तो अपने स्तर पर जो काम कर रही है वह कर ही रही है, लेकिन वह तभी कुछ कर पाएगी जब केंद्र सरकार से उसे सहयोग मिलेगा। इसलिए अगर केंद्र सरकार के सहयोग से ही काम करना है तो केंद्र को सारी व्यवस्था अपने हाथ में क्यों नहीं ले लेनी चाहिए?
प्रश्न- आपने जो विडियो जारी किया है, उससे यह संकेत भी जा रहा है कि एक विधायक होकर भी आप अपनी ही सरकार में किसी की मदद नहीं कर पा रहे हैं? क्या आपकी बात सुनी नहीं जा रही है?
हां, यह बिलकुल सही बात है। मेरा एक दोस्त बीमार हो गया। उसे ऑक्सीजन की जरूरत थी। मैंने इलाके के डीएम को फोन किया, उन्होंने कहा कि इंतजाम हो जाएगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। चार-पांच घंटे लाइन में लगे रहने के बाद भी ऑक्सीजन तक नहीं मिल पा रही है। इसे आप क्या कहेंगे? सरकार हो या प्रशासन, हम कहीं कुछ कह नहीं पा रहे हैं, कोई हमारी बात नहीं सुन रहा है। छह-छह बार विधायक रहने के बाद भी हम अपने लोगों की मदद नहीं कर पा रहे हैं तो इसे आप क्या कहेंगे। मेरे लिए यह बेहद शर्मनाक स्थिति है।
प्रश्न- आप स्वास्थ्य सेवाओं को केंद्र सरकार के अधीन लाने की बात कर रहे हैं। इससे क्या लाभ होगा?
दिल्ली में अनेक एजेंसियां हैं। केंद्र सरकार के अलग अस्पताल हैं, दिल्ली सरकार के अलग अस्पताल हैं, एमसीडी के अलग अस्पताल हैं। इसके अलावा सेना के अस्पताल, रेलवे के अस्पताल और भी अनेक तरह के केंद्र हैं। मैं सबसे यह कहना चाहता हूं कि अगर आपात स्थिति को ध्यान में रखते हुए इन सभी सेवाओं को एक सेंटर के अधीन रखा जाए तो इससे भ्रम की स्थिति दूर होगी। उसे यह पता होगा कि कहां बेड खाली हैं, किसे सहायता की जरूरत है और किसे कहां भेजना है। इस समय भ्रम की स्थिति है लोग इधर-उधर भटक रहे हैं। किसी को कहीं से कोई राहत नहीं मिल पा रही है।
प्रश्न- आपको क्या लगता है कि उपराज्यपाल इस स्थिति को संभाल सकेंगे?
आज ही अखबारों में छपा है कि उपराज्यपाल अब दिल्ली की सरकार होगा, लेकिन स्वास्थ्य जैसी सेवाएं और इनकी जिम्मेदारी अरविंद केजरीवाल सरकार की रहेगी। ऐसा क्यों? जब आप सब कुछ अपने हाथ में ले रहे हैं, तो जहां जिम्मेदारी तय होने वाली बात है उसे आप अपने हाथ में लेने से क्यों बचना चाहते हैं।
इसी कारण मेरा कहना है कि स्वास्थ्य सेवा को केंद्र सरकार को उपराज्यपाल के माध्यम से अपने हाथ में ले लेनी चाहिए, जिससे जवाबदेही तय हो सके। मैं कह रहा हूं कि किसी अन्य सेवा के मामले में नहीं, लेकिन स्वास्थ्य के मामले में राष्ट्रपति शासन की तरह सभी सेवाएं केंद्र को अपने अधीन ले लेनी चाहिए।
प्रश्न- आप पर आरोप है कि आप बहुत सीनियर होने के बाद भी सरकार में आपको कोई महत्वपूर्ण मंत्रालय या जिम्मेदारी नहीं दी गई, जबकि आपसे काफी जूनियर लोगों को सरकार में काफी महत्व मिल रहा है। आप इसी से नाराज हैं और यही कारण है कि आपने इस तरह का बयान दिया है?
जब मैंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन की थी तब कोई शर्तनामा लिखवाकर नहीं आया था कि मुझे कोई पद दिया जायेगा तभी मैं पार्टी में रहूंगा। अनेक ऐसे मौके आये थे, और आते रहेंगे जब अगर मैं चाहूंगा तो इस तरह की बात कह सकूंगा। लेकिन इस तरह की राष्ट्रीय आपदा की घड़ी में इस तरह की कोई बात सोचना भी शर्मनाक है। मैं इस स्तर का आदमी नहीं हूं।
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दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर आम आदमी पार्टी के विधायक शोएब इकबाल ने अपनी ही सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। उन्होंने कहा है कि अगर दिल्ली में अभी राष्ट्रपति शासन लागू नहीं किया गया तो कोरोना के कारण स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है। उनके इस बयान के बाद विपक्ष अरविंद केजरीवाल सरकार पर हमलावर हो गया है और कोरोना प्रबंधन में सरकार के असफल होने की बात कह रहा है। हमारे विशेष संवाददाता अमित शर्मा ने आम आदमी पार्टी के विधायक शोएब इकबाल से बात कर यह जानना चाहा कि उन्हें इस तरह का बयान देने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा? प्रस्तुत है वार्ता के प्रमुख अंश-
प्रश्न- आपने दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। क्या आपको लगता है कि दिल्ली सरकार कोरोना मरीजों के इलाज में, आवश्यक सेवाओं का इंतजाम करने में असफल साबित हो रही है?
देखिये, सबसे पहले तो मैं आपको यह स्पष्ट कर दूं कि मैंने यह बयान अपनी सरकार के खिलाफ नहीं दिया है। मेरा केवल इतना ही कहना है कि यह बेहद कठिन समय है। दिल्ली में हालात बेहद खराब हो रहे हैं। लोग चाहकर भी किसी की मदद नहीं कर पा रहे हैं। सरकार हो या प्रशासन कोई भी हमारी बात नहीं सुन रहा है, ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को स्वास्थ्य का मामला अपने हाथ में ले लेना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो आने वाले समय में स्थिति को नियंत्रण करना बिलकुल मुश्किल हो जाएगा।
प्रश्न- आपकी इस बात का अर्थ तो यही है कि केजरीवाल सरकार कोरोना मरीजों के लिए उचित काम करने में असफल साबित हो रही है। इसीलिए आप केंद्र से सारी चीजें अपने हाथ में लेने की बात कह रहे हैं?
मैं यह नहीं कह रहा हूं। मैं कह रहा हूं कि दिल्ली सरकार तो अपने स्तर पर जो काम कर रही है वह कर ही रही है, लेकिन वह तभी कुछ कर पाएगी जब केंद्र सरकार से उसे सहयोग मिलेगा। इसलिए अगर केंद्र सरकार के सहयोग से ही काम करना है तो केंद्र को सारी व्यवस्था अपने हाथ में क्यों नहीं ले लेनी चाहिए?