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Google Doodle Know about Dr. Kamal Ranadive and his important contribution in the field of research in the country
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Google Doodle : जानिए डॉक्टर कमल रणदिवे और देश में अनुसंधान के क्षेत्र में उनके अहम योगदान के बारे में
एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला
Published by: सुभाष कुमार
Updated Mon, 08 Nov 2021 01:45 PM IST
Google Doodle : इस विशेष डूडल के बारे में बात करें तो इसका निर्माण भारतीय कलाकार इब्राहिम रयिन्ताकथ द्वारा किया गया है। इस डूडल में डॉ कमल रणदिवे एक माइक्रोस्कोप की तरफ देख रही हैं। रणदिवे का जन्म वर्ष 1917 में पुणे में हुआ था।
गूगल ने आज का डूडल भारतीय सेल जीवविज्ञानी डॉ कमल रणदिवे को समर्पित किया है।
- फोटो : Social Media
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सर्च इंजन गूगल ने आज का डूडल भारतीय सेल जीवविज्ञानी डॉ कमल रणदिवे को समर्पित किया है। आज डॉ कमल रणदिवे की 104वीं जयंती है। रणदिवे ने कैंसर के क्षेत्र में अनुसंधान में अपना अहम योगदान दिया था। उन्हें कमल समरथ के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा उन्होंने विज्ञान और शिक्षा की मदद से एक ऐसे न्यायसंगत समाज को बनाने में मदद की जहां सभी एक समान हो। रणदिवे ने ब्रेस्ट कैंसर और आनुवंशिकता के बीच एक लिंक होने के बारे में भी प्रस्ताव दिया था।
भारतीय कलाकार इब्राहिम रयिन्ताकथ ने तैयार किया है डूडल
गूगल कई बार किसी विशेष व्यक्ति, मुद्दों और घटनाओं पर विभिन्न प्रकार के डूडल का निर्माण करता है। इस विशेष डूडल के बारे में बात करें तो इसका निर्माण भारतीय कलाकार इब्राहिम रयिन्ताकथ द्वारा किया गया है। इस डूडल में डॉ कमल रणदिवे एक माइक्रोस्कोप की तरफ देख रही हैं। रणदिवे का जन्म वर्ष 1917 में पुणे में हुआ था। उनके पिता की इच्छा थी कि वह मेडिकल की पढ़ाई करें, लेकिन रणदिवे जीवविज्ञान में ही अपनी शिक्षा को पूरी करना चाहती थी।
देश की पहली टीशू कल्चर लैबोरेट्री की स्थापना की
रणदिवे ने वर्ष 1949 में भारतीय कैंसर अनुसंधान केंद्र (आईसीआरसी) में एक शोधकर्ता के रूप में कार्य किया। यहां उन्होंने कोशिका विज्ञान और कोशिकाओं के अध्ययन में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की। इसके अलावा उन्होंने बाल्टीमोर, मैरीलैंड और यूएसए के जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में फेलोशिप भी की। इसके बाद उन्होंने मुंबई वापस लौट कर आईसीआरसी में देश की पहली टीशू कल्चर लैबोरेट्री की स्थापना की।
रणदिवे ने माइकोबैक्टीरियम लेप्राई पर स्टडी की थी। यह एक तरह के बैकटीरिया होते हैं जिनके कारण ही कुष्ठ रोग होता है। कुष्ठ रोग से लोगों को राहत देने के लिए टीका निर्माण में भी उन्होंने मदद की थी। रणदिवे देश में आईसीआरसी की निदेशक और जानवरों में कैंसर पर अनुसंधान करने वाली पहली महिला शोधकर्ताओं में से एक थी। वर्ष 1973 में डॉ. रणदिवे और उनके 11 सहयोगियों ने मिलकर वैज्ञानिक क्षेत्रों में महिलाओं का समर्थन करने के लिए भारतीय महिला वैज्ञानिक संघ (आईडब्ल्यूएसए) की स्थापना की।
रिटायरमेंट के बाद भी गांवों में किया काम
रिटायरमेंट के बाद डॉ. रणदिवे ने महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर काम किया। यहां उन्होंने महिलाओं को स्वास्थ्यकर्मी की ट्रेनिंग, स्वास्थ्य और स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ी शिक्षा भी दी। आईडब्ल्यूएसए के आज देश में 11 खंड हैं और इसके द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं को छात्रवृत्ति भी दी जाती है।
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