उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपा है। उन्होंने इस्तीफे के पीछे की वजह निजी कारण बताए हैं। उप-राज्यपाल के तौर पर उनके पांच साल गत 30 दिसंबर को पूरे हो गए थे। तभी से उनके स्थान पर नए उपराज्यपाल की नियुक्ति के कयास लगने शुरू हो गए थे।
इस दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लक्ष्यदीप के प्रशासक एवं गुजरात के पूर्व गृह मंत्री प्रफुल पटेल को नया उप-राज्यपाल बनाए जाने का खुलासा किया था। हालांकि दिल्ली के उप-राज्यपाल का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है। उप-राज्यपाल व दिल्ली सरकार के बीच अक्सर अधिकारों को लेकर भी विवाद होता रहा है और यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
दिसंबर 2016 में नजीब जंग के बाद अनिल बैजल दिल्ली के उप-राज्यपाल बने थे। नजीब जंग की तरह उनके भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मतभेद रहते थे। कई मामलों को लेकर कई बार दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल अनिल बैजल के बीच टकराव की बातें सामने आती रही हैं। उन्होंने एक साल पहले दिल्ली सरकार की 1,000 बसों की खरीद प्रक्रिया की जांच को लेकर तीन सदस्यों की एक कमेटी बना दी थी। इस मसले पर भी दिल्ली सरकार से उनकी काफी खटपट हुई थी। हालांकि प्रदेश भाजपा ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी।
इस प्रकरण से पहले स्वास्थ्य विभाग से जुड़े मामले में भी उप-राज्यपाल से दिल्ली सरकार की अनबन हुई थी। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की बजाय खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उप-राज्यपाल अनिल बैजल को चिट्ठी लिखकर सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की कमी को पूरा करने की अपील की थी। इस चिट्ठी में मुख्यमंत्री आरोप लगाया था कि उप-राज्यपाल के कहने पर कई अधिकारी स्वास्थ्य मामलों से जुड़ी फाइल छुपा रहे हैं और मंत्री को भी फाइल देने से इंकार कर रहे हैं। इस कारण अब खुद उप-राज्यपाल ही अस्पतालों में खाली पड़े पदों को जल्द से जल्द भरें।
दिल्ली सरकार एवं उप-राज्यपाल के बीच कानून विभाग से जुड़े एक मामले में भी टकराव की स्थिति सामने आई थी। उस समय उप-राज्यपाल अनिल बैजल को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने चिट्ठी लिखकर फाइल और फैसले छुपाने का आरोप लगाया था। उन्होंने लिखा था कि दिल्ली सरकार के लिए स्टैंडिंग काउंसिल और एडिशनल स्टैंडिंग काउंसिल की नियुक्तियों के लिए उनकी राय नहीं ली गई। उप-राज्यपाल के आदेश के कारण अधिकारी फाइल नहीं दिखा रहे।
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उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपा है। उन्होंने इस्तीफे के पीछे की वजह निजी कारण बताए हैं। उप-राज्यपाल के तौर पर उनके पांच साल गत 30 दिसंबर को पूरे हो गए थे। तभी से उनके स्थान पर नए उपराज्यपाल की नियुक्ति के कयास लगने शुरू हो गए थे।
इस दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लक्ष्यदीप के प्रशासक एवं गुजरात के पूर्व गृह मंत्री प्रफुल पटेल को नया उप-राज्यपाल बनाए जाने का खुलासा किया था। हालांकि दिल्ली के उप-राज्यपाल का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है। उप-राज्यपाल व दिल्ली सरकार के बीच अक्सर अधिकारों को लेकर भी विवाद होता रहा है और यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
दिसंबर 2016 में नजीब जंग के बाद अनिल बैजल दिल्ली के उप-राज्यपाल बने थे। नजीब जंग की तरह उनके भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मतभेद रहते थे। कई मामलों को लेकर कई बार दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल अनिल बैजल के बीच टकराव की बातें सामने आती रही हैं। उन्होंने एक साल पहले दिल्ली सरकार की 1,000 बसों की खरीद प्रक्रिया की जांच को लेकर तीन सदस्यों की एक कमेटी बना दी थी। इस मसले पर भी दिल्ली सरकार से उनकी काफी खटपट हुई थी। हालांकि प्रदेश भाजपा ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी।