हिमाचल में 12 में से 11 जिले संवेदनशील
एनआरएससी के भूस्खलन जोखिम विश्लेषण में 146 जिलों में पड़ोसी राज्य हिमाचल के 11 जिले शामिल हैं। हिमाचल में भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा मंडी जिले में है। देश में इस जिले की रैंक 16वीं है। 25वें स्थान पर हमीरपुर, 30वें स्थान पर बिलासपुर, 32 स्थान पर चंबा, 37वें स्थान सोलन, 46वें स्थान पर किन्नौर, 57वें पर कुल्लू, 61वें पर शिमला, 70वें पर ऊना, 88वें पर सिरौमर और 126वें स्थान पर लाहौल स्पिति है।
जम्मू और कश्मीर के 14 संवेदनशील जिलों में से दो जिले टॉप टेन में
हिमालयी राज्यों में शामिल जम्मू और कश्मीर के 14 जिले भूस्खलन जोखिम वाले जिलों की सूची में शामिल हैं। इनमें राजौरी देश का चौथा और पुंछ छठा सबसे अधिक भूस्खलन प्रभावित जिला है। इनके अलावा 14वें स्थान पर जम्मू, 17वें पर ऊधमपपुर, 27वें पुलवामा, 42वें कठुवा, 52वें अनंतनाग, 58वें पर बारामुला, 79वें पर डोजा, 98 वें पर श्रीनगर, 119वें पर बड़गम, 123वें कारगिल, 132वें पर कारगिल और 136वें स्थान पर लेह लद्दाख जिला है।
केरल के ये जिले सबसे अधिक संवेदनशील
10 सबसे अधिक भूस्खलन जोखिम जिलों की सूची में केरल के तीन जिले शामिल हैं। 147 संवेदनशील जिलों की सूची में केरल के कुल 10 जिले हैं, जहां भूस्खलन से खतरा है।
सामाजिक और आर्थिक क्षति का सबसे अधिक खतरा
देश में सबसे अधिक भूस्खलन घनत्व वाला जिला रुद्रप्रयाग है। यानी भूस्खलन से इस जिले को सबसे अधिक सामाजिक और आर्थिक क्षति होने का खतरा है। यही स्थिति टिहरी जिले की भी है। ये दोनों जिले भौगोलिक रूप से दूसरे जिलों की तुलना में छोटे हैं। इस लिहाज से भी भूस्खलन घनत्व बड़ा दिखाई दिया है।
सबसे कम संवेदनशील जिले भी उत्तराखंड में
एटलस के मुताबिक, भूस्खलन के लिहाज से सबसे अधिक जोखिम भरे पहले दो जिले उत्तराखंड में तो सबसे कम संवेदनशील जिले हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर भी राज्य में ही हैं। भूस्खलन की दृष्टि से पूरा प्रदेश संवेदनशील है।
उत्तराखंड के सबसे प्रभावित जिले(लाल रंग में)