कुमार अतुल, अमर उजाला, देहरादून
Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal
Updated Fri, 01 Oct 2021 09:34 AM IST
उत्तराखंड में मानसून अपनी विदाई की बेला में है। औसत के लिहाज से देखें तो जितनी बारिश मानसून सीजन में होनी चाहिए उससे सिर्फ दो फीसदी कम बारिश हुई है। मौसम वैज्ञानिकों की नजर में इसे सामान्य बारिश कहा जा सकता है लेकिन बारिश का वितरण बेहद असमान रहा है।
बागेश्वर और चमोली जैसे जिले तो तरबतर रहे हैं जबकि राजधानी देहरादून, हरिद्वार में काफी कम पानी बरसा है। भारतीय मौसम विज्ञान के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के 11 जिलों में कम पानी बरसा है। चंपावत, पौड़ी, हरिद्वार, उत्तरकाशी, रुद्र प्रयाग, देहरादून जैसे जिलों में तो सूखे जैसी स्थिति है।
आने वाले दिनों में बादलों के फटने, अतिवृष्टि जैसी घटनाएं बढ़ेंगी
ग्लोबल वार्मिंग, पेड़ों के कटान और क्लोरोफ्लोरो कार्बन जैसी गैसों के उत्सर्जन का असर मौसम के मिजाज पर पड़ रहा है। मौसम का मिजाज भी कई बार असामान्य और अप्रत्याशित देखा जा रहा है। इसके अलावा मानसून की अवधि भी कभी लंबी, कभी छोटी देखी जा रही है। यह एक तरह से खतरे की घंटी है। आने वाले दिनों में बादलों के फटने, अतिवृष्टि, तूफानों की संख्या में वृद्धि जैसी चीजें देखने में आ सकती हैं।
- डॉ. एके श्रीवास्तव, आईएमडी के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक
उत्तराखंड: मसूरी में गलोगीधार के पास मलबा आने से लगा जाम, बदरीनाथ धाम जाने वाला मार्ग हुआ क्षतिग्रस्त
जिला - वास्तविक - सामान्य बारिश - अंतर
देहरादून - 1351.5 - 1521.4 - -11
हरिद्वार - 752 - 970.5 - -23
चमोली - 1293 - 774.4 - 67
रुद्र प्रयाग - 1243.6 - 1483.6- -16
नई टिहरी - 928.2 - 989.2 - -6
पौड़ी - 805.8 - 1223.1 - -34
उत्तरकाशी - 1017.4 - 1206.7- -16
अल्मोड़ा - 814.1 - 841.8 - -3
बागेश्वर - 2196.1 - 841.8 - 161
चंपावत - 905.6 - 1335.5 - -32
नैनीताल - 1245.8 - 1424.1 - -13
ऊधम सिंह नगर - 936 - 1072.7 - -13
पिथौरागढ़ - 1439.3 - 1542.3 - -7
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प्रदेश - 1152.9 - 1176.9 - -2 फीसदी (30 सितंबर तक मिली लीटर में )
(स्रोत - भारतीय मौसम विज्ञान विभाग)
विस्तार
उत्तराखंड में मानसून अपनी विदाई की बेला में है। औसत के लिहाज से देखें तो जितनी बारिश मानसून सीजन में होनी चाहिए उससे सिर्फ दो फीसदी कम बारिश हुई है। मौसम वैज्ञानिकों की नजर में इसे सामान्य बारिश कहा जा सकता है लेकिन बारिश का वितरण बेहद असमान रहा है।
बागेश्वर और चमोली जैसे जिले तो तरबतर रहे हैं जबकि राजधानी देहरादून, हरिद्वार में काफी कम पानी बरसा है। भारतीय मौसम विज्ञान के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के 11 जिलों में कम पानी बरसा है। चंपावत, पौड़ी, हरिद्वार, उत्तरकाशी, रुद्र प्रयाग, देहरादून जैसे जिलों में तो सूखे जैसी स्थिति है।
आने वाले दिनों में बादलों के फटने, अतिवृष्टि जैसी घटनाएं बढ़ेंगी
ग्लोबल वार्मिंग, पेड़ों के कटान और क्लोरोफ्लोरो कार्बन जैसी गैसों के उत्सर्जन का असर मौसम के मिजाज पर पड़ रहा है। मौसम का मिजाज भी कई बार असामान्य और अप्रत्याशित देखा जा रहा है। इसके अलावा मानसून की अवधि भी कभी लंबी, कभी छोटी देखी जा रही है। यह एक तरह से खतरे की घंटी है। आने वाले दिनों में बादलों के फटने, अतिवृष्टि, तूफानों की संख्या में वृद्धि जैसी चीजें देखने में आ सकती हैं।
- डॉ. एके श्रीवास्तव, आईएमडी के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक
उत्तराखंड: मसूरी में गलोगीधार के पास मलबा आने से लगा जाम, बदरीनाथ धाम जाने वाला मार्ग हुआ क्षतिग्रस्त