अब अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारी एक मंच पर आवाज बुलंद करेंगे। बृहस्पतिवार को उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति का पुनर्गठन कर दिया गया। इसके साथ ही सचिवालय संघ को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया है।
समिति के पुनर्गठन के साथ ही तीन प्रस्ताव पारित किए गए। तय किया गया कि मांगें न मानने पर सरकार के खिलाफ छह सितंबर से चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जाएगा। इसके तहत पांच अक्तूबर को प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली होगी, जिसमें आगामी आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।
बैठक में तय किया गया कि सभी संगठन इस समिति के तहत मिलकर अपनी लड़ाई लड़ेंगे। इसके लिए जिला स्तर पर भी कार्यकारिणी गठित की जाएगी। सभी संगठन, समिति के आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।
प्रदेश में कर्मचारियों, शिक्षकों और अधिकारियों की मांगों को लेकर अब अगर सरकार गंभीर न हुई तो बड़ा आंदोलन होगा। उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति का पुनर्गठन होने के बाद आने वाले समय में बड़ा आंदोलन होगा, जिसकी रूपरेखा तैयार की जा चुकी है।
समिति के प्रवक्ता प्रताप कुमार एवं अरुण पांडे ने बताया कि आज प्रदेश के विभिन्न मान्यता प्राप्त संघों, परिसंघों के समन्वित मंच उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति की महत्वपूर्ण बैठक सदभावना भवन, यमुना कॉलोनी में हुई। बैठक की अध्यक्षता प्रताप सिंह पवार एवं संचालन अरुण पांडे ने किया। बैठक में पहली बार राज्य निगम अधिकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष दिनेश गुसाई, महामंत्री बीएस रावत, राजकीय शिक्षक संघ के प्रान्तीय महामंत्री सोहन सिंह माजिला एवं उत्तराखंड वैयक्तिक अधिकारी / कर्मचारी महासंघ के महामंत्री विक्रम सिंह नेगी ने भी हिस्सा लिया।
अपने संगठन की मांगे रखते हुए उन्हें समन्वय समिति के मांगपत्र में शामिल करने की मांग की। बैठक में सर्वसम्मति से समन्वय समिति के पुनर्गठन पर हर्ष व्यक्त करते हुए वर्तमान समय में कर्मचारी शिक्षक समुदाय को एकजुट करने पर बल दिया गया। साथ ही तत्काल मांगपत्र तैयार कर शासन व सरकार को प्रेषित करने तथा आन्दोलन का कार्यक्रम भी घोषित करने की मांग की गई। बैठक में विभिन्न मान्यता प्राप्त परिसंघों से हरिशचन्द्र नौटियाल, प्रताप सिंह पंवार, ठाकुर प्रहलाद सिंह, पूर्णानन्द नौटियाल, शक्ति प्रसाद भट्ट, पंचम सिंह बिष्ट, दिनेश गुसाई, दिनेश पन्त, बिक्रम सिंह नेगी, चौधरी ओमवीर सिंह, सुभाष देवलियाल, बनवारी सिंह रावत, रमेश रमोला, निशंक सिरोही, दीपचन्द बुडाकोटी, संदीप कुमार मौर्य, प्रेमसिंह रावत, आरएस रावत, अनुज चौधरी आदि कर्मचारी नेता उपस्थित थे।
1- समन्वय समिति का देहरादून का मुख्य संयोजक चौधरी ओमवीर सिंह एवं दीपचन्द बुडलाकोटी को नामित करते हुए उन्हें जनपद का संयोजक मंडल गठित करने का दायित्व दिया गया। साथ ही शेष जनपद शाखाओं के पुनर्गठन के लिए तय किया गया कि प्रत्येक जिला प्रान्त स्तर से केन्द्रीय पदाधिकारियों का भ्रमण कार्यक्रम रखते हुए जनपद का संयोजक मंडल गठित करेगा।
2- समन्वय समिति के मांगपत्र में राजकीय शिक्षक संघ एवं निगम अधिकारी / कर्मचारी महासंघ की मांग पर राज्य कर्मियों के साथ-साथ पूरे सेवाकाल में तीन पदोन्नति अथवा 10 16 एवं 26 वर्ष की नियमित व सन्तोषजनक की सेवा पर एसीपी के अन्तर्गत पदोन्नति वेतनमान प्रदान करने की मांग रखी जाए।
3- समस्त परिसंघ अपनी जनपद, मंडल शाखाओं एवं घटक संघों को समन्वय समिति के गठन की सूचना देते हुए समन्वय समिति के कार्यक्रमों में शत प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। इसी प्रकार, वक्ताओं द्वारा यह भी मांग की गई कि प्रत्येक परिसंघ के साथ समस्त घटक संघों की समान मांग को भी मांगपत्र में शामिल किया जाए।
इन मांगों पर लड़ेगी समन्वय समिति
1. समस्त राज्य कर्मियों, शिक्षकों एवं निगम कर्मियों को पूरे सेवाकाल में 03 पदोन्नति अथवा 10, 16 एवं 26 वर्ष की नियमित व सन्तोषजनक की सेवा पर एसीपी के अन्तर्गत पदोन्नति वेतनमान प्रदान किया जाए।
2. 11 प्रतिशत डीए में भारत सरकार की भांति बढ़ोतरी की जाए।
3. गोल्डन कार्ड विसंगति दूर करते हुए केंद्रीय कर्मचारियों की भांति सीजीएचएस की व्यवस्था लागू की जाए। 50 प्रतिशत प्रीमियम लिया जाए।
4. पदोन्नति में शिथिलिकरण की पूर्व व्यवस्था लागू की जाए एवं विभिन्न विभागों में रिक्त पदों के सापेक्ष लम्बित पदोन्नतियां तत्काल की जाएं। साथ ही पदोन्नति में जान-बूझकर विलम्ब करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
5. कनिष्ठ सहायक के पद पर शैक्षिक योग्यता स्नातक एवं एक वर्षीय कंप्यूटर डिप्लोमा निर्धारित किया जाए।
6. चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को स्टाफिंग पैटर्न का लाभ देते हुए ग्रेड वेतन 4200 अनुमन्य किया जाए।
7. राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन 2400 इग्नोर करते हुए ग्रेड वेतन 4800 अनुमन्य किया जाए।
8. प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए।
9. वेतन विसंगति समिति को भंग कर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक माह में कार्मिकों के लम्बित मांगों का निस्तारण किया जाए।
10. तकनीकी विभागों के विभागाध्यक्ष प्रशासनिक, सचिवालय के अधिकारियों को न बनाया जाए।
11. तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों को नियमितिकरण से पूर्व की सेवा को जोड़ते हुए वेतन एवं पेंशन का लाभ दिया जाए।
12.समस्त निदेशालय में सचिवालाय की भांति 05 दिवसीय कार्यदिवस लागू किया जाए। 13. सिंचाई विभाग को गैर तकनीकी विभागों के निर्माण कार्य हेतु कार्यदायी संस्था के रूप में अधिकृत किया जाए।
14. समस्त अभियंत्रण विभागों में कनिष्ठ अभियन्ता (प्राविधिक) संगणक के सेवा प्राविधान एक समान कर विगसंगति दूर की जाए।
यह होगा आंदोलन का कार्यक्रम
छह सितंबर से 19 सितंबर तक विभिन्न विभागों के कार्यालयों पर गेट मीटिंग के माध्यम से जन-जागरण कार्यक्रम होगा। 20 सितंबर को समस्त जनपद मुख्यालयों पर एक दिवसीय धरना होगा। 27 सितंबर को सहस्त्रधारा रोड, एकता विहार, देहरादून स्थित धरना स्थल पर प्रदेश स्तरीय धरना होगा। इसके बाद पांच अक्तूबर को प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली का आयोजन किया जाएगा। प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली में आगामी आंदोलन की घोषणा।
विस्तार
अब अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारी एक मंच पर आवाज बुलंद करेंगे। बृहस्पतिवार को उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति का पुनर्गठन कर दिया गया। इसके साथ ही सचिवालय संघ को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया है।
समिति के पुनर्गठन के साथ ही तीन प्रस्ताव पारित किए गए। तय किया गया कि मांगें न मानने पर सरकार के खिलाफ छह सितंबर से चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जाएगा। इसके तहत पांच अक्तूबर को प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली होगी, जिसमें आगामी आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।
बैठक में तय किया गया कि सभी संगठन इस समिति के तहत मिलकर अपनी लड़ाई लड़ेंगे। इसके लिए जिला स्तर पर भी कार्यकारिणी गठित की जाएगी। सभी संगठन, समिति के आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।