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Inspector Recruitment scam in Uttarakhand Case filed against two employees of Pantnagar University
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Inspector Recruitment Scam: कई कर्मियों और दरोगाओं पर गिर सकती है गाज, इस पूर्व अधिकारी ने खोले कई राज
संवाद न्यूज एजेंसी, हल्द्वानी/पंतनगर।
Published by: रेनू सकलानी
Updated Sun, 09 Oct 2022 11:15 AM IST
सार
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पुलिस विभाग में 356 दरोगाओं की सीधी भर्ती में शनिवार को विवि के दो अधिकारियों सहित 12 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज होने के बाद अब कई कर्मी और गलत तरीके से भर्ती हुए दरोगा विजिलेंस की रडार पर हैं।
दरोगा भर्ती घोटाले में पंतनगर विश्वविद्यालय के दो कर्मियों पर मुकदमा दर्ज हुआ है। मामले में अभी आगे और भी कार्रवाई होने की संभावना है। अनुमान है कि गलत तरीके से बने दरोगाओं के अलावा अभी विश्वविद्यालय के अन्य कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है।
साल 2015 में पंतनगर विवि की टेस्ट एंड सेलेक्शन कमेटी ने पुलिस विभाग में 356 दरोगाओं की सीधी भर्ती में शनिवार को विवि के दो अधिकारियों सहित 12 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज होने के बाद अब कई कर्मी और गलत तरीके से भर्ती हुए दरोगा विजिलेंस की रडार पर हैं।
सूत्रों के अनुसार विजिलेंस कभी भी इन नामजद लोगों सहित अन्य आरोपितों को अपनी गिरफ्त में ले सकती है। हालांकि इस धांधली से जुड़े दारोगाओं सहित नामजद लोगों ने अपने बचाव के लिए कोर्ट की शरण में जाने का मन बना लिया है। बताया जा रहा है कि करीब 35 से ज्यादा ऐसे दरोगा हैं जो अपनी केस डायरी भी सही से नहीं लिख सकते हैं।
एसटीएफ इनमें से करीब 15 दरोगाओं के नाम विजिलेंस को दे चुकी है। बाकी अब विजिलेंस की जांच में कई नाम सामने आ सकते हैं। एसपी विजिलेंस प्रह्लाद सिंह मीणा ने बताया कि मामले में कार्रवाई गड़बड़ी की शिकायतों के आधार पर की गई है। अभी जांच चल रही है। कितने दरोगा गलत तरीके से भर्ती हुए हैं ये अभी जांच का विषय है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ओएमआर शीट से हुई थी गड़बड़ी
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) के पेपर लीक मामले में एसटीएफ की जांच में अन्य भर्ती परीक्षाओं में भी धांधली उजागर हुई थी जिसमें साल 2015 में पुलिस विभाग में 356 दरोगाओं की सीधी भर्ती भी शामिल है। इस भर्ती में ओएमआर शीट में गड़बड़ी के माध्यम से धांधली की गई थी। मामले में शासन ने बीती आठ सितंबर को विजिलेंस को जांच करने के आदेश दिए थे जिसके बाद 13 सितंबर को एसपी विजिलेंस प्रहलाद मीणा के नेतृत्व में पंतनगर पहुंची आठ सदस्यीय टीम ने कुलपति से मुलाकात के बाद लैंबर्ट स्क्वायर स्थित भर्ती सेल (पूर्व में टेस्ट एंड सेलेक्शन कमेटी सेल) में रात दस बजे तक इस भर्ती से जुड़े दस्तावेज खंगाले जिसमें विजिलेंस को भी दरोगा भर्ती में धांधली से जुड़े महत्वपूर्ण सबूत हाथ लग गए थे। साथ ही पूर्व में एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार विवि के सेवानिवृत्त सहायक संस्थापनाधिकारी दिनेश चंद्र जोशी ने भी भर्ती परीक्षाओं की धांधली में शामिल अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम उजागर किए थे जिसके आधार पर विजिलेंस ने शुक्रवार को शासन से अनुमति मिलने के बाद विवि के दो अधिकारियों सहित 12 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है।
पहले भी लगे थे आरोप, नहीं लिया संज्ञान
साल 2006 में शासन की ओर से गठित पंतनगर विवि की टेस्ट एंड सेलेक्शन कमेटी ने अपने लगभग दस वर्ष की अवधि में अनुमानत: राज्य के विभिन्न विभागों की 85 भर्तियां आयोजित की थीं। कमेटी की ओर से आयोजित कई भर्ती विवादों के दायरे में आईं लेकिन शासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया। इसी प्रकार वर्ष 2016 में कमेटी ने विवि में सहायक लेखाकारों के 93 पदों पर भी भर्ती आयोजित की थी जिसमें चहेतों से 10 लाख रुपये लेकर नियुक्ति देने का आरोप लगा था। मामला उजागर होने के बाद कमेटी ने खुद को सही साबित करने के लिए नेट पर आंसर शीट में छेड़छाड़ कर दी जिससे उस सीरीज में परीक्षा दिए सभी अभ्यर्थियों के परिणाम अस्तव्यस्त हो गए। शासन की ओर नियुक्त जांच अधिकारी ने धांधली पकड़ ली थी, लेकिन उस जांच को विवि में दबा दिया गया जिसके बाद इस भर्ती को यूकेएसएसएससी की ओर से वर्ष 2021 में आयोजित कराया गया जिसमें फिर धांधली की शिकायत हुई और मामला कोर्ट में लंबित होने के बावजूद चयनित 87 अभ्यर्थियों को विवि में नियुक्ति दे दी गई। सूत्रों का दावा है कि विवि में नियुक्त 87 सहायक लेखाकारों में से कई को टाइपिंग भी नहीं आती है।
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