हाइकोर्ट ने अतिथि शिक्षकों की विशेष अपील को मंगलवार को खारिज कर दिया। इसी के साथ हाइकोर्ट ने स्नातक वेतनक्रम (एलटी) सहायक अध्यापकों के पदों के सापेक्ष काम कर रहे अतिथि शिक्षकों को 31 मार्च 2018 काम करते रहने की मोहलत दे दी है। कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा है कि दिसंबर, 2017 तक विज्ञापन जारी कर इन पदों पर नियमित नियुक्ति करें।
मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। अतिथि शिक्षक ललित सिंह और अन्य ने हाइकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष विशेष याचिका दायर कर एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी थी। एकलपीठ ने 31 मार्च 2017 तक ही अतिथि शिक्षकों को पद पर बने रहने के निर्देश दिए थे।
उस समय यह याचिका ममता पंत और अन्य ने दायर की थी। इस याचिका में कहा गया था कि वे (अतिथि sशिक्षक) शिक्षक बनने की योग्यता रखते हैं। सरकार ने नियमित नियुक्ति देने की बजाय उन्हें अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्ति दी है। विशेष याचिका में कहा गया था कि उन्हें नियुक्तियां शासनादेश के तहत दी गई हैं।
शिक्षक बनने की योग्यता रखने के कारण उन्हें नियमित नियुक्ति दी जाए। सरकार का कहना था कि स्नातक वेतनक्रम के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अध्याचन नियुक्ति संस्थाओं को भेजा गया है।
हाइकोर्ट के इस आदेश से कुछ समय तक के लिए अतिथि शिक्षकों को राहत मिल गई है। अब ये मार्च, 2018 तक पदों पर बने रहेंगे। शिक्षकों की कमी को देखते हुए ही सरकार ने नियमित नियुक्ति की बजाय अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की थी।
हाइकोर्ट ने अतिथि शिक्षकों की विशेष अपील को मंगलवार को खारिज कर दिया। इसी के साथ हाइकोर्ट ने स्नातक वेतनक्रम (एलटी) सहायक अध्यापकों के पदों के सापेक्ष काम कर रहे अतिथि शिक्षकों को 31 मार्च 2018 काम करते रहने की मोहलत दे दी है। कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा है कि दिसंबर, 2017 तक विज्ञापन जारी कर इन पदों पर नियमित नियुक्ति करें।
मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। अतिथि शिक्षक ललित सिंह और अन्य ने हाइकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष विशेष याचिका दायर कर एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी थी। एकलपीठ ने 31 मार्च 2017 तक ही अतिथि शिक्षकों को पद पर बने रहने के निर्देश दिए थे।
उस समय यह याचिका ममता पंत और अन्य ने दायर की थी। इस याचिका में कहा गया था कि वे (अतिथि sशिक्षक) शिक्षक बनने की योग्यता रखते हैं। सरकार ने नियमित नियुक्ति देने की बजाय उन्हें अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्ति दी है। विशेष याचिका में कहा गया था कि उन्हें नियुक्तियां शासनादेश के तहत दी गई हैं।
शिक्षक बनने की योग्यता रखने के कारण उन्हें नियमित नियुक्ति दी जाए। सरकार का कहना था कि स्नातक वेतनक्रम के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अध्याचन नियुक्ति संस्थाओं को भेजा गया है।
हाइकोर्ट के इस आदेश से कुछ समय तक के लिए अतिथि शिक्षकों को राहत मिल गई है। अब ये मार्च, 2018 तक पदों पर बने रहेंगे। शिक्षकों की कमी को देखते हुए ही सरकार ने नियमित नियुक्ति की बजाय अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की थी।