सामुदायिक रेडियो स्टेशन कुमाऊं वाणी के साथ मिलकर नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन(एनएफसी) 'कुमाऊं की चिड़िया' नाम से एक विशेष रेडियो सीरीज ला रहा है। यह सीरीज हिंदी में प्रसारित होगी।
कुमाऊं में चिड़ियों की अनेक प्रजातियां निवास करती हैं। इन्हीं की विशेषता, क्षेत्र, इनका पर्यावरण पर क्या असर पड़ता है उसे लेकर 10 एपिसोड की सीरीज लाई जा रही है। इसमें ये भी बताया जाएगा कि इन चिड़ियों का स्वभाव क्या है, मानव की दखलअंदाजी ने उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है। चाहे वह वातावरण में बदलाव हो या संरक्षण की बात हो सभी पहलुओं की ओर ध्यान दिया जाएगा। इसके साथ ही इनका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है इस बात को बताने की कोशिश की जाएगी।
वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के इंटरव्यू भी इस सीरीज का हिस्सा
चिड़ियों के गाने की क्या वजह है वह कुमाऊं में क्यों आती है। कठफोड़वा से लेकर चिड़ियों की तमाम प्रजाति के बारे में प्रसिद्ध किंवदंतियां, स्थानी कथाएं, गीत और स्थानीय लोगों से इनके बारे में बातचीत के साथ ही वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के इंटरव्यू भी इस सीरीज का हिस्सा होंगे। विशेषज्ञों के माध्यम से चिड़ियों के जीवन को समझने की काशिश की जाएगी।
इस तरह आप बन सकते हैं इस सीरीज का हिस्सा
इस सीरीज के माध्यम में एनसीएफ श्रोताओं में चिड़ियों के प्रति जागरूकता लाना चाहता है ताकि उनके इस प्रयास से लोग चिड़ियों के संरक्षण के बारे में सोचने लगें। इस सीरीज का प्रसारण 24 मई से हफ्ते में दो बार मंगलवार और शुक्रवार को 90.4 मेगा हर्ट्ज पर सुबह 10.30 बजे और पुनः प्रसारण दोपहर 2.30 बजे होगा। इस कार्यक्रम को कुमाऊं वाणी के यूट्यूब चैनल पर भी लाइव देखा जा सकेगा।
विस्तार
सामुदायिक रेडियो स्टेशन कुमाऊं वाणी के साथ मिलकर नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन(एनएफसी) 'कुमाऊं की चिड़िया' नाम से एक विशेष रेडियो सीरीज ला रहा है। यह सीरीज हिंदी में प्रसारित होगी।
कुमाऊं में चिड़ियों की अनेक प्रजातियां निवास करती हैं। इन्हीं की विशेषता, क्षेत्र, इनका पर्यावरण पर क्या असर पड़ता है उसे लेकर 10 एपिसोड की सीरीज लाई जा रही है। इसमें ये भी बताया जाएगा कि इन चिड़ियों का स्वभाव क्या है, मानव की दखलअंदाजी ने उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है। चाहे वह वातावरण में बदलाव हो या संरक्षण की बात हो सभी पहलुओं की ओर ध्यान दिया जाएगा। इसके साथ ही इनका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है इस बात को बताने की कोशिश की जाएगी।
वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के इंटरव्यू भी इस सीरीज का हिस्सा
चिड़ियों के गाने की क्या वजह है वह कुमाऊं में क्यों आती है। कठफोड़वा से लेकर चिड़ियों की तमाम प्रजाति के बारे में प्रसिद्ध किंवदंतियां, स्थानी कथाएं, गीत और स्थानीय लोगों से इनके बारे में बातचीत के साथ ही वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के इंटरव्यू भी इस सीरीज का हिस्सा होंगे। विशेषज्ञों के माध्यम से चिड़ियों के जीवन को समझने की काशिश की जाएगी।
इस तरह आप बन सकते हैं इस सीरीज का हिस्सा
इस सीरीज के माध्यम में एनसीएफ श्रोताओं में चिड़ियों के प्रति जागरूकता लाना चाहता है ताकि उनके इस प्रयास से लोग चिड़ियों के संरक्षण के बारे में सोचने लगें। इस सीरीज का प्रसारण 24 मई से हफ्ते में दो बार मंगलवार और शुक्रवार को 90.4 मेगा हर्ट्ज पर सुबह 10.30 बजे और पुनः प्रसारण दोपहर 2.30 बजे होगा। इस कार्यक्रम को कुमाऊं वाणी के यूट्यूब चैनल पर भी लाइव देखा जा सकेगा।