पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और खेल मंत्रालय के बीच फिर से ठन सकती है। राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक के मसौदे में शामिल विवादास्पद नियम से दोनों के बीच तनातनी की वजह बन सकता है।
इस नियम के अनुसार केवल सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत आने वाले महासंघ ही अपनी टीम के लिए 'भारत' शब्द का उपयोग कर पाएंगे।
इस खेल विधेयक को अगर संसद ने पारित कर दिया तो बीसीसीआई को आरटीआई के दायरे में आना होगा।
ऐसे में अगर बीसीसीआई खुद को आरटीआई के दायरे में नहीं लाता है तो वह भारतीय शब्द का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। साथ ही भारतीय टीम अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में आधिकारिक तौर पर ‘भारत’ का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाएगी और उसके नाम से 'भारतीय' शब्द भी हटाना होगा।
अभी यह मसौदा लोगों की राय के लिए खेल मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया है।
क्या है मसौदे में
प्रस्तावित विधेयक के नियम(एच) में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करने और किसी खेल महासंघ के लिए खेलों में ‘भारत’ या ‘भारतीय’ का उपयोग करने का अधिकार रखने के लिए उस महासंघ को अध्याय चार (खेलों में अनैतिक गतिविधियां) और अध्याय नौ (सूचना के अधिकार के अधिनियम की प्रासंगिकता) का पालन करना होगा।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार केवल दो नियम बीसीसीआई पर लागू होंगे पहला आरटीआई (अध्याय नौ) और दूसरा नैतिकता (अध्याय चार) जुड़ा है। इसमें प्रतिबंधित पदार्थों का उपयोग और आचार संहिता भी शामिल हैं।
होने लगा है विरोध
इस पर विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं हालांकि बीसीसीआई के अंतरिम अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने अभी कोई टिपण्णी करने से इंकार कर दिया है।
जगमोहन डालमिया ने कहा कि जब तक मुझे मसौदा खेल विधेयक की प्रति नहीं मिलती तब तक इस पर टिप्पणी करना सही नहीं है। इसकी विस्तृत जानकारी हासिल कर लेने के बाद मैं बोर्ड के अन्य वरिष्ठ सदस्यों से चर्चा करके अंतिम फैसला करूंगा।
बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि हमने अभी तक किसी भी तरह के सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करने का रवैया अपनाया है। हम सरकार से कोई भी मदद नहीं लेते तो फिर आरटीआई के तहत आने का सवाल कैसे पैदा होता है।
बीसीसीआई मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल महासंघ नहीं है और वह सरकारी अनुदान नहीं लेता है ऐसे में वह सरकारी नियंत्रण में आने से इंकार करता रहा है।
इस संबंध में खेल सचिव पी के देब ने कहा है कि विधेयक पारित हो जाता है तो बीसीआई खुद ही इसके अंतर्गत आ जाएगा।
देब से यह पूछे जाने पर कि अगर बीसीसीआई इसके अंतर्गत आने से इंकार करता है तो क्या उसकी टीम 'भारत' का उपयोग नहीं कर पाएगी, उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लगता है लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और खेल मंत्रालय के बीच फिर से ठन सकती है। राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक के मसौदे में शामिल विवादास्पद नियम से दोनों के बीच तनातनी की वजह बन सकता है।
इस नियम के अनुसार केवल सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत आने वाले महासंघ ही अपनी टीम के लिए 'भारत' शब्द का उपयोग कर पाएंगे।
इस खेल विधेयक को अगर संसद ने पारित कर दिया तो बीसीसीआई को आरटीआई के दायरे में आना होगा।
ऐसे में अगर बीसीसीआई खुद को आरटीआई के दायरे में नहीं लाता है तो वह भारतीय शब्द का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। साथ ही भारतीय टीम अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में आधिकारिक तौर पर ‘भारत’ का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाएगी और उसके नाम से 'भारतीय' शब्द भी हटाना होगा।
अभी यह मसौदा लोगों की राय के लिए खेल मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया है।
क्या है मसौदे में
प्रस्तावित विधेयक के नियम(एच) में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करने और किसी खेल महासंघ के लिए खेलों में ‘भारत’ या ‘भारतीय’ का उपयोग करने का अधिकार रखने के लिए उस महासंघ को अध्याय चार (खेलों में अनैतिक गतिविधियां) और अध्याय नौ (सूचना के अधिकार के अधिनियम की प्रासंगिकता) का पालन करना होगा।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार केवल दो नियम बीसीसीआई पर लागू होंगे पहला आरटीआई (अध्याय नौ) और दूसरा नैतिकता (अध्याय चार) जुड़ा है। इसमें प्रतिबंधित पदार्थों का उपयोग और आचार संहिता भी शामिल हैं।
होने लगा है विरोध
इस पर विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं हालांकि बीसीसीआई के अंतरिम अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने अभी कोई टिपण्णी करने से इंकार कर दिया है।
जगमोहन डालमिया ने कहा कि जब तक मुझे मसौदा खेल विधेयक की प्रति नहीं मिलती तब तक इस पर टिप्पणी करना सही नहीं है। इसकी विस्तृत जानकारी हासिल कर लेने के बाद मैं बोर्ड के अन्य वरिष्ठ सदस्यों से चर्चा करके अंतिम फैसला करूंगा।
बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि हमने अभी तक किसी भी तरह के सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करने का रवैया अपनाया है। हम सरकार से कोई भी मदद नहीं लेते तो फिर आरटीआई के तहत आने का सवाल कैसे पैदा होता है।
बीसीसीआई मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल महासंघ नहीं है और वह सरकारी अनुदान नहीं लेता है ऐसे में वह सरकारी नियंत्रण में आने से इंकार करता रहा है।
इस संबंध में खेल सचिव पी के देब ने कहा है कि विधेयक पारित हो जाता है तो बीसीआई खुद ही इसके अंतर्गत आ जाएगा।
देब से यह पूछे जाने पर कि अगर बीसीसीआई इसके अंतर्गत आने से इंकार करता है तो क्या उसकी टीम 'भारत' का उपयोग नहीं कर पाएगी, उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लगता है लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।