लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स
लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें
आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) भारत की अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाली संस्था है, उसके अनुसार दिसंबर 2021 में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.9 फीसदी हो गई। नवंबर में यह 7 फीसदी थी। एक साल पहले दिसंबर 2020 में बेरोजगारी दर 9.1 फीसदी से ज्यादा थी। हाल के दिनों में अनुभव किए गए स्तरों की तुलना में भारत में बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है। 2018-19 में बेरोजगारी दर 6.3 फीसदी और 2017-18 में 4.7 फीसदी थी।
इधर कुछ दिन पहले बागपत के बड़ौत शहर में जूते के थोक व्यापारी ने फेसबुक लाइव पर कैमरे के सामने जहर खाकर सुसाइड करने की कोशिश की। व्यापारी को जहर खाता देख उनकी पत्नी ने जहर की पुड़िया छीनने को कोशिश की, लेकिन तब तक व्यापारी ने लोगों से वीडियो का वायरल करने की अपील करते हुए पानी के साथ जहर निगल लिया। इसके बाद उनकी पत्नी ने भी बचा हुआ जहर खा लिया। व्यापारी ने वीडियो में कहा कि सरकार छोटे दुकानदारों और किसानों की हितैषी नहीं है।
उत्तराखंड में रहने वाला 24 साल का सोनू बिष्ट एक साल से बेरोजगार था। उसके पिता नहीं थे और मां भी गंभीर रूप से बीमार थी। कुछ समय उसने सीटीआर निदेशक के कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर का कार्य किया, बाद में उसे हटा दिया गया। वह तीन-चार बार सेना में भर्ती के लिए भी गया पर भर्ती न हो पाया। पिछले साल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बिजरानी रेंज जंगल में उसका पेड़ से लटका शव मिला था, दुनिया छोड़ने से पहले उसने अपने शैक्षिक प्रमाण-पत्रों को भी जला दिया था।
संसद के बजट सत्र में बेरोजगारी पर चर्चा करते हुए सरकार ने राज्यसभा को बताया था कि 2018- 2020 के बीच देशभर में लगभग 25 हजार लोगों ने बेरोजगारी और कर्ज के बोझ के चलते आत्महत्या की हैं। जिसमें से 9,140 लोगों ने बेरोजगारी और 16,091 लोगों ने कर्ज के बोझ के चलते अपनी जान गवाई। एक लिखित उत्तर के जवाब में जानकारी देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए राज्यसभा को यह जानकारी दी।
कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी ने दो हिंदुस्तान की बात क्या कही थी, बवाल मच गया। बवाल इसलिए क्योंकि गरीबी और बेरोजगारी हमारे देश में कभी मुद्दा ही नहीं रही। हाल ही में निकली रेलवे भर्ती में कुल पदों की संख्या 1 लाख 40 हजार थी, लेकिन उसके लिए ढ़ाई करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। देश में बढ़ती बेरोजगारी का यह एक और ताजा उदाहरण है।
बेरोजगारी की परिभाषा समझना चाहें तो जब देश में कार्य करने वाली जनशक्ति अधिक होती है और काम करने पर राजी भी होती है परंतु उन्हें प्रचलित मजदूरी दर पर कार्य नहीं मिल पाता है तो इसी अवस्था को बेरोजगारी कहते हैं।
आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) भारत की अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाली संस्था है, उसके अनुसार दिसंबर 2021 में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.9 फीसदी हो गई। नवंबर में यह 7 फीसदी थी। एक साल पहले दिसंबर 2020 में बेरोजगारी दर 9.1 फीसदी से ज्यादा थी। हाल के दिनों में अनुभव किए गए स्तरों की तुलना में भारत में बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है। 2018-19 में बेरोजगारी दर 6.3 फीसदी और 2017-18 में 4.7 फीसदी थी।
आंकड़ों से साफ है कि कोरोना काल में बेरोजगारी बढ़ी है, यह हाल तब हुए जब केंद्र सरकार ने कोविड-19 के कारण बने आर्थिक हालात को संभालने और आम लोगों की मदद के लिए मई 2020 में 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी।
देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए कृषि क्षेत्र में भी चाहिए कोई- वर्गीज कुरियन
भारत में बढ़ती बेरोजगारी पर अर्थशास्त्री अरुण कुमार की टिप्पणी-
अरुण कुमार कहते हैं- जिस तरह की नीतियां हम अपना रहे हैं, उससे अर्थव्यवस्था में रोजगार नहीं पैदा होता है। सन् 1991 के बाद हमने नई आर्थिक नीतियों को अपनाया और उसके चलते जो ये सारी नीतियां हैं, ये प्रो बिजनेस नीतियां हैं, जिसको सप्लाई साइड कहते हैं। ये मार्केट के आधार पर है यानी कि बाजारीकरण के आधार पर है, बाजार आगे है और समाज पीछे है। बाजार की जो नीतियां होती हैं, उसमें डॉलर वोट चलता है। डॉलर वोट का मतलब है कि अगर मेरे पास एक डॉलर है तो एक वोट है और अगर एक लाख डॉलर है तो एक लाख वोट है।
Please wait...
Please wait...