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भालुओं का आतंक: मंदिर का गेट-दान पेटी तोड़ी, घर में घुसकर मचाया उत्पात, पांच घंटे बाद एक पकड़ा गया

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कांकेर Published by: मोहनीश श्रीवास्तव Updated Sat, 03 Dec 2022 08:32 PM IST
सार

कांकेर जिला मुख्यालय और आसपास के गांव में भालुओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। आए दिन भालू लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आरोप है कि वन विभाग रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। विभाग ने जो सालों पहले जामवंत योजना बनाई थी, वह भी फ्लॉप हो गई है। 
 

कांकेर में बस्ती में घूमता भालू।
कांकेर में बस्ती में घूमता भालू। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार

छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक बार फिर भालुओं ने जमकर उत्पात मचाया है। दो भालू पहले एक मंदिर में घुस गए। उन्होंने मंदिर का गेट और दान पेटी तोड़ डाली। इसके बाद अंदर भी सब सामान तहस-नहस कर दिया। शोरगुल सुनकर लोग एकत्र हुए तो दोनों भालू वहां से निकल भागे। वहीं शनिवार सुबह भी एक भालू मकान में घुस गया। करीब पांच घंटे की मशक्कत के बाद उसे रेस्क्यू किया जा सका। उसे जंगल में छोड़ा गया है। 








बाड़ी से भालू को भगाया तो ग्रामीण के घर में घुसा
जानकारी के मुताबिक, कोदगांव क्षेत्र में शनिवार सुबह करीब 7 बजे एक भालू ग्राम प्रमुख की बाड़ी में घुस गया। उसे देखते ही ग्रामीण वहां से भगाने के लिए एकत्र हुए, लेकिन भालु बस्ती की ओर भाग निकला। कहीं से रास्ता नहीं मिला तो ग्रामीण झाड़ूराम कोकिला के घर में घुस गया। भालु को घर में देख लोग जान बचाकर बाहर भागे। वहीं भालू कमरे में जाकर बैठ गया। इसके बाद ग्रामीणों ने वन विभाग को इसकी सूचना दी। 



घर में घुसकर गुड़, तेल खा रहे
वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और भालू को पकड़ने के लिए मकान के बाहर पिंजरा लगाया। करीब पांच घंटे तक वन विभाग की टीम जुटी रही, इसके बाद भालू पकड़ा जा सका। उसे बंद कर गांव से दूर जंगल में छोड़ने की बात कही जा रही है। ग्रामीण लकेश कुमार आरदे व अन्य ने बताया कोदागांव के जंगल और पहाड़ी पर बड़ी संख्या में भालू हैं। आए दिन बस्ती में घुसते हैं। घर में आकर घुसकर तेल, गुड़ खा जाते हैं। 



प्रसाद खा गए, दिये का तेल तक पी गए
वहीं शुक्रवार देर रात करीब 11 बजे दो भालू राजपारा बस्ती में पहुंच गए। वहां मावली मंदिर का भालुओं ने गेट तोड़ दिया। इसके बाद अंदर घुस गए और वहां भी तोड़फोड़ की। मंदिर में रखा प्रसाद का नारियल खा गए। दिये का तेल पी गए। तोड़फोड़ की आवाज सुनकर ग्रामीणों की भीड़ मंदिर के बाहर एकत्र हो गए। इसके बाद भालू वहां से निकले और पहाड़ की ओर चले गए। करीब एक घंटे तक भालु उत्पात मचाते रहे। 



पहली बार मंदिर में घुसकर मचाया उत्पात
वार्डवासियों ने बताया इलाके में आए दिन भालू आते रहते हैं, लेकिन इस तरह कभी भी उत्पात नहीं मचाया था। पहली बार है जब गेट को तोड़ वे मंदिर के अंदर घुस गए और तोड़फोड़ की। वन विभाग को चाहिए भालुओं को बस्ती से दूर ले जाने का इंतजाम करें। राजापारा में भालू के अलावा तेंदुआ भी भोजन की तलाश में भटकता रहता है। दोनों से हमेशा वार्डवासियों से पर खतरा मंडराता रहता है। 

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