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Supreme Court: आरबीआई व सीबीआई को नोटिस, सुब्रमण्यम स्वामी ने बैंक लोन फ्रॉड मामले में दायर की थी याचिका
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विवेक दास
Updated Mon, 17 Oct 2022 12:12 PM IST
सार
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Supreme Court: न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो और भारतीय रिजर्व बैंक को नोटिस जारी कर स्वामी की याचिका पर उनसे जवाब मांगा है। पीठ ने कहा, 'हम विचार करेंगे। नोटिस जारी करें।'
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से दाखिल एक मामले में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ओर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया है। बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर बैंक ऋण धोखाधड़ी मामलों में आरबीआई के नामित निदेशक की कथित भूमिका की सीबीआई जांच की मांग की थी।
बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर कर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिकारियों के खिलाफ बैंक घोटालों में कथित संलिप्तता के लिए उच्च स्तरीय जांच की मांग की की थी। उन्होंने जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी से जांच कराने की मांग की थी।
पिछले वर्ष अधिवक्ता एमआर वेंकटेश और अधिवक्ता सत्यपाल सभरवाल के माध्यम से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया था कि पिछले कुछ वर्षों में बैंक धोखाधड़ी के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन आरबीआई के किसी भी अधिकारी को घोटालों का पता लगाने में विफल रहने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो और भारतीय रिजर्व बैंक को नोटिस जारी कर स्वामी की याचिका पर उनसे जवाब मांगा है। पीठ ने कहा, 'हम विचार करेंगे। नोटिस जारी करें।'
स्वामी ने याचिका में कहा, "ये घोटाले आरबीआई के अधिकारियों की सक्रिय मिलीभगत के कारण हुए हैं, जो विभिन्न कानूनों के तहत पर्याप्त शक्तियों के साथ इन घोटालों को रोकने में विफल रहे हैं।" वरिष्ठ भाजपा नेता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि किंगफिशर, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यस बैंक जैसी विभिन्न संस्थाओं से जुड़े घोटालों में आरबीआई के अधिकारियों की संलिप्तता की जांच नहीं की गई थी।
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याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि आरबीआई के अधिकारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, बैंकिंग विनियमन अधिनियम और भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम सहित कानूनों के प्रत्यक्ष उल्लंघन में प्रत्यक्ष सक्रिय मिलीभगत से काम किया।
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