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RBI Digital Currency: देश के चार शहरों में खुदरा डिजिटल रुपया लॉन्च, जानें किन बैंकाें के जरिए होगा लेन-देन?
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विवेक दास
Updated Thu, 01 Dec 2022 11:21 PM IST
सार
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RBI Digital Currency Launched: आरबीआई ने मुंबई, नयी दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में खुदरा डिजिटल रुपये की पहली खेप लॉन्च कर दी है। इस पायलट प्रोजेक्ट में सरकारी और निजी क्षेत्र के चार बैंक एसबीआई, आईसीआईसीआई, यस बैंक व आईडीएफसी फर्स्ट को शामिल किया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने खुदरा डिजिटल रुपये की पेशकश के लिए पहली पायलट परियोजना गुरुवार (1 दिसंबर 2022) को मुंबई, नयी दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में शुरू कर दी है। खुदरा डिजिटल रुपया परियोजना एक सीमित उपयोगकर्ता समूह के बीच शुरू हुई है, जिसमें चार बैंकों भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के साथ ग्राहक और व्यापारी इसका लेनदेन कर सकेंगे। यह लेनदेन पी2पी (Person to Person) और पी2एम (Person to Merchant) दोनों को ही किए जा सकेंगे।
पहले चरण में चार बैंकों के माध्यम से होगा डिजिटल रुपये का लेन-देन
SBI Technology Opportunities Fund Direct Growth Mutual Fund
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खुदरा डिजिटल रुपये के पहले पायलट प्रोजेक्ट में सरकारी और निजी क्षेत्र के चार बैंक एसबीआई, आईसीआईसीआई, यस बैंक एवं आईडीएफसी फर्स्ट शामिल होंगे। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) एक डिजिटल टोकन के रूप में जारी होगा और यह एक लीगल टेंडर होगा यानी इसे कानूनी मुद्रा माना जाएगा। ई-रूपी को उसी मूल्य पर जारी किया जाएगा, जिस पर वर्तमान में करेंसी नोट और सिक्के जारी होते हैं।
भरोसा और सुरक्षा जैसी खूबियों से लैस होगी आरबीआई की डिजिटल करेंसी
Digital Currency- New
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आरबीआई ने इससे पहले मंगलवार (29 नवंबर 2022) को कहा था कि एक दिसंबर को बंद उपयोगकर्ता समूह (सीयूजी) में चुनिंदा जगहों पर खुदरा डिजटल रुपये का परीक्षण किया जाएगा। यह ई-रुपया भौतिक मुद्रा की तरह ही भरोसे, सुरक्षा और अंतिम समाधान (सेटलमेंट) जैसी खूबियों से लैस है। पायलट प्रोजेक्ट वास्तविक समय में डिजिटल रुपये के निर्माण, वितरण और खुदरा उपयोग की पूरी प्रक्रिया की मजबूती का परीक्षण करेगा। इससे पहले एक नवंबर से इसके थोक इस्तेमाल का पायलट परीक्षण शुरू हो चुका है। डिजिटल रूपी में करेंसी नोट वाले सभी फीचर होंगे। लोग डिजिटल रूपी को नकदी में बदल सकेंगे। खास बात है कि क्रिप्टोकरेंसी के उलट इसके मूल्य में कोई उतार-चढ़ाव नहीं आएगा। डिजिटल रुपये पर कोई ब्याज देय नहीं है, साथ ही इसे बैंक जमा जैसे अन्य नकदी रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।'
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC क्या है?
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यह कैश यानी नकद का इलेक्ट्रॉनिक रूप है। जैसे आप कैश का लेन-देन करते हैं, वैसे ही आप डिजिटल करेंसी का लेन-देन भी कर सकेंगे। CBDC कुछ हद तक क्रिप्टोकरेंसी (बिटकॉइन या ईथर जैसी) जैसे काम करती है। ।
कैसे काम करेगा डिजिटल रुपया?
Indian Currency
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) ब्लॉकचेन जैसी तकनीक पर (Blockchain Technology) पर आधारित करेंसी होगी। जहां होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल जहां वित्तीय संस्थाएं (जैसे बैंक) करती हैं, वहीं रिटेल करेंसी का उपयोग आम आदमी कर सकेगा। भारतीय करेंसी का डिजिटल स्वरूप E-Rupee को फिलहाल चार बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाएगा। यह करेंसी इन बैंकों की ओर से उपलब्ध एप्स में सुरक्षित होगा। यूजर्स बैंकों की ओर से उपलब्ध एप्स, मोबाइल फोन और डिवाइस में स्टोर्ड डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ई-रुपये के साथ लेनदेन कर सकेंगे। इसे आसानी से मोबाइल फोन से से एक दूसरे को भेजा जा सकेगा और और हर तरह के सामान खरीदे जा सकेंगे। इस डिजिटल रुपये को पूरी तरह से भारतीय रिजर्व बैंक की रेग्युलेट करेगा।
डिजिटल वॉलेट से लेनदेन: डिजिटल रुपये को मोबाइल फोन और दूसरे उपकरणों में रखा जा सकेगा। इसे बैंकों के जरिये वितरित किया जाएगा। उपयोगकर्ता पायलट परीक्षण में शामिल होने वाले बैंकों की ओर से मिलने वाले डिजिटल वॉलेट के जरिये ई-रूपी में लेनदेन कर सकेंगे।
क्यूआर कोड से भुगतान: आरबीआई ने कहा, ई-रूपी के जरिये व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से मर्चेंट (पी2एम) दोनों के रूप में लेनदेन कर सकेंगे। मर्चेंट यानी व्यापारियों के यहां लगे क्यूआर कोड के माध्यम से भुगतान किया जा सकेगा।
नहीं मिलेगा कोई ब्याज: नकदी की तरह ही धारक को डिजिटल मुद्रा पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। इसे बैंकों के पास जमा के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्या होगा डिजिटल रुपये का फायदा?
बैंकों को पैसा हस्तांतरित करने में आसानी, मुद्रा छापने का खर्च घटेगा, अवैध मुद्रा की रोकथाम, आसान टैक्स वसूली, काले धन व मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगेगी। ई-रूपी भरोसा, सुरक्षा, अंतिम समाधान जैसी खूबियों से लैस है। ई-रूपी उसी मूल्य पर जारी होगा, जिस पर वर्तमान में करेंसी नोट और सिक्के जारी होते हैं।
डिजिटल रुपया डिजिटल भुगतान या यूपीआई से कैसे अलग है?
भारत में जब से यूपीआई के माध्यम से भुगतान की शुरुआत हुई है ज्यादातर लोगों ने नकद रखना बंद कर दिया है। नकद के स्थान पर अब लोग यूपीआई का इस्तेमाल कर भुगतान करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। एक दिसंबर से आरबीआई अपनी रिटेल डिजिटल करेंसी भी लॉन्च कर देगा, ऐसे में यह जानना जरूरी है कि डिजिटल करेंसी यानी सीबीडीसी और यूपीआई के माध्यम से भुगतान यानी पेटीएम, गूगल पे और फोन पे जैसे ऐप्स से भुगतान में क्या अंतर है?
डिजिटल रुपये के संबंध में आरबीआई ने कहा है कि पायलट प्रोजेक्ट में शामिल बैंकों के डिजिटल वॉलेट के माध्यम से सीबीडीसी का लेन-देन किया जा सकेगा। डिजिटल रुपये को आरबीआई की ओर से ऑपरेट और मॉनिटर किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर यूपीआई भुगतान डायरेक्ट बैंक अकाउंट टू बैंक अकाउंट ट्रांसफर होता है। यूपीआई को अलग-अलग बैंक हैंडल करते हैं। उन बैंकों की निगरानी का काम आरबीआई करता है। यहां निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखना जरूरी है।
यह समझना बेहद जरूरी है कि ज्यादातर डिजिटल पेमेंट्स चेक की तरह काम करते हैं। आप बैंक को निर्देश देते हैं। वह आपके अकाउंट में जमा राशि से ‘वास्तविक’ रुपये का पेमेंट या ट्रांजैक्शन करता है। हर डिजिटल ट्रांजैक्शन में कई संस्थाएं, लोग शामिल होते हैं, जो इस प्रोसेस को पूरा करते हैं।
उदाहरण के लिए अगर आपने क्रेडिट कार्ड से कोई पेमेंट किया तो क्या तत्काल सामने वाले को मिल गया? नहीं। डिजिटल पेमेंट सामने वाले के अकाउंट में पहुंचने के लिए एक मिनट से 48 घंटे तक ले लेता है। यानी पेमेंट तत्काल नहीं होता, उसकी एक प्रक्रिया है।
जब आप डिजिटल करेंसी या डिजिटल रुपया की बात करते हैं तो आपने भुगतान किया और सामने वाले को मिल गया। यह ही इसकी खूबी है। अभी हो रहे डिजिटल ट्रांजैक्शन किसी बैंक के खाते में जमा रुपये का ट्रांसफर है। पर CBDC तो करेंसी नोट्स की जगह लेने वाले हैं।
यह डिजिटल रुपया बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग होगा?
डिजिटल करेंसी का कंसेप्ट नया नहीं है। यह बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से आया है, जो 2009 में लॉन्च हो गई थी। इसके बाद ईथर, डॉजकॉइन से लेकर पचासों क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च हो चुकी हैं। पिछले कुछ वर्षों में यह एक नए असेट क्लास के रूप में विकसित हुई है, जिसमें लोग इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं।
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी प्राइवेट लोग या कंपनियां जारी करती हैं। इससे इसकी मॉनिटरिंग नहीं होती। गुमनाम रहकर भी लोग ट्रांजैक्शन कर रहे हैं, जिससे आतंकी घटनाओं व गैरकानूनी गतिविधियों में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल हो रहा है। इन्हें किसी भी केंद्रीय बैंक का सपोर्ट नहीं है। यह करेंसी लिमिटेड है, इस वजह से सप्लाई और डिमांड के अनुसार इसकी कीमत घटती-बढ़ती है। एक बिटकॉइन की वैल्यू में ही 50% तक की गिरावट दर्ज हुई है।
जब आप प्रस्तावित डिजिटल रुपया की बात करते हैं तो हमारे यहां इसे रिजर्व बैंक लॉन्च कर रहा है। न तो क्वांटिटी की सीमा है और न ही फाइनेंशियल और मौद्रिक स्थिरता का मुद्दा। एक रुपये का सिक्का और डिजिटल रुपया समान ताकत रखता है। पर डिजिटल रुपये की मॉनिटरिंग हो सकेगी और किसके पास कितने पैसे हैं, यह रिजर्व बैंक को पता होगा।
डिजिटल रुपये को क्रिप्टोकरेंसी की तरह खरीदा या बेचा नहीं जा सकेगा बल्कि यह नकद के विकल्प के रूप में काम करेगा।
क्या अब तक किसी देश ने डिजिटल करेंसी लॉन्च की है?
हां। छह साल की रिसर्च के बाद पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने अप्रैल 2020 में दो पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए। लॉटरी सिस्टम से ई-युआन बांटे गए। जून 2021 तक 2.4 करोड़ लोगों और कंपनियों ने e-CNY यानी डिजिटल युआन के वॉलेट बना लिए थे।
चीन में 3450 करोड़ डिजिटल युआन (40 हजार करोड़ रुपये) का लेन-देन यूटिलिटी बिल्स, रेस्टोरेंट व ट्रांसपोर्ट में हो चुका है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट कहती है कि 2025 तक डिजिटल युआन की चीनी इकोनॉमी में हिस्सेदारी 9% तक हो जाएगी। अगर सफल रहा तो चीन पूरी दुनिया में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लॉन्च करने वाला पहला देश बन जाएगा।
जनवरी 2021 में बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स ने बताया कि दुनियाभर के 86% केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे हैं। बाहमास ने अक्तूबर 2020 में सबसे पहले ‘सैंड डॉलर’ नाम से सीबीडीसी शुरू की। जमैका, नाइजीरिया समेत 8 पूर्वी कैरेबियाई देशों में भी लॉन्च।
कनाडा, जापान, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, यूके और यूनाइटेड स्टेट्स के साथ-साथ यूरोपीय यूनियन भी बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के साथ मिलकर डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे हैं।
15 देश अभी परख रहे हैं : रूस, चीन, सऊदी अरब, यूएई, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, हांगकांग, थाईलैंड, सिंगापुर, मलयेशिया, यूक्रेन, कजाखस्तान, द. अफ्रीका, घाना शामिल। भारत सहित 26 देश अभी तक विकास के चरण में थे।
डिजिटल करेंसी से चार बड़े फायदे हैं-
एफिशियंसीः यह कम खर्चीली है। ट्रांजैक्शन भी तेजी से हो सकते हैं। इसके मुकाबले करेंसी नोट्स का प्रिटिंग खर्च, लेन-देन की लागत भी अधिक है।
फाइनेंशियल इनक्लूजनः डिजिटल करेंसी के लिए किसी व्यक्ति को बैंक खाते की जरूरत नहीं है। यह ऑफलाइन भी हो सकता है।
भ्रष्टाचार पर रोकः डिजिटल करेंसी पर सरकार की नजर रहेगी। डिजिटल रुपये की ट्रैकिंग हो सकेगी, जो कैश के साथ संभव नहीं है।
मॉनेटरी पॉलिसीः रिजर्व बैंक के हाथ में होगा कि डिजिटल रुपया कितना और कब जारी करना है। मार्केट में रुपये की अधिकता या कमी को मैनेज किया जा सकेगा।
पहली बार बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने की थी डिजिटल करेंसी की घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट पेश करने के दौरान एक बड़ा एलान डिजिटल करेंसी को लेकर किया था। वित्त मंत्री के एलान के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा।
डिजिटल रुपये पर क्या है बाजार की राय?
RBI launches New UPI system UPI123pay
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डिजिटल रुपये के बारे में पे-मी के सीईओ और संस्थापक महेश शुक्लाका मानना है कि डिजिटल रुपया, पारंपरिक मुद्रा का एक डिजिटल संस्करण है जिसका लोग रोजाना उपयोग करते हैं। इस तरीके से आप पैसे को डिजिटल फॉर्मेट में सुरक्षित रख सकते हैं। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है, जिसमें रुपये को एक क्रिप्टोकरेंसी की तरह माना जाता है, जो मुद्रा रखरखाव की लागत को कम करता है। इससे आपको सुरक्षा तो मिलेगी ही साथ ही सरकार को भविष्य में कम नोट बनाने की जरुरत पड़ेगी क्योंकि डिजिटल रुपये को नकद मुद्रा का ही रूप माना जाएगा। वहीं, फिनवे एफएससीकेसीईओ रचित चावला के अनुसार, ई-रुपया, डिजिटल टोकन का एक नया रूप है। यह क्रिप्टोकरेंसी से अलग है क्योंकि इसे पारंपरिक मुद्रा वाले मूल्यवर्ग में ही जारी किया जाता है और क्रिप्टोकरेंसी का अपना मूल्यवर्ग है। उदाहरण के लिए, बिटकॉइन इकाई में 0.001 मूल्यवर्ग हो सकता है जबकि डिजिटल मुद्रा 1, 5, 10, 20, 50 और भौतिक मुद्रा के लिए उपलब्ध अन्य मूल्यवर्ग में उपलब्ध होगी। डिजिटल रुपये का उपयोग करके आप किसी भी व्यक्ति को पैसे भेज सकते हैं या किसी भी बिल का भुगतान कर सकते हैं।
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