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Adani-Hindenburg Row: कांग्रेस बोली- करोड़ों पॉलिसी होल्डर्स की खतरे में है कमाई, JPC की मांग पर विपक्ष एकजुट

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Thu, 02 Feb 2023 05:23 PM IST
सार

Adani-Hindenburg Row: कांग्रेस पार्टी के नेता पवन खेड़ा ने एक प्रेसवार्ता में कहा, एलआईसी और एसबीआई में जमा हिस्से को प्रधानमंत्री ने एक ऐसे समूह के हवाले कर दिया, जिस पर इस देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट फ्रॉड का आरोप लगा है। करोड़ों भारतीयों की जमा पूंजी डुबाने में साहेब ने कोई कसर नहीं छोड़ी है...

Adani-Hindenburg Row
Adani-Hindenburg Row - फोटो : Amar Ujala

विस्तार

संसद के बजट सत्र का दूसरा दिन विपक्षी दलों के हंगामे की भेंट चढ़ गया। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के चलते अदाणी प्रकरण को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, अदाणी प्रकरण की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित की जाए या सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई की देखरेख में इस मामले की जांच हो। इसी मुद्दे पर पहले दोनों सदनों की कार्यवाही को दोपहर दो बजे तक स्थगित किया गया और उसके बाद शुक्रवार सुबह 11 बजे तक कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इस मामले ने विपक्ष को सरकार के खिलाफ एकजुट होने का मौका दे दिया है। 'हिंडनबर्ग रिपोर्ट' पर कांग्रेस ने कहा, करोड़ों पॉलिसी होल्डर्स की गाढ़ी कमाई खतरे में है।  

संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग

'हिंडनबर्ग रिपोर्ट' से पहले तक विपक्ष के पास, केंद्र सरकार को घेरने के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं था। हालांकि कांग्रेस पार्टी, चीन की घुसपैठ को लेकर मुखर थी। सरकार के खिलाफ समूचा विपक्ष, किसी एक मंच पर खड़ा नजर नहीं आ रहा था। कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा, जब श्रीनगर में संपन्न हुई, तो वहां लगभग 21 दलों को निमंत्रण भेजा गया था। तब वहां पहुंचने वाली पार्टियों की संख्या दर्जनभर तक भी नहीं पहुंच सकी। इसे लेकर भाजपा का चेहरा खिल उठा था। अब 'हिंडनबर्ग रिपोर्ट' ने विपक्ष को एकजुट होने का अवसर प्रदान कर दिया है। धीरे-धीरे विपक्ष एकजुट हो रहा है। गुरुवार को इस मामले की जांच को लेकर विपक्ष ने सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, इस मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाना चाहिए। बतौर तिवारी, सवाल केवल एक प्रमोटर के बारे में नहीं है, बल्कि ये पूरे रेग्युलेटरी सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है।

29 करोड़ पॉलिसी होल्डर व 45 करोड़ खाताधारकों को धोखा

कांग्रेस पार्टी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने एक प्रेसवार्ता में कहा, एलआईसी और एसबीआई में जमा हिस्से को प्रधानमंत्री ने एक ऐसे समूह के हवाले कर दिया, जिस पर इस देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट फ्रॉड का आरोप लगा है। करोड़ों भारतीयों की जमा पूंजी डुबाने में साहेब ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अदाणी पर जो आरोप लगे हैं, उसकी जांच कब होगी। मोदी सरकार ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर ऐसे चुप्पी साधी हुई है, जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं है। पीएम को कम से कम भारत के निवेशकों, जिसमें एलआईसी के 29 करोड़ पॉलिसी होल्डर और एसबीआई के 45 करोड़ खाताधारक शामिल हैं, उन्हें धोखा मत दीजिये। गुरुवार को दोनों सदनों की कार्यवाही से पहले मल्लिकार्जुन खरगे ने विपक्ष के कई दलों के नेताओं के साथ बैठक की है।  

पवन खेड़ा ने लगाया सबसे बड़े कॉर्पोरेट फ्रॉड का आरोप

कांग्रेस नेता ने कहा, अमेरिका की प्रतिष्ठित हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट ने अदाणी समूह पर इस देश के अब तक के सबसे बड़े कॉर्पोरेट फ्रॉड का आरोप लगाया है। इस रिपोर्ट में 42 गुना ओवरवैल्यूड शेयर, डेब्ट फ्यूएलड बिजनेस, अदाणी परिवार के सदस्यों द्वारा कथित तौर पर मॉरीशस, यूएई और कैरेबियन द्वीप समूह जैसे टैक्स-हेवन में बेनामी शेल कंपनियों के माध्यम से एक विशाल मायाजाल द्वारा अरबों रुपये के काले धन का खुलासा हुआ है।

इसमें इंसाइडर ट्रेडिंग और स्टॉक मैनिपुलेशन के गंभीर आरोप लगे हैं। एलआईसी और एसबीआई जैसे सरकारी संस्थानों में अदाणी समूह का बेहद जोखिम भरा लेन-देन है। मोदी सरकार द्वारा अदाणी समूह की कंपनियों में इन संस्थानों का निवेश किया गया है। अदाणी समुह की कंपनियों में एलआईसी की कुल हिस्सेदारी बीमा कंपनी के एयूएम (असेट अंडर मैनेजमेंट) के एक फीसदी से भी कम है। वहीं अदाणी समुह की अलग-अलग कंपनियों की बात करें, तो अदाणी एंटरप्राइजेज में एलआईसी की हिस्सेदारी 4.23 फीसदी है। अदाणी टोटल गैस में यह हिस्सेदारी 1 फीसदी से बढ़कर 5.96 फीसदी पर पहुंच गई है। अदाणी ट्रांसमिशन में एलआईसी की शेयरधारिता 2.42 फीसदी से बढ़कर 3.65 फीसदी हो गई है। अदाणी ग्रीन एनर्जी में यह हिस्सेदारी 1 फीसदी से बढ़कर 1.28 फीसदी हो चुकी है। एलआईसी का आधिकारिक रूप से कहना है कि उनका अदाणी में इक्विटी एक्सपोजर 56,142 करोड़ रुपये का है। कंपनी के शेयर गिरने के सिलसिले में गुरुवार तक एलआईसी के 39 करोड़ पॉलिसी धारकों और निवेशकों के 33,060 करोड़ रुपये डूब चुके हैं।

चांग चुंग-लिंग, चीनी बिजनेसमैन से क्या है रिश्ता?

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और अन्य भारतीय बैंकों ने अदाणी समूह को ऋण दिया है। अदाणी समूह पर भारतीय बैंकों का करीब 80,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जो समूह के कुल कर्ज का 38 फीसदी है। इसमें निजी बैंकों का जोखिम कुल समूह ऋण के 8 फीसदी है, जबकि सरकारी बैंकों के पास समूह ऋण का 30 फीसदी है। चांग चुंग-लिंग, एक चीनी बिजनेसमैन, जिसकी संदिग्ध गतिविधियों से भारतीय जांच एजेंसी वाकिफ हैं, उसका और अदाणी समूह में क्या रिश्ता है। चांग चुंग-लिंग, गुडामी इंटरनेशनल नाम की एक संस्था चलाता है (या चलाता था)। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि गुडामी इंटरनेशनल पीटीई लिमिटेड को 'अदाणी समूह के रत्नों के कथित परिपत्र व्यापार में सरकारी धोखाधड़ी की जांच के हिस्से के रूप में पहचाना गया था। चांग चुंग-लिंग और विनोद अदाणी के सिंगापुर के घर का पता एक ही है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के अनुसार, यह एक महत्वपूर्ण मामला है, न केवल शेयरधारकों के लिए, बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी। अब सिटीग्रुप की धन शाखा ने अदाणी सिक्योरिटीज को मार्जिन ऋणों के लिए कोलेट्रल के रूप में स्वीकार करना बंद कर दिया है। क्रेडिट सुइस ने कहा था कि वह अदाणी बांड को कोलेट्रल के रूप में स्वीकार नहीं करेगा।

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चुनिंदा अरबपतियों को नियम बदलकर फायदा

कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार से मांग की है कि इस केस की जेपीएस के माध्यम से जांच कराई जाए। बतौर पवन खेड़ा, ये बात किसी से छिपी नहीं है कि मोदी सरकार ने किस तरह से अपने परम मित्र अदाणी की मदद की है। इस समूह के डूबने से देश की संपत्ति दांव पर है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की देख-रेख में निष्पक्ष जांच हो। इसकी रिपोर्ट दिन-प्रतिदिन सार्वजनिक हो। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की विस्तार से जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाना चाहिए। एलआईसी, एसबीआई और अन्य राष्ट्रीय बैंकों में जो अदाणी का जोखिम भरा निवेश है, उस पर संसद में गहन रूप से चर्चा की जाए। निवेशकों को सुरक्षित करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिएं। पवन खेड़ा ने कहा, हमारी पार्टी, क्रोनी कैपिटलिज्म के खिलाफ है। चुनिंदा अरबपतियों को जब नियम बदलकर फायदा पहुंचाया जाता है, हम उसके खिलाफ हैं।

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