कोई रेलवे स्टेशन किसी एक लड़की की वजह से बंद हो जाए, यह सुनने में बड़ा अजीब सा लगता है और वो भी तब जब स्टेशन को खुले अभी महज सात साल ही हुए हों। आपको शायद यह मजाक लग रहा होगा, लेकिन यह बिल्कुल सच है। यह रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में है, जिसका नाम है बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन।
यह रेलवे स्टेशन साल 1960 में खुला था। इसे खुलवाने में संथाल की रानी श्रीमति लाचन कुमारी का अहम योगदान रहा है। यह स्टेशन खुलने के बाद कुछ सालों तक तो सबकुछ ठीक रहा, लेकिन बाद में यहां अजीबोगरीब घटनाएं घटने लगीं। साल 1967 में बेगुनकोडोर के एक रेलवे कर्मचारी ने स्टेशन पर एक महिला का भूत देखने का दावा किया। साथ ही यह अफवाह भी उड़ी कि उसकी मौत उसी स्टेशन पर एक ट्रेन दुर्घटना में हो गई थी। अगले दिन उस रेलवे कर्मचारी ने लोगों को इसके बारे में बताया, लेकिन उन्होंने उसकी बातों को अनदेखा कर दिया।
असली परेशानी तो तब शुरू हुई जब उस वक्त के बेगुनकोडोर के स्टेशन मास्टर और उनका परिवार रेलवे क्वार्टर में मृत अवस्था में पाया गया। यहां रहने वाले लोगों का दावा था कि इन मौतों में उसी भूत का हाथ था। उनका कहना था कि सूरज ढलने के बाद जब भी कोई ट्रेन यहां से गुजरती थी तो महिला का भूत उसके साथ-साथ दौड़ने लगता था और कभी-कभी तो ट्रेन से भी तेज दौड़कर उसके आगे निकल जाता था। इसके अलावा कई बार उसे ट्रेन के आगे पटरियों पर भी नाचते हुए देखे जाने का दावा किया गया था।
इन खौफनाक घटनाओं के बाद बेगुनकोडोर को भूतिया रेलवे स्टेशन माना जाने लगा और यह रेलवे के रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया। लोगों के अंदर इस महिला का भूत का इतना खौफ बढ़ चुका था कि वो इस स्टेशन पर आने से कतराने लगे। धीरे-धीरे यहां लोगों का आना-जाना बंद हो गया। यहां तक कि स्टेशन पर काम करने वाले रेलवे कर्मचारी भी डर के मारे भाग गए।
कहते हैं कि जब भी किसी रेलवे कर्मचारी की बेगुनकोडोर स्टेशन पर पोस्टिंग होती, वो तुरंत ही यहां आने से मना कर देता। यहां तक कि इस स्टेशन पर ट्रेनों का रुकना भी बंद हो गया, क्योंकि डर के मारे न तो कोई यात्री यहां उतरना चाहता था और न ही कोई इस स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने के लिए ही आता था। इसके बाद से पूरा का पूरा स्टेशन ही सूनसान हो गया।