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Bihar Vidhan Sabha : जहां बांटने के लिए बजट की भी कॉपी पर्याप्त नहीं, वहां गाड़ी भरकर बैग!

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना Published by: कुमार जितेंद्र ज्योति Updated Thu, 16 Mar 2023 04:28 PM IST
सार

Gift Bags for whom and why : गुरुवार को सामने आई यह तस्वीरें। गाड़ी भरकर बैग आए। जिस बिहार विधानमंडल में पेश बजट बुक की पर्याप्त कॉपी पत्रकारों के लिए नहीं आती, वहां यह बैग! यह भी बड़ी रोचक हकीकत है।

Bihar Vidhan sabha live today gift bags, budget copy and printed answer of session not available
उपहारों के कारण चर्चित रहा है बिहार विधानमंडल। - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

बिहार विधानसभा में 28 फरवरी को वित्त मंत्री ने बजट पेश किया और उसके बाद अब विभागवार बजट पेश किए जा रहे हैं। बजट की किताबों का आकार पहले के मुकाबले छोटा होता जा रहा। वह भी कई स्तरीय मीडिया ब्रांड को नहीं मिल पाता, क्योंकि यह सूची कथित रूप से कुछ खास लोग खास नजरिए से बनाते हैं। 20-25 साल अनुभव वाले पत्रकार भी बजट की कॉपी के लिए जुगाड़ लगाते नजर आते हैं और कई बड़े मीडिया ब्रांड के रिपोर्टरों को यह नहीं मिल पा रहा है। और, इस बीच गुरुवार को सामने आई यह तस्वीरें। गाड़ी भरकर बैग आए। जहां बजट बुक की पर्याप्त कॉपी नहीं आती, वहां यह बैग! यह भी बड़ी रोचक हकीकत है।

Bihar Vidhan sabha live today gift bags, budget copy and printed answer of session not available
गाड़ी भरकर बैग आया तो अंदर के उपहारों की चर्चा बाहर ज्यादा। - फोटो : अमर उजाला
ओवन बांटने-लौटाने का खेल यहीं चर्चा में आया था
यह कहानी अमूमन पत्रकार लिखते नहीं हैं। वह तो खासकर नहीं, जो यहां अपना प्रभाव रखते हैं या जिन ब्रांड के रिपोर्टर यहां रिपोर्टिंग के लिए प्रवेश पा चुके। मतलब बताने की जरूरत नहीं, लेकिन 'अमर उजाला’ इस हकीकत को छिपाना नहीं चाहता। बिहार विधानसभा और विधान परिषद् में प्रवेश का कार्ड बनाने से यह खेल शुरू होता है और बजट के दौरान यह खूब चलता रहता है। यह खेल इतना बड़ा है कि एक बार यहां एक मंत्री ने अपने बजट के मद्देनजर उपकृत करने के लिए माइक्रोवेव ओवन मंगाए और बवाल हुआ तो बाहरी तौर पर लौटा भी लिया। ब्रीफकेस बांटने की खबर पर भी इसी तरह का बवाल हो चुका है। वर्षों से यह परंपरा चल रही है, कभी सामने तो कभी छिपाकर।

Bihar Vidhan sabha live today gift bags, budget copy and printed answer of session not available
ज्यादातर प्रश्नों का छपा हुआ जवाब नहीं मिलने से जानकारी नहीं पहुंचती। - फोटो : अमर उजाला
जरूरत तो सिर्फ किताब और जवाब की है
गुरुवार को बिहार विधानसभा में हंगामे से ज्यादा बैगों की चर्चा थी। ऐसे बैग अब जल्दी खुलकर नहीं लाए जाते, इसलिए यह चर्चा में रहा। गाड़ी से बैग आया और कई लोग उसे सदन में ले जाते नजर आए। लेकिन, विधानसभा या विधान परिषद् सदस्यों के साथ पत्रकारों को जरूरत सिर्फ पर्याप्त संख्या में बजट बुक्स और सदस्यों के सवालों पर मंत्रियों के जवाब की प्रिंटेड कॉपी की है। जो भी मीडिया यहां से कवरेज कर रहा हो, उसे इसकी जरूरत होती है। शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर की ओर से बजट पेश किए जाने के बाद कॉपी नहीं मिलने तक पटना के दो वरिष्ठ पत्रकारों को शिक्षा विभाग तक दौड़ लगानी पड़ी। बजट की कॉपी जिस सहायक के हाथों बांटी जा रही थी, उसने 20 साल से सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का पहचान पत्र रखने वाले पत्रकार को टहला दिया कि सूची में आपका नाम नहीं है। ऐसी घटनाएं रोज सामने आ रही हैं। इस बार एक बड़ा संकट यह भी है कि विधानसभा में अध्यक्ष हर विधायक के उठते ही कह दे रहे कि सवाल का जवाब आपको मिल चुका है, पूरक पूछिए। विधायकों को भले जवाब मिल चुके हैं, लेकिन मीडिया को यह नहीं मिल रहे। न तो सदन में जवाब दिया जा रहा है और न प्रिंट में यह मिल रहा है।
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