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Hindi News ›   Bihar ›   BIHAR: Still not accepting death due to spurious alcohol, confirming 26 deaths, we have 48 names

Bihar Hooch Tragedy: जहरीली शराब की जगह ठंड से मौत बताने का दबाव! मौत 48 मगर पुष्टि लगभग आधी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, छपरा Published by: कुमार जितेंद्र ज्योति Updated Thu, 15 Dec 2022 09:07 PM IST
सार

मौतों की पुष्टि में भी खेल चल रहा है। सारण के जिलाधिकारी राजेश मीणा ने गुरुवार दोपहर तक महज 26 मौतों की पुष्टि की। 'अमर उजाला’ के पास अलग-अलग स्रोतों से मृतकों के 48 नाम हैं। आरोप है कि पुलिस-प्रशासन ठंड से मौत बताने का परिजनों पर दबाव डाल रहा।

सारण में जहरीली शराब से मौत का कहर जारी।
सारण में जहरीली शराब से मौत का कहर जारी। - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

शराबबंदी के बाद से धंधेबाजों ने एक तरफ नकली शराब का खेल शुरू किया और दूसरी तरफ सरकारी तंत्र ने शराब से मौत नहीं स्वीकारने का हथकंडा अपनाया। हर बार की तरह इस बार भी अबतक सरकार इसे 'नकली शराब से मौत' नहीं स्वीकार कर रही। जिस तरह की रिपोर्ट का इंतजार करने कहा जा रहा है, वह पिछली बार 18 मौतों के 94 दिन बाद आई थी। इस बार मंगलवार से सारण में शुरू हुआ मौतों का सिलसिला गुरुवार रात तक जारी है। इसके बावजूद मौतों की पुष्टि में भी खेल चल रहा है। सारण के जिलाधिकारी राजेश मीणा ने गुरुवार दोपहर तक महज 26 मौतों की पुष्टि की। 'अमर उजाला’ के पास अलग-अलग स्रोतों से मृतकों के 48नाम हैं। अभी आंखों की रोशनी गंवाने वाले लोगों को छिपाने का खेल चल रहा है, क्योंकि मरने वालों में इस बार भी वैसे लोग ज्यादा हैं जिनकी पहले आंखों की रोशनी गई। वैसे, कुछ जिम्मेदार खुद भी कह रहे हैं कि लोग शराबबंदी के केस में फंसने के डर से खुद सामने नहीं आ रहे। स्थिति बिगड़ने पर ही आ रहे और देर होने के कारण जान नहीं बच पा रही है। सबसे बड़ा खेल यह सामने आ रहा कि मरने वालों के परिजनों को ठंड का नाम लेने के लिए कहा जा रहा है। 



लाश जलाने के लिए हजार रुपए तक हाथोंहाथ दे रहे
जिन लोगों के परिजनों की जहरीली शराब से मौत हुई है, उनका कहना है कि पुलिस हजार रुपए तक हाथोंहाथ दे रही है कि लाश जला दो, वरना शराब के केस में बुरी तरह फंस जाओगे। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि ठंड से मौत बताने पर अनुग्रह राशि मिलने की संभावना बनेगी, इसलिए शराब की बात नहीं कहने के लिए समझाया जा रहा है। इन आरोपों को बल इसलिए भी मिल रहा है कि जब गुरुवार सुबह तक 35 लोगों की सूची 'अमर उजाला’ सामने ला चुका था तो डीएम ने गुरुवार दोपहर प्रेस कांफ्रेस कर महज 26 लोगों की मौत की पुष्टि क्यों की? अब उन सभी 35 लोगों के साथ कुल 48 लोगों की अपडेट सूची सामने है, लेकिन मौतों की पुष्टि में प्रशासन समय ले रहा है। डीएम ने प्रेस कांफ्रेंस कर दो प्राथमिकी और चार गिरफ्तारी की जानकारी दी। हालांकि, बताया जा रहा है कि पुलिस ने छापेमारी कर डेढ़ सौ लोगों को हिरासत में लिया है। 


डीएम के 'पोस्टमार्टम ऑर्डर' के लिए रात में पड़े रहे शव
सारण जिला मुख्यालय छपरा स्थित सदर अस्पताल में मौतों की पुष्टि होती रही और पोस्टमार्टम के लिए बुधवार को लाइन लगी रही। यह लाइन बुधवार शाम रुक गई। मौतें नहीं रुकीं। अमर उजाला रिपोर्टर के सामने गुरुवार शाम तक मौतों का सिलसिला जारी रहा। जबकि, बुधवार शाम छह बजे के बाद से गुरुवार सुबह तक पोस्टमार्टम नहीं किया गया। शाम 6 बजे के बाद पोस्टमार्टम करने के लिए जिलाधिकारी का आदेश जरूरी होता है, लेकिन बुधवार रात एक बार भी जिलाधिकारी सदर अस्पताल नहीं आए और न किसी ने उनसे आदेश लेने का प्रयास किया। नतीजा यह रहा कि जहरीली शराब से जान गंवाने वाले लोगों की लाशें सदर अस्पताल में सुबह तक पड़ी रहीं और वहीं आसपास उनके परिजन भटकते रहे। पटना जाने के रास्ते में मौत के बाद लौटे जय प्रकाश सिंह के शव के आसपास मिले परिजनों ने रोते हुए बताया कि इलाज भी यहां कुछ नहीं हुआ और मरने के बाद अब पोस्टमार्टम के नाम पर गुरुवार सुबह तक इंतजार करने कहा गया है। ताजा जानकारी के अनुसार पटना रेफर किए गए सात में से दो की मौत हो चुकी है। सारण सदर अस्पताल में आधा दर्जन लोग भर्ती हैं, जबकि पीएचसी-सीएचसी में भी दर्जनों मरीज भर्ती हैं। इन मरीजों के परिजन भी शराबबंदी में फंसाए जाने की धमकी मिलने की बात कह रहे हैं। अमनौर में ऐसे ही आरोपों के साथ सुरेंद्र सिंह के परिजनों और ग्रामीणों ने सड़क जाम कर हंगामा किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि पुलिस-प्रशासन ठंड से मौत स्वीकारने का दबाव बना रहा है।

सिविल सर्जन ने कहा- अंतिम समय में आए ज्यादा लोग
सोमवार शाम शराब पीने के बाद से लगातार लोगों की तबीयत बिगड़ रही थी। कई लोगों को उसी रात दिखना कम हो गया था। मंगलवार को कई लोगों को दिखना पूरी तरह बंद हो गया। फिर मौों का सिलसिला शुरू हुआ, तब जाकर लोग अस्पताल पहुंचने लगे। शराबबंदी के केस में फंसने के डर से ज्यादातर लोग अस्पताल ही नहीं जा रहे थे। 'अमर उजाला’ की पड़ताल के दौरान परिजनों से बातचीत में यह सामने आया। इस बात की तसदीक सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा भी करते हैं। सिविल सर्जन ने कहा कि ज्यादातर लोग हालत बिगड़ने पर अस्पताल आए, इसलिए बचा पाना मुश्किल हो रहा था। एक-दूसरे की जानकारी के आधार पर समय रहते इन्हें ढूंढ़कर लाया जाता तो शायद कम जान जाती। जिसकी आंखों की रोशनी कई घंटे पहले चली गई, वह भी देर से आए। हालांकि, सिविल सर्जन के इस बयान से अलग परिजनों ने बातचीत में कहा कि अस्पताल पहुंचने के बाद भी इलाज की पर्याप्त सुविधा नहीं मिली। केस हाथ से निकलने लगा तो रेफर किया गया, जिसके कारण रेफर होने वाले भी कई लोग रास्ते में ही मर गए।

1. अजय गिरी (पिता- सूरज गिरी, बहरौली), 
2. चंदेश्वर साह (पिता- भिखार साह, बहरौली), 
3. जगलाल साह (पिता- भरत साह, बहरौली)
4. अनिल ठाकुर (पिता- परमा ठाकुर, बहरौली)
5. सीताराम राय (पिता- सिपाही राय, बहरौली)
6. एकरारुल हक (पिता- मकसूद अंसारी, बहरौली)
7. दूधनाथ तिवारी (पिता- महावीर तिवारी, बहरौली)
8. शैलेंद्र राय (पिता- दीनानाथ राय, बहरौली)
9. हरेंद्र राम (पिता- गणेश राम, मशरक तख्त), 
10. नासिर हुसैन (पिता- समसुद्दीन, मशरक तख्त), 
11. भरत राम (पिता- मोहर राम, मशरक तख्त), 
12. भरत साह (पिता- गोपाल साह, शास्त्री टोला),
13. रामजी साह (पिता- गोपाल साह, शास्त्री टोला), 
14. कुणाल सिंह (पिता- यदु सिंह, यदु मोड़), 
15. मनोज राम (पिता- लालबाबू राम, दुगरौली),
16. गोविंद राय (पिता- घिनावन राय, पचखण्डा),
17. रमेश राम (पिता- कन्हैया राम, बेन छपरा)
18. जयदेव सिंह (पिता- बिंदा सिंह, बेन छपरा), 
19. ललन राम (पिता- करीमन राम, शियरभुक्का), 
20. संजय कुमार सिंह (पिता- वकील सिंह, डोइला, इसुआपुर), 
21. अमित रंजन उर्फ रिनू (पिता- द्विजेंद्र सिन्हा, डोइला, इसुआपुर) 
22. बिचेंद्र राय (पिता- नरसिंह राय, डोइला, इसुआपुर) 
23. प्रेमचंद साह (पिता- मुनिलाल साह, रामपुर अटौली, इसुआपुर), 
24. दिनेश ठाकुर (पिता- अशर्फी ठाकुर, महुली, इसुआपुर),
25. दशरथ महतो, केसर महतो, डोयला, इसुआपुर
26. उपेंद्र राम (पिता- अक्षलाल राम, अमनौर)
27. उमेश राय (पिता- शिवपूजन राय, अमनौर) 
28. सलाउद्दीन मियां (पिता- वकील मियां, अमनौर),
29. विक्की महतो (पिता- सुरेश महतो, मढ़ौरा),
30. मुकेश शर्मा (पिता- बच्चा शर्मा, मशरक), 
31. मंगल राय (पिता- गुलराज राय, मशरक), 
32. चंद्रमा राम (हेमराज राम, मशरक), 
33. जतन साह (पिता- कृपाल साह, घोघिया, मशरक)
34. जय प्रकाश सिंह (पिता- बृजभूषण सिंह,  गोपालबाड़ी)
35. विश्वकर्मा पटेल (पिता- श्रीनाथ पटेल, मशरक)
36. सुरेन साह (पिता- जतन साह, घोघिया, मशरक)
37. चंद्रेश्वर साह (पिता- भिखारी साह, बहरौली, मशरक)
38. रंगीला महतो (लालापुर, मढ़ौरा)
39. रमेश महतो (लालापुर, मढ़ौरा)
40. विक्रम राज (पिता- हरिनारायण प्रसाद, खरौनी, मढ़ौरा)
41. सुरेंद्र महतो (पिता- जमुना महतो, लालापुर, मढ़ौरा)
42. सुरेंद्र सिंह (मनी सिरिसिया, अमनौर)
43. विनोद शर्मा (लाला टोला, मढ़ौरा)
44. धूपनाथ सिंह (पिता- बाबूलाल सिंह , घोघिया मशरक)
45. मुकेश कुमार राम (पिता- चंद्रिका राम, मनी सिरसिया, अमनौर)
46. मुकेश कुमार शर्मा (पिता- बच्चा शर्मा, हनुमानगंज, मशरक)
47. नरेश साह (पिता- फुलेना साह, बहरौली मशरक)
48. विक्की कुमार (पिता- बहादुर महतो, चहपुरा, मशरक)

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