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Bihar Caste Census : सुप्रीम कोर्ट की बिहार सरकार को दो टूक- तीन जुलाई को पहले हाईकोर्ट सुनवाई करेगा; फिर आइए

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना Published by: आदित्य आनंद Updated Fri, 19 May 2023 01:55 AM IST
सार

Supreme Court : बिहार में जाति आधारित जनगणना को लेकर राज्य सरकार का सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख करना बेकार गया। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने क्या कहा, पढ़िए...

Bihar Caste Census: Hearing of Caste Enumeration Case in Supreme Court, Bihar Government, Nitish Kumar
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर बिहार की जाति आधारित जन-गणना के केस को पटना हाईकोर्ट की झोली में डाल दिया है। दो बार जनहित के नाम पर याचिका पहुंचने पर सुप्रीम न्यायालय ने इसे हाईकोर्ट का केस बताया था। इस बार पटना हाईकोर्ट से अपने खिलाफ अंतरिम आदेश को देखकर बिहार सरकार अगली तारीख का इंंतजार किए बगैर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय ओक ने स्पष्ट कहा- “पटना हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले में काफी हद तक स्पष्टता है, लेकिन अंतिम फैसला आए बगैर इसपर सुनवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट को इसमें अंतरिम राहत नहीं दे सकता है। हाईकोर्ट अपनी दी तारीख 03 जुलाई पर सुनवाई कर फैसला नहीं देगा तो सुप्रीम कोर्ट 14 जुलाई को यहां दलील सुनेगा।” 



सरकार का पक्ष- कई राज्य करा चुके, हमारा डाटा हमारे सर्वर पर
सुप्रीम कोर्ट ने लंच के पहले ही अपनी बात स्पष्ट कर दी थी, लेकिन बिहार सरकार की ओर से दलील सुनने की अपील की गई तो सुनवाई शुरू हुई। सरकार की ओर से दलील दी गई कि यह सर्वे है, जनगणना नहीं। जनगणना में जानकारी नहीं देने पर जुर्माना लगता है, सर्वे में नहीं। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि कई राज्य यह पहले करा चुके, इसलिए ऐसा भी नहीं कि यह कोई नया काम हो रहा है। कोर्ट ने हाईकोर्ट के डाटा सुरक्षा के बिंदु पर सवाल किया तो सरकार ने कहा कि हमारा डाटा सरकारी सर्वे पर है, किसी अन्य क्लाउड पर नहीं है। प्रक्रिया रोके जाने से पैसे की बर्बादी हो रही है, क्योंकि यह अंतिम दौर में था। कोर्ट ने कहा कि डाटा सुरक्षा को लेकर पटना हाईकोर्ट ने कई गड़बड़ी पकड़ी है, खासकर डाटा की पुनर्जांच में यह परेशानी देखी गई है। इसकी प्रक्रिया को जांचने की जरूरत है। सरकारी वकील ने कहा कि ऐसा कुछ होता है तो उसे देखा जा सकता है। इसपर एक बार फिर कोर्ट ने दुहराया कि इस स्थिति में अभी पटना हाईकोर्ट की प्रक्रिया में दखल देना कहां उचित है? उसे 3 जुलाई को सुनवाई करने देना है। 


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सर्वे के नाम पर जनगणना तो नहीं, ज्यादा दस्तावेज यही बता रहे 
इससे पहले, जस्टिस ओक ने कहा कि हमें यह देखना है कि सर्वे के नाम पर यह जनगणना तो नहीं है। उन्होंने सरकार के पक्ष पर यह भी स्पष्ट कहा कि हाईकोर्ट ने वही आदेश दिया, जो उसे प्रथम दृष्ट्या नजर आया है। हम न तो यह कह रहे हैं कि वही आदेश सही है और न ही हम इसमें अभी हस्तक्षेप करेंगे। हम बस यह कह सकते हैं कि अभी किसी तरह की राहत नहीं दी जा सकती है। इसके साथ ही हम यह भी नहीं कह रहे कि हम सुनवाई नहीं करेंगे, लेकिन पहले हाईकोर्ट में 03 जुलाई को क्या होता है, यह देखना होगा। बेंच के जस्टिस बिंदल ने कहा कि ज्यादातर दस्तावेज इसे जनगणना ही बता रहे हैं।

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जातीय सर्वेक्षण पर रोक से न्यायालय का इनकार महागठबंधन सरकार के लिए झटका: भाजपा
बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण पर रोक लगाने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगन आदेश जारी करने से सुप्रीम कोर्ट के इनकार करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार को झटका बताया। साथ ही, इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग भी की। हालांकि, सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) ने कहा कि भाजपा इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना चाहती है क्योंकि जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का निर्णय एक सर्वदलीय बैठक आयोजित करने और राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित करने के बाद लिया गया था।

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