लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   World ›   West price cap on Russian crude oil fails in Asia, big blow for G-7 and EU

Japan: एशिया में नाकाम है रूसी कच्चे तेल पर पश्चिम का प्राइस कैप, जी-7 और यूरोपीय संघ के लिए बड़ा झटका

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, टोक्यो Published by: संजीव कुमार झा Updated Wed, 07 Dec 2022 02:59 PM IST
सार

पश्चिमी देशों ने एलान किया है कि रूस से 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक दाम पर कच्चा तेल खरीदने वाले देशों या कंपनियों को पश्चिमी बीमा कंपनियां अपनी सेवा नहीं देंगी। लेकिन इसका असर एशियाई बाजार पर होता दिख नहीं रहा है।

कच्चा तेल
कच्चा तेल - फोटो : ANI

विस्तार

रूस के कच्चे तेल पर जी-7 और यूरोपियन यूनियन (ईयू) की तरफ से लगाए गए मूल्य नियंत्रण (प्राइस कैप) का पहले दिन एशियाई बाजारों में पालन नहीं  किया गया। यहां रूसी कच्चा तेल 79 डॉलर प्रति बैरल बिका, जबकि पश्चिमी देशों ने 60 डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा लगाई है। एशियाई बाजारों के इस रुख से जी-7 और ईयू की रूस की तेल से होने वाली आमदनी को सीमित करने की मंशा को झटका लगा है।  प्राइस कैप सोमवार से लागू किया गया। इसके पहले विश्लेषकों ने राय जताई थी कि एशिया में इस मूल्य नियंत्रण की सफलता भारत और चीन के रुख पर निर्भर करेगी। ये दोनों देश रूसी तेल के सबसे बड़े आयातकों में हैं। दरअसल, जब से पश्चिमी देशों ने मूल्य नियंत्रण लगाने की मंशा जताई, रूस ने दूसरे क्षेत्रों से हटा कर एशियाई देशों के लिए अपना निर्यात बढ़ा दिया था।



पश्चिमी देशों ने एलान किया है कि रूस से 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक दाम पर कच्चा तेल खरीदने वाले देशों या कंपनियों को पश्चिमी बीमा कंपनियां अपनी सेवा नहीं देंगी। साथ ही माल ढुलाई की पश्चिमी सुविधाओँ से भी रूसी निर्यात की वैसी खेप को वंचित रखा जाएगा। वैसे जानकारों का कहना है कि पश्चिमी देशों ने जो मूल्य तय किया है, रूस उससे काफी कम भाव पर पहले ही उन देशों को तेल बेच रहा है, जो उसके खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों में शामिल नहीं हुए हैँ। 

तेल के अंतरराष्ट्रीय कारोबार पर नजर रखने वाली लंदन स्थित एजेंसी रिफिनिटिव के प्रमुख ऑयल रिसर्च एलानिस्ट एहसान उल हक ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘हाल के हफ्तों में रूस ब्रेंट क्रूड के अंतरराष्ट्रीय भाव से प्रति बैरल 30 डॉलर कम पर तेल बेचता रहा है।’ ब्रेंट तेल के भाव का अंतरराष्ट्रीय पैमाना है। जबकि रूसी तेल का मूल्य पैमाना उराल्स है।  

विश्लेषकों का कहना है कि ब्रेंट और उराल्स के भाव में इस अंतर को देखते हुए इस बात की संभावना नहीं है कि प्राइस कैप से रूस की आमदनी पर कोई खास फर्क पड़ेगा। बल्कि कुछ टीकाकारों ने तो प्राइस कैप को महज एक प्रतीकात्मक कार्रवाई बताया है। वैसे प्राइस कैप लागू क रने का सोमवार को एक असर यह हुआ कि विश्व बाजार में कच्चे तेल का भाव दो फीसदी बढ़ गया।  ज्यूरिख (स्विट्जरलैंड) स्थित बैंक यूबीएस के कॉमोडिटी एनालिस्ट गिओवानी स्टेनोवो के मुताबिक प्राइस कैप का एक असर यह होगा कि रूस अपनी तेल बिक्री के लिए भारत, चीन और तुर्किये पर अधिक निर्भर हो जाएगा। इसका अर्थ यह हुआ कि अगर चीन में अर्थव्यवस्था की सुस्ती के कारण मांग घटती है, तो रूस को अधिक डिस्काउंट पर दूसरे देशों को अपना कच्चा तेल बेचना होगा। 

नवंबर में चीन ने हर रोज औसतन रूस से समुद्री मार्ग से साढ़े 10 लाख बैरल तेल मंगवाया। इसके अलावा पाइपलाइन्स से उसने साढ़े आठ लाख बैरल रूसी तेल का प्रति दिन आयात किया। क्रूड रिसर्च नाम की एजेंसी के प्रमुख विक्टर केटोना ने निक्कई एशिया को ये जानकारी दी। उन्होंने कहा- ‘जहां तक भारत का सवाल है, तो नवंबर में उसने भी प्रति दिन रूस से औसतन लगभग साढ़े दस लाख बैरल तेल का आयात किया। यह अक्टूबर की तुलना में रोजाना लगभग एक लाख बैरल ज्यादा था। दिसंबर में उसकी खरीदारी नवंबर के बराबर ही रहने की आशा है।’

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get latest World News headlines in Hindi related political news, sports news, Business news all breaking news and live updates. Stay updated with us for all latest Hindi news.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

;