वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Updated Fri, 18 Sep 2020 02:13 AM IST
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की जंग जलवायु परिवर्तन, अर्थव्यवस्था और कोरोना वायरस पर मुखर होती जा रही है। देश में दो लाख के करीब हुई मौतों को लेकर जोसेफ आर. बिडेन जूनियर ने राष्ट्रपति ट्रंप पर राजनीति करने के आरोप लगाए। इस दौरान डेमोक्रेटिक प्रत्याशी जो बिडेन ने कहा कि मुझे कोरोना वायरस के संभावित टीके और वैज्ञानिकों पर पूरा भरोसा है लेकिन ट्रंप पर विश्वास नहीं है।
डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बिडेन ने वायरस के संभावित टीके पर जनस्वास्थ्य विशेषज्ञों से चर्चा करने के बाद डेलावेयर के विलमिंगटन में निजी सुरक्षा उपकरणों के वितरण और कोरोना परीक्षण को लेकर ट्रंप की अक्षमता और बेईमानी का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि अमेरिका टीके (वैक्सीन) को लेकर नाकामियों को दोहरा नहीं सकता है। बिडेन के भाषण के तुरंत बाद ट्रंप ने पूर्व उपराष्ट्रपति बिडेन की आलोचना करते हुए देश के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के प्रमुख को सार्वजनिक रूप से फटकार लगाते हुए कहा, यह बयान बेतुका है कि व्यापक टीकाकरण 2021 के मध्य तक संभव नहीं है। दरअसल, ट्रंप पहले ही दावा कर चुके हैं कि इस साल नवंबर में टीका मुहैया हो जाएगा और अगले साल व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाएगा।
ट्रंप ने मास्क पर स्वास्थ्य प्रमुख को फटकारा
अमेरिकी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड के मुताबिक, मास्क पहनना वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा कारगर है। लेकिन, राष्ट्रपति ट्रंप देश के सबसे बड़े स्वास्थ्य अधिकारी की दलील से सहमत नहीं हैं।
ट्रंप ने मास्क पर नया नजरिया पेश करते हुए कहा कि किसी भी हाल में मास्क, वैक्सीन से ज्यादा कारगर साबित नहीं हो सकता है। वे पहले भी मास्क की उपेक्षा करते रहे हैं। ट्रंप ने बाद में रेडफील्ड से बात करने के बाद दावा किया, रॉबर्ट ने भी मेरी बात को मान लिया है।
सियासी लाभ उठाना चाहते हैं ट्रंप : बिडेन
डेमोक्रेटिक प्रत्याशी जो बिडेन जानते हैं कि कोरोना की रोकथाम और वैक्सीन के मुद्दे पर ट्रंप को घेरा जा सकता है। इसी कारण बिडेन ने कहा- वैक्सीन को जल्द लॉ़न्च करने के लिए सियासी दबाव बनाया जा रहा है और राष्ट्रपति ट्रंप इसका राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं। लेकिन, यह ध्यान रखना चाहिए कि इसका सियासत से कोई संबंध नहीं होना चाहिए। विज्ञान को विज्ञान के हिसाब से चलने देना चाहिए।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की जंग जलवायु परिवर्तन, अर्थव्यवस्था और कोरोना वायरस पर मुखर होती जा रही है। देश में दो लाख के करीब हुई मौतों को लेकर जोसेफ आर. बिडेन जूनियर ने राष्ट्रपति ट्रंप पर राजनीति करने के आरोप लगाए। इस दौरान डेमोक्रेटिक प्रत्याशी जो बिडेन ने कहा कि मुझे कोरोना वायरस के संभावित टीके और वैज्ञानिकों पर पूरा भरोसा है लेकिन ट्रंप पर विश्वास नहीं है।
डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बिडेन ने वायरस के संभावित टीके पर जनस्वास्थ्य विशेषज्ञों से चर्चा करने के बाद डेलावेयर के विलमिंगटन में निजी सुरक्षा उपकरणों के वितरण और कोरोना परीक्षण को लेकर ट्रंप की अक्षमता और बेईमानी का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि अमेरिका टीके (वैक्सीन) को लेकर नाकामियों को दोहरा नहीं सकता है। बिडेन के भाषण के तुरंत बाद ट्रंप ने पूर्व उपराष्ट्रपति बिडेन की आलोचना करते हुए देश के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के प्रमुख को सार्वजनिक रूप से फटकार लगाते हुए कहा, यह बयान बेतुका है कि व्यापक टीकाकरण 2021 के मध्य तक संभव नहीं है। दरअसल, ट्रंप पहले ही दावा कर चुके हैं कि इस साल नवंबर में टीका मुहैया हो जाएगा और अगले साल व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाएगा।
ट्रंप ने मास्क पर स्वास्थ्य प्रमुख को फटकारा
अमेरिकी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड के मुताबिक, मास्क पहनना वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा कारगर है। लेकिन, राष्ट्रपति ट्रंप देश के सबसे बड़े स्वास्थ्य अधिकारी की दलील से सहमत नहीं हैं।
ट्रंप ने मास्क पर नया नजरिया पेश करते हुए कहा कि किसी भी हाल में मास्क, वैक्सीन से ज्यादा कारगर साबित नहीं हो सकता है। वे पहले भी मास्क की उपेक्षा करते रहे हैं। ट्रंप ने बाद में रेडफील्ड से बात करने के बाद दावा किया, रॉबर्ट ने भी मेरी बात को मान लिया है।
सियासी लाभ उठाना चाहते हैं ट्रंप : बिडेन
डेमोक्रेटिक प्रत्याशी जो बिडेन जानते हैं कि कोरोना की रोकथाम और वैक्सीन के मुद्दे पर ट्रंप को घेरा जा सकता है। इसी कारण बिडेन ने कहा- वैक्सीन को जल्द लॉ़न्च करने के लिए सियासी दबाव बनाया जा रहा है और राष्ट्रपति ट्रंप इसका राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं। लेकिन, यह ध्यान रखना चाहिए कि इसका सियासत से कोई संबंध नहीं होना चाहिए। विज्ञान को विज्ञान के हिसाब से चलने देना चाहिए।