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Pervez Musharraf Dies: मुशर्रफ ने बनाया था करगिल युद्ध का प्लान, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को भी दिया था 'धोखा'

इंटरनेशनल डेस्क, अमर उजाला, कराची Published by: रोहित राज Updated Sun, 05 Feb 2023 01:11 PM IST
सार

Pervez Musharraf Death News: जनरल मुशर्रफ ने करगिल लड़ाई को लेकर तीनों सेनाओं के बीच खाई पैदा करने का प्रयास किया। पाकिस्तानी वायु सेना और नौसेना को मुशर्रफ की 'जंग' के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।

Pervez Death News: Know Pakistan Army Chief Pervez Musharraf Role in Kargil War 1999
परवेज मुशर्रफ (फाइल फोटो) - फोटो : Twitter

विस्तार

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का निधन हो गया है। उन्होंने 79 की उम्र में अंतिम सांस ली। मुशर्रफ का निधन दुबई में हुआ। करगिल की लड़ाई का पूरा खाका उन्होंने ही तैयार किया था। खुद पाकिस्तान सरकार, इसके बहुत से पहलुओं से अनभिज्ञ थी। शुरुआत में तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ और उनकी कैबिनेट तक को लड़ाई के प्लान की भनक नहीं लग सकी। इतना ही नहीं, जनरल मुशर्रफ ने करगिल लड़ाई को लेकर तीनों सेनाओं के बीच खाई पैदा करने का प्रयास किया। पाकिस्तानी वायु सेना और नौसेना को मुशर्रफ की 'जंग' के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। जब भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया तो पाकिस्तान के हुक्मरान को जनरल मुशर्रफ के 'धोखे' की मार का अहसास हुआ।

जनरल परवेज मुशर्रफ, खुद को तोप समझ बैठे थे ...    
करगिल की लड़ाई में जनरल परवेज मुशर्रफ, खुद को तोप समझ बैठे थे। उनकी योजना थी कि वे पाकिस्तानी थल सेना की मदद से करगिल की लड़ाई जीत सकते हैं। यही कारण रहा कि उन्होंने पाकिस्तानी नौसेना और एयरफोर्स से भी लड़ाई की अहम जानकारियां छिपा लीं। करगिल की लड़ाई में भारतीय सेना के प्रमुख रहे वेद प्रकाश मलिक ने अपनी किताब 'फ्रॉम सरप्राइज टू विक्टरी' के चेप्टर 'द डार्क विंटर' में ऐसे कई खुलासे किए हैं। उन्होंने लिखा है, करगिल की लड़ाई में पाकिस्तानी फौज के जनरल परवेज मुशर्रफ के धोखे को समझने वाला कोई नहीं था। भारतीय एजेंसी, रिसर्च एंड एनॉलिसिस विंग (रॉ) ने इस लड़ाई के दौरान पाकिस्तान में कई फोन कॉल इंटरसेप्ट की थी। परवेज मुशर्रफ और उनके विश्वासपात्र ले. जन. मोहम्मद अजीज खान के बीच जो कुछ बातचीत हुई, रॉ ने उसे भी इंटरसेप्ट किया।

तब तक अंधेरे में रही नवाज शरीफ सरकार
चूंकि करगिल की लड़ाई की सारी प्लानिंग परवेज मुशर्रफ ने तैयार की थी, इसलिए उन्होंने यह बात बाहर नहीं निकलने दी। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनका मंत्रिमंडल भी अंधेरे में रहा। पाकिस्तानी वायुसेना और नौसेना को भी बहुत कम एवं सामान्य जानकारी दी गई। जेहादी के वेश में पाकिस्तानी सेना ने जब तक एलओसी पार नहीं कर ली, तब तक मुशर्रफ ने यह 'सीक्रेट' कहीं भी उजागर नहीं होने दिया। जब पाकिस्तानी सेना, करगिल की चोटियों पर पहुंची तो ही मुशर्रफ ने पीएम नवाज को इस बारे में जानकारी दी। उसमें भी अति महत्वपूर्ण तथ्य छिपा लिए गए। पाकिस्तानी पीएम को बताया गया कि जेहादियों ने करगिल में घुसपैठ की है। उन्होंने पीएम को वैसे ही कुछ झूठे संदेश भी सुनाए, जो उन्होंने भारतीय सेना को धोखा देने के लिए पाकिस्तानी रेडियो पर जारी कराए थे। करगिल की लड़ाई खत्म होने के कई साल बाद नवाज शरीफ ने सार्वजनिक तौर पर यह बात स्वीकार की थी कि परवेज मुशर्रफ को सेना की कमांड सौंपना, उनकी सबसे बड़ी गलती थी।

रेडियो पर 'बाल्टी और पश्तो' भाषा में जारी कराए थे 'संदेश'
जेहादियों का वेश बनाकर पाकिस्तानी सेना, करगिल में प्रवेश कर चुकी थी। 'रॉ' और 'मिलिट्री इंटेलीजेंस' को गुमराह करने के मकसद से परवेज मुशर्रफ ने करगिल में एलओसी पर झूठे रेडियो संदेश प्रसारित कराए। ये संदेश 'बाल्टी और पश्तो' भाषा में प्रसारित किए गए थे। उस वक्त 'एलओसी' पर पाकिस्तान के जितने भी जेहादी सक्रिय थे, वे आपसी बोलचाल के लिए इन्हीं दो भाषाओं का इस्तेमाल कर रहे थे। रेडियो पर जारी संदेशों में ऐसे हालात बयां किए जा रहे थे कि जिससे भारतीय एजेंसियों को लगे कि करगिल क्षेत्र में जेहादी ही सक्रिय हैं। पाकिस्तान सेना की घुसपैठ जैसा कुछ नहीं है। रेडियो संदेशों में कहा गया कि पाकिस्तानी सेना, जेहादियों का साथ नहीं दे रही है। ये सब भारतीय सेना को यह विश्वास दिलाने की चाल थी कि एलओसी पर जो कुछ चल रहा है, उसमें पाकिस्तानी सेना शामिल नहीं है। परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान सरकार को भी जेहादियों की घुसपैठ बताकर शांत कर दिया था।
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