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Foreign Reserve: What is foreign exchange reserves and pakistan crisis, know all here
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Foreign Reserve: क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार? इसकी कमी ने और बढ़ाईं कंगाल हो रहे पाकिस्तान की मुश्किलें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Sun, 05 Feb 2023 07:37 AM IST
सार
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विदेशी मुद्रा भंडार में बैंक नोट, जमा, बॉन्ड, सोना आदि शामिल होते हैं। किसी देश की राष्ट्रीय मुद्रा में तेजी से गिरावट या पूरी तरह से दिवालिया हो जानें की स्थिति में केंद्रीय बैंक के पास रखा बैकअप फंड काम आता है।
पाकिस्तान में कम हुई विदेशी मुद्रा
- फोटो : AMAR UJALA
मंदी की मार झेल रहे पाकिस्तान की मुश्किलें हर दिन के साथ बढ़ती जा रही हैं। वहां महंगाई दर 34.5 फीसदी पर पहुंच गई है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार 16.1 प्रतिशत घटकर 3.09 अरब डॉलर रह गया है। बीते 10 वर्षों में यह सबसे कम है। इससे पाकिस्तान सिर्फ तीन सप्ताह तक ही आयात कर सकता है।
आर्थिक संकट से निपटने के लिए पाकिस्तान को आईएमएफ से बेलआउट पैकेज की उम्मीद है। इसके लिए वह आईएमएफ की कड़ी ऋण शर्तों को मानने को तैयार हो गया है। जिससे उसे कर्ज मिल सके। आइये समझते हैं कि आखिर विदेशी मुद्रा भंडार होता क्या है? पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार की ये स्थिति क्यों हुई है? क्या किसी और देश को इस तरह के हालात का सामना करना पड़ा है? सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार किस देश के पास है? आईएमएफ का बेल-आउट पैकेज क्या है? इसके लिए आईएमएफ ने क्या शर्तें रखी हैं?
डॅालर(सांकेतिक)
- फोटो : Social Media
विदेशी मुद्रा भंडार क्या होता है?
विदेशी मुद्रा भंडार में बैंक नोट, जमा, बॉन्ड, सोना आदि शामिल होते हैं। इन परिसंपत्तियों को रखने के पीछे कई उद्देश्य होते हैं। किसी देश की राष्ट्रीय मुद्रा में तेजी से गिरावट या पूरी तरह से दिवालिया हो जानें की स्थिति में केंद्रीय बैंक के पास रखा बैकअप फंड काम आता है।
दुनिया भर के देश अपने केंद्रीय बैंक के लिए पर्याप्त मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार रखते हैं। इनमें से अधिकांश भंडार अमेरिकी डॉलर में रखे जाते हैं क्योंकि यह दुनिया में सबसे अधिक कारोबार वाली मुद्रा है।
आर्थिक संकट के दौर में, जैसा कि पाकिस्तान झेल रहा है। आयात और निर्यात करने के लिए केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान कदम उठा सकता है और स्थानीय मुद्रा के लिए विदेशी मुद्रा का आदान-प्रदान कर सकता है। लेकिन कम भंडार के साथ यह संभव नहीं है। विदेशी मुद्रा, वित्तीय ऋण को चुकाने के लिए आवश्यक होती है, यही कारण है कि पाकिस्तान अभी संकट में फंसा हुआ है।
नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान
- फोटो : सोशल मीडिया
पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार की ये स्थिति क्यों हुई है?
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 3.09 अरब डॉलर रह गया है, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे कम है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि बाह्य ऋण भुगतान के कारण भंडार में 59.2 करोड़ डॉलर की कमी आई है। इसके मुताबिक, वर्तमान में वाणिज्यिक बैंकों के पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार 5.65 अरब डॉलर है। इस कारण देश में कुल तरल भंडार 8.74 अरब डॉलर हो गया है।
सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार किस देश के पास है?
चीन दुनिया में विदेशी मुद्रा भंडार में शीर्ष देश है। दिसंबर 2022 तक, चीन में विदेशी मुद्रा भंडार 3,191,710 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो दुनिया के विदेशी मुद्रा भंडार का 29.42 फीसदी है। इसके बाद क्रमशः जापान, रूस, भारत और सऊदी अरब का नंबर आता है जिनका इसमें 55.08 फीसदी हिस्सा है। दिसंबर 2022 में दुनिया का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 10,848,606.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर आंका गया था।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 27 जनवरी को छह महीने के उच्च स्तर 576.76 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया। यह लगातार तीसरा सप्ताह है जब भारत के भंडार में वृद्धि हुई है। 20 जनवरी को समाप्त सप्ताह में, भंडार 573.73 अरब डॉलर था।
श्रीलंका में उग्र प्रदर्शन
- फोटो : ANI
क्या किसी और देश को इस तरह के हालात का सामना करना पड़ा है?
पाकिस्तान अकेला देश नहीं है जहां विदेशी मुद्रा भंडार की कमी हुई है। पिछले साल श्रीलंका में ऐसे हालत उत्पन्न हुए थे। कम होते विदेशी मुद्रा भंडार के कारण, ईंधन और दवा जैसी आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी के साथ-साथ बढ़ती खाद्य कीमतों के साथ, श्रीलंका पिछले साल एक गहरे आर्थिक संकट में फंस गया था। दूसरे पड़ोसी देश बांग्लादेश में 26 जनवरी को इसका विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 32.29 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अनुसार, नाइजीरिया में विदेशी मुद्रा की कमी देखी गई। अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी थी कि मिस्र, तुर्की और घाना भी मुद्रा संकट के जोखिम में हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष
आईएमएफ का बेल-आउट पैकेज क्या है?
विकास बैंकों के विपरीत, आईएमएफ खास परियोजनाओं के लिए उधार नहीं देता है। इसके बजाय, आईएमएफ संकट से प्रभावित देशों को संकट से उबरने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसके जरिए देश आर्थिक स्थिरता और विकास को बहाल करने वाली नीतियों को लागू करते हैं। यह संकटों को रोकने में मदद करने के लिए एहतियाती वित्तीय मदद भी प्रदान करता है। देशों की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए आईएमएफ उधार प्रणाली में लगातार संशोधन करता रहता है।
आईएमएफ-पाकिस्तान
- फोटो : Agency (File Photo)
देश को आईएमएफ के बेल-आउट की जरूरत क्यों है?
नकदी संकट से जूझ रहा पाकिस्तान को फिलहाल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बेलआउट पैकेज की जरूरत है। पाकिस्तान आईएमएफ को बहुत जरूरी धन जारी करने के लिए राजी करने में जुटा है, ऐसे में विदेशी मुद्रा भंडार की मार काफी जोखिम भरी है।
निवेश फर्म आरिफ हबीब लिमिटेड (एएचएल) के एक शीर्ष विश्लेषक ने गणना की कि भंडार फरवरी 2014 के बाद से सबसे कम है और अब केवल 18 दिनों के आयात को कवर कर रहा है। अब पाकिस्तान के पास आईएमएफ की शर्तों को मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है अन्यथा देश में आर्थिक मंदी का आना तय है।
आईएमएफ की शर्तें
- फोटो : AMAR UJALA
आईएमएफ ने क्या शर्तें रखी हैं?
आईएमएफ पाकिस्तान को कर्ज जारी करने के लिए कोई रियायत देने को तैयार नहीं है। 1.2 बिलियन अमरीकी डालर की किस्त पाने के लिए पाकिस्तान को आईएमएफ की शर्तों पर खरा उतरना होगा। आईएमएफ द्वारा रखी गई शर्तों में बिजली सब्सिडी को खत्म करना, गैस टैरिफ को नियमित करना, बाजार द्वारा निर्धारित विनिमय दर को लागू करना आदि शामिल है। अगर पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच समझौता हो जाता है तो पाकिस्तान को आर्थिक मदद मुहैया होगी जिसकी उसे जरूरत है। अगर सरकार आईएमएफ की किसी भी शर्त को पूरा करने में विफल रहती है, तो सऊदी अरब, यूएई, चीन और अन्य संस्थागत ऋणदाताओं जैसे सहयोगियों से मिलने वाला ऋण भी रद्द कर दिया जाएगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ
- फोटो : Social Media
शर्तें मानेगी पाकिस्तान सरकार?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि आईएमएफ के बेलआउट पैकेज को लेकर हम कठिन समय में हैं। पीएम ने कहा, हमारी आर्थिक चुनौतियां अकल्पनीय हैं। आईएमएफ की जिन शर्तों को पूरा करना है वह कल्पना से परे हैं लेकिन हमें रुका हुआ बेलआउट पैकेज हासिल करने के लिए उसकी शर्तें माननी ही होंगी।
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