राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने राम राज की संकल्पना की थी। भले ही आज तक राम राज लौटकर न आया हो पर, गोसाईं तुलसीदास की रामचरित मानस में जैसे राम राज और जैसे राम की कथा है वो आज तक और आनेवाले समय में भी चरित्र निर्माण का आदर्श रहेंगे। राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में पूजा जाता है लेकिन उनके कई और रूप भी हैं जो प्रेरणादायक हैं। राम एक आदर्श शिष्य थे, दयालु स्वामी थे, त्याग और समर्पण की मूर्ति माने गए। राम के जीवन का हर एक क्षण आपको एक नई ऊर्जा और एक नई ज्योति प्रदान करता है अपने जीवन को आदर्श बनाने के लिए।
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