पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ऋषिकेश। पटाखा बुलेट बाइकों के शोर से शहर में बच्चे, बुजुर्ग सहित आम लोग परेशान हैं। बावजूद इसके पुलिस और परिवहन विभाग कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। कहने के लिए शहर में सीपीयू तैनात है, लेकिन सीपीयू का ध्यान भी हेलमेट पर ही ज्यादा रहता है।
नई बुलेट खरीदने के बाद युवा उसे बाइक मिस्त्री के पास ले जा रहे हैं। वहां उसका साइलेंसर बदलवा रहे हैं। बुलेट के दोनों ओर दो बड़े बड़े प्रेशर हार्न लगवाए जा रहे हैं। यह सब काम पंजीकरण से पहले करवाए जा रहे हैं। उससे शहर और देहात की गलियों बुलेट के साइलेंसर से पटाखे जैसे आवाज छोड़ना, तेज गूंज की आवाज को युवा अपनी शान समझ रहे हैं। यह तेज आवाज लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। शहर में जो पटाखा बुलेट घूम रही हैं उनके ऋषिकेश, देहरादून, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के नंबर की हैं। चौराहों पर सीपीयू के जवान भी वाहनों की जांच के लिए खड़े रहते हैं, लेकिन पटाखा बुलेटों के खिलाफ किसी प्रकार अभियान न चलने पर उनके हाथ भी बंधे होते हैं। एआरटीओ की ओर से भी मोडिफाई की गई इन पटाखा बुलेटों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
क्या कहते हैं स्थानीय निवासी-
शहर की हर गली में पटाखा बुलेटों का शोर है। बुलेटों की तेज आवाज के कारण बच्चों को परेशानी होती है। बुजुर्ग व्यक्ति तो बुलेट की आवाज से एकदम घबरा जाते हैं। पुलिस को पटाखा बुलेटों के खिलाफ सख्त अभियान चलाना चाहिए।
- अनूप कुमार, स्थानीय निवासी
- जब मोटरयान अधिनियम के अनुसार किसी वाहन को मोडिफाई करना प्रतिबंधित है तो शहर और देहात में मोडिफाई पटाखा बुलेटों को पुलिस सीज क्यों नहीं करती। पुलिस को अभियान चलाकर जल्द ही पटाखा बुलेटों को सीज करना चाहिए।
- अनिल कुमार गुप्ता, स्थानीय निवासी
- पटाखा बुलेटों की आवाज से सबसे ज्यादा प्रभावित दिल के रोगी होते हैं। एआरटीओ प्रशासन, मुनीकीरेती पुलिस, लक्ष्मणझूला पुलिस और ऋषिकेश पुलिस को बैठक कर संयुक्त अभियान चलाना चाहिए। जिससे शहर में पटाखा बुलेट ही ना मिले।
सुंदरलाल सती, स्थानीय निवासी
- स्थानीय पार्षदों और लोगों की ओर से भी कई बार पुलिस को ज्ञापन देकर पटाखा बुलेटों के खिलाफ अभियान चलाने की मांग की जा चुकी है। लेकिन अधिकांश बुलेट चलाने वाले युवा बड़े घरों के होते हैं इसलिए पुलिस भी अभियान में दिलचस्पी नहीं लेती।
- विपिन गुुलाटी, स्थानीय गुलाटी
- पुलिस को बुलेट के साइलेंसर बदलने वाले मिस्त्रियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। पूरे क्षेत्र में थानेवार अभियान चलाया जाना चाहिए। जिससे शहर और देहात में लोग सकून से रहे सकें।
खैराती लाल, स्थानीय निवासी
यहां करें शिकायत-
- यदि आप भी पटाखा बुलेटों के शोर से परेशान हैं तो आप पुलिस कंट्रोल रूम नंबर- 0135-2430199 या 0135-2430100 पर शिकायत कर सकते हैं।
ऋषिकेश। पटाखा बुलेट बाइकों के शोर से शहर में बच्चे, बुजुर्ग सहित आम लोग परेशान हैं। बावजूद इसके पुलिस और परिवहन विभाग कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। कहने के लिए शहर में सीपीयू तैनात है, लेकिन सीपीयू का ध्यान भी हेलमेट पर ही ज्यादा रहता है।
नई बुलेट खरीदने के बाद युवा उसे बाइक मिस्त्री के पास ले जा रहे हैं। वहां उसका साइलेंसर बदलवा रहे हैं। बुलेट के दोनों ओर दो बड़े बड़े प्रेशर हार्न लगवाए जा रहे हैं। यह सब काम पंजीकरण से पहले करवाए जा रहे हैं। उससे शहर और देहात की गलियों बुलेट के साइलेंसर से पटाखे जैसे आवाज छोड़ना, तेज गूंज की आवाज को युवा अपनी शान समझ रहे हैं। यह तेज आवाज लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। शहर में जो पटाखा बुलेट घूम रही हैं उनके ऋषिकेश, देहरादून, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के नंबर की हैं। चौराहों पर सीपीयू के जवान भी वाहनों की जांच के लिए खड़े रहते हैं, लेकिन पटाखा बुलेटों के खिलाफ किसी प्रकार अभियान न चलने पर उनके हाथ भी बंधे होते हैं। एआरटीओ की ओर से भी मोडिफाई की गई इन पटाखा बुलेटों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
क्या कहते हैं स्थानीय निवासी-
शहर की हर गली में पटाखा बुलेटों का शोर है। बुलेटों की तेज आवाज के कारण बच्चों को परेशानी होती है। बुजुर्ग व्यक्ति तो बुलेट की आवाज से एकदम घबरा जाते हैं। पुलिस को पटाखा बुलेटों के खिलाफ सख्त अभियान चलाना चाहिए।
- अनूप कुमार, स्थानीय निवासी
- जब मोटरयान अधिनियम के अनुसार किसी वाहन को मोडिफाई करना प्रतिबंधित है तो शहर और देहात में मोडिफाई पटाखा बुलेटों को पुलिस सीज क्यों नहीं करती। पुलिस को अभियान चलाकर जल्द ही पटाखा बुलेटों को सीज करना चाहिए।
- अनिल कुमार गुप्ता, स्थानीय निवासी
- पटाखा बुलेटों की आवाज से सबसे ज्यादा प्रभावित दिल के रोगी होते हैं। एआरटीओ प्रशासन, मुनीकीरेती पुलिस, लक्ष्मणझूला पुलिस और ऋषिकेश पुलिस को बैठक कर संयुक्त अभियान चलाना चाहिए। जिससे शहर में पटाखा बुलेट ही ना मिले।
सुंदरलाल सती, स्थानीय निवासी
- स्थानीय पार्षदों और लोगों की ओर से भी कई बार पुलिस को ज्ञापन देकर पटाखा बुलेटों के खिलाफ अभियान चलाने की मांग की जा चुकी है। लेकिन अधिकांश बुलेट चलाने वाले युवा बड़े घरों के होते हैं इसलिए पुलिस भी अभियान में दिलचस्पी नहीं लेती।
- विपिन गुुलाटी, स्थानीय गुलाटी
- पुलिस को बुलेट के साइलेंसर बदलने वाले मिस्त्रियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। पूरे क्षेत्र में थानेवार अभियान चलाया जाना चाहिए। जिससे शहर और देहात में लोग सकून से रहे सकें।
खैराती लाल, स्थानीय निवासी
यहां करें शिकायत-
- यदि आप भी पटाखा बुलेटों के शोर से परेशान हैं तो आप पुलिस कंट्रोल रूम नंबर- 0135-2430199 या 0135-2430100 पर शिकायत कर सकते हैं।