नई दिल्ली/नैनीताल। कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रवि विजय कुमार मालीमठ उत्तराखंड हाईकोर्ट के नए जज हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति मालीमठ समेत हाईकोर्ट के तीन जजों के तबादले की सिफारिश की है। इसमें जस्टिस मुरलीधर को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट, बाम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस रंजीत वी मोरे को मेघालय हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश है।
सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता में 12 फरवरी को कॉलेजियम की बैठक में यह फैसला लिया गया। इस बैठक में जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस आर भानुमति शामिल थे।
25 मई 1962 को जन्मे न्यायमूर्ति रवि विजयकुमार मालीमठ कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश स्वर्गीय वीएस मालीमठ के पुत्र हैं। उन्होंने 28 जनवरी 1987 से बंगलौर में अधिवक्ता के रूप में मुख्यत: सांविधानिक, सिविल, क्रिमिनल, लेबर और सर्विस के मामलों की प्रैक्टिस शुरू की थी। इसके बाद उन्हें 18 फरवरी 2008 को कर्नाटक हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायमूर्ति के रूप में नियुक्त किया गया। 17 फरवरी 2010 को वह स्थायी न्यायमूर्ति बने।
वहीं, जस्टिस मुरलीधर ने सितंबर 1984 में चेन्नई से वकालत शुरू की थी और 1987 में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। वे सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति के सक्रिय वकील रहे और दो कार्यकाल तक इसके सदस्य भी रहे। उन्होंने भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों और नर्मदा बांध में बहने वालों की ओर से मुफ्त में पैरवी की थी।
नई दिल्ली/नैनीताल। कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रवि विजय कुमार मालीमठ उत्तराखंड हाईकोर्ट के नए जज हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति मालीमठ समेत हाईकोर्ट के तीन जजों के तबादले की सिफारिश की है। इसमें जस्टिस मुरलीधर को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट, बाम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस रंजीत वी मोरे को मेघालय हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश है।
सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता में 12 फरवरी को कॉलेजियम की बैठक में यह फैसला लिया गया। इस बैठक में जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस आर भानुमति शामिल थे।
25 मई 1962 को जन्मे न्यायमूर्ति रवि विजयकुमार मालीमठ कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश स्वर्गीय वीएस मालीमठ के पुत्र हैं। उन्होंने 28 जनवरी 1987 से बंगलौर में अधिवक्ता के रूप में मुख्यत: सांविधानिक, सिविल, क्रिमिनल, लेबर और सर्विस के मामलों की प्रैक्टिस शुरू की थी। इसके बाद उन्हें 18 फरवरी 2008 को कर्नाटक हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायमूर्ति के रूप में नियुक्त किया गया। 17 फरवरी 2010 को वह स्थायी न्यायमूर्ति बने।
वहीं, जस्टिस मुरलीधर ने सितंबर 1984 में चेन्नई से वकालत शुरू की थी और 1987 में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। वे सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति के सक्रिय वकील रहे और दो कार्यकाल तक इसके सदस्य भी रहे। उन्होंने भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों और नर्मदा बांध में बहने वालों की ओर से मुफ्त में पैरवी की थी।