धुमाकोट। नैनीडांडा ब्लाक की ग्राम अपोला बदरीनाथ मंदिर समिति की ओर से आयोजित मकर संक्रांति मेले की सांस्कृतिक संध्या कोटद्वार की आशुकला समिति की संस्थापक सुमित्रा रावत के नाम रही। उन्होंने ना बासा घुघती चैता की...पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
शनिवार देर शाम को ग्राम अपोला में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम का लैंसडौन विधायक दिलीप रावत ने शुभारंभ किया। उन्होंने संस्था के आयोजन की प्रशंसा की। कहा कि मेले हमारे धरोहर हैं। आज के इस पाश्चात्य युग में जहां युवा अपनी परंपराओं को भूलते जा रहे हैं, ऐसे में इन धरोहरों को संजोए रखने की आज अधिक जरूरत है।
इसके बाद सुमित्रा रावत और साथियों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से समारोह में समा बांधा। सुमित्रा रावत ने कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना दैणा होंया खोली को गणेशा..से की। इसके बाद सुमित्रा ने जैसे ही ना बास घुघती चैता की, खुद लगीं च मां मैता की.. सुनाया दर्शक अपने स्थानों पर तालियां बजाते हुए झूमने लगे। इसके बाद घास काटी घसीलो.. गीत पर साथियों ने घसियारी, धार मां उरख्याली ब्वे चौडांडा बथों चा.. गीत पर थड़िया नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। सुमित्रा के हो भिना कस के जानू द्वारहटा... गीत पर कलाकारों की प्रस्तुति सराहनीय रही।
इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष सतीश कुमार ध्यानी, आनंद कुमार ध्यानी, देवेंद्र जुयाल, सच्चिदानंद ध्यानी व अनुसूया प्रसाद जुयाल आदि मौजूद थे।
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धुमाकोट। नैनीडांडा ब्लाक की ग्राम अपोला बदरीनाथ मंदिर समिति की ओर से आयोजित मकर संक्रांति मेले की सांस्कृतिक संध्या कोटद्वार की आशुकला समिति की संस्थापक सुमित्रा रावत के नाम रही। उन्होंने ना बासा घुघती चैता की...पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
शनिवार देर शाम को ग्राम अपोला में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम का लैंसडौन विधायक दिलीप रावत ने शुभारंभ किया। उन्होंने संस्था के आयोजन की प्रशंसा की। कहा कि मेले हमारे धरोहर हैं। आज के इस पाश्चात्य युग में जहां युवा अपनी परंपराओं को भूलते जा रहे हैं, ऐसे में इन धरोहरों को संजोए रखने की आज अधिक जरूरत है।
इसके बाद सुमित्रा रावत और साथियों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से समारोह में समा बांधा। सुमित्रा रावत ने कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना दैणा होंया खोली को गणेशा..से की। इसके बाद सुमित्रा ने जैसे ही ना बास घुघती चैता की, खुद लगीं च मां मैता की.. सुनाया दर्शक अपने स्थानों पर तालियां बजाते हुए झूमने लगे। इसके बाद घास काटी घसीलो.. गीत पर साथियों ने घसियारी, धार मां उरख्याली ब्वे चौडांडा बथों चा.. गीत पर थड़िया नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। सुमित्रा के हो भिना कस के जानू द्वारहटा... गीत पर कलाकारों की प्रस्तुति सराहनीय रही।
इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष सतीश कुमार ध्यानी, आनंद कुमार ध्यानी, देवेंद्र जुयाल, सच्चिदानंद ध्यानी व अनुसूया प्रसाद जुयाल आदि मौजूद थे।
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