आपदा प्रभावितों को सताने लगी बरसात की चिंता, दरारों वाले मकानों पर रह रहे लोग, सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर लगाया उपेक्षा का आरोप
नगर क्षेत्र के हल्दापानी मोहल्ले में हो रहे भूस्खलन से स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। पिछले दो सालों से यहां भूस्खलन हो रहा है। शासन ने भूस्खलन के ट्रीटमेंट के लिए बीते वर्ष नवंबर माह में 30 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की लेकिन अभी तक भी यहां काम शुरू नहीं हो पाया है। आपदा प्रभावितों का कहना है कि कई बार शासन-प्रशासन से भूस्खलन के ट्रीटमेंट की मांग की गई। कुछ महीनों ही में बरसात शुरू हो जाएगी तब और भी भवन भूस्खलन की जद में आ जाएंगे। हल्दापानी वार्ड के विकास नगर मोहल्ले के निचले क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हो रहे भूस्खलन से यहां करीब 70 भवन भू-धंसाव की जद में आ गए हैं। कई मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी हैं जिससे लोगों को डर सता रहा है। प्रशासन की ओर से यहां छह परिवारों को घर खाली कर किराए के मकानों में रहने के लिए कह दिया गया है। जिनमें से एक परिवार ने घर खाली कर दिया है जबकि अन्य परिवार अभी अपने असुरक्षित घरों में ही निवास कर रहे हैं।
सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता सुधीर कुमार ने बताया कि बीते 28 दिसंबर को भूस्खलन के सुधारीकरण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई थी लेकिन चार में से तीन ठेकेदारों के अधूरे आवेदन के चलते वे निरस्त हो गए। एक ठेकेदार का आवेदन सही पाए जाने पर विभाग ने उसे शासन को भेज दिया है। शासन से निर्देश प्राप्त होने के बाद ही भूस्खलन का सुधारीकरण कार्य शुरू किया जाएगा।
आपदा प्रभावितों में डर का माहौल
तहसील और राजस्व विभाग के अधिकारी कई बार भूस्खलन क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं लेकिन अभी भी यहां सुधारीकरण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। भूस्खलन से आंगन पूरी तरह से ध्वस्त पड़ा है जिससे यहां रहने में डर लग रहा है। अपनी जिंदगीभर की पूंजी लगाकर यहां पांच कमरों का मकान बनाया है अब खतरे के साए में जीने को मजबूर हैं।
अनीता रतूड़ी, आपदा प्रभावित, विकास नगर
लगातार भूस्खलन होने से डर सता रहा है। कई मकान रहने लायक नहीं हैं। प्रशासन की ओर से क्षति का मुआवजा भी नहीं दिया गया है। बारिश होने पर रातभर सो नहीं पा रहे हैं। सिंचाई विभाग को करोड़ों की धनराशि मिल गई है लेकिन भूस्खलन के ट्रीटमेंट में अनावश्यक देरी की जा रही है।
-सुरेंद्र सिंह भंडारी, आपदा प्रभावित
अपनी जिंदगीभर की मेहनत की कमाई से मकान बनाया। वर्ष 2017 में पति की मृत्यु हो गई। जिससे परिवार की जिम्मेदार मेरे कंधे पर आ गई। एक बेटा, बहू और दो छोटे नाती मेरे साथ रहते हैं। अब मकान भूस्खलन के मुहाने पर आ गया है। हम कहां जाएं, प्रशासन कह रहा है मकान छोड़कर किराए के घरों पर जाओ लेकिन घर का सामान कहां ले जाएं, कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
-विमला बिजल्वाल, आपदा प्रभावित