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शिमला। राज्य के सबसे बड़े इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में मरीजों को शाम चार बजे के बाद डाक्टर नहीं मिल रहे। सीनियर रेजिडेंट के 33 पद रिक्त होने से यहां दिक्कत बढ़ गई है। यही नहीं, ऑर्थो और सर्जरी विभाग में 11-11 पद खाली हैं। सर्जरी में 12 में से 1 ही पद पर रेजिडेंट तैनात है। साइकेट्रिक में सभी 5 पद खाली हैं। निश्चेतन विभाग में 14 में से 2 पद भरे गए हैं। ऐसा ही आलम लगभग सभी विभागों का है।
दलील दी जा रही है कि सीनियर रेजिडेंट डाक्टर ढूंढे नहीं मिल रहे। सरकार की शर्त इसमें आड़े आ रही है। शर्त के मुताबिक पीजी के बाद पैराफरी में दो साल लगाना अनिवार्य है। इस शर्त की सबसे अधिक मार जरनल ड्यूटी ऑफिसर (जीडीओ) पर पड़ रही है।
सीनियर रेजिडेंट डाक्टर के जिम्मे ओपीडी और वार्ड का मुख्य कार्यभार होता है। विशेषज्ञ डाक्टर चार बजते ही अस्पताल से छुट्टी कर चले जाते हैं। इसके बाद सुबह दस बजे तक की जिम्मेदारी सीनियर रेजिडेंट पर रहती है। लेकिन रिक्त पदों के कारण वार्ड और ओपीडी में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होना तय माना जा रहा है।
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इसलिए है डाक्टरों का अकाल
अधिकांश डायरेक्ट कैंडिडेट दूसरे राज्यों से होते हैं। वे पीजी के बाद पैराफरी में जाने की जगह प्रदेश को अलविदा कह देते हैं। पीजीआई या अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में इन्हें वेतन हर माह 65 से 70 हजार रुपये मिलता है। यहां सीनियर रेजिडेंट को 40 से 45 हजार रुपये मासिक वेतन मिलता है। जीडीओ की यहां रहना मजबूरी है। पीजी करने के बाद भी दो साल पैराफरी में जाने के कारण ही आईजीएमसी में रेजिडेंट डाक्टरों का अकाल सा पड़ गया है।
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चुनाव आयोग से मांगेंगे मंजूरी
आईजीएमसी के प्रिंसिपल प्रोफेसर एसएस कौशल ने कहा कि सीनियर रेजिडेंट डाक्टरों के रिक्त पदों को भरने के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी मांगी जा रही है। इनके वॉक इन इंटरव्यू किए जा रहे हैं। शीघ्र ही यह दिक्कत दूर हो जाएगी।
शिमला। राज्य के सबसे बड़े इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में मरीजों को शाम चार बजे के बाद डाक्टर नहीं मिल रहे। सीनियर रेजिडेंट के 33 पद रिक्त होने से यहां दिक्कत बढ़ गई है। यही नहीं, ऑर्थो और सर्जरी विभाग में 11-11 पद खाली हैं। सर्जरी में 12 में से 1 ही पद पर रेजिडेंट तैनात है। साइकेट्रिक में सभी 5 पद खाली हैं। निश्चेतन विभाग में 14 में से 2 पद भरे गए हैं। ऐसा ही आलम लगभग सभी विभागों का है।
दलील दी जा रही है कि सीनियर रेजिडेंट डाक्टर ढूंढे नहीं मिल रहे। सरकार की शर्त इसमें आड़े आ रही है। शर्त के मुताबिक पीजी के बाद पैराफरी में दो साल लगाना अनिवार्य है। इस शर्त की सबसे अधिक मार जरनल ड्यूटी ऑफिसर (जीडीओ) पर पड़ रही है।
सीनियर रेजिडेंट डाक्टर के जिम्मे ओपीडी और वार्ड का मुख्य कार्यभार होता है। विशेषज्ञ डाक्टर चार बजते ही अस्पताल से छुट्टी कर चले जाते हैं। इसके बाद सुबह दस बजे तक की जिम्मेदारी सीनियर रेजिडेंट पर रहती है। लेकिन रिक्त पदों के कारण वार्ड और ओपीडी में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होना तय माना जा रहा है।
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इसलिए है डाक्टरों का अकाल
अधिकांश डायरेक्ट कैंडिडेट दूसरे राज्यों से होते हैं। वे पीजी के बाद पैराफरी में जाने की जगह प्रदेश को अलविदा कह देते हैं। पीजीआई या अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में इन्हें वेतन हर माह 65 से 70 हजार रुपये मिलता है। यहां सीनियर रेजिडेंट को 40 से 45 हजार रुपये मासिक वेतन मिलता है। जीडीओ की यहां रहना मजबूरी है। पीजी करने के बाद भी दो साल पैराफरी में जाने के कारण ही आईजीएमसी में रेजिडेंट डाक्टरों का अकाल सा पड़ गया है।
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चुनाव आयोग से मांगेंगे मंजूरी
आईजीएमसी के प्रिंसिपल प्रोफेसर एसएस कौशल ने कहा कि सीनियर रेजिडेंट डाक्टरों के रिक्त पदों को भरने के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी मांगी जा रही है। इनके वॉक इन इंटरव्यू किए जा रहे हैं। शीघ्र ही यह दिक्कत दूर हो जाएगी।