योग में पांच यम, पांच नियम, जैन परंपरा में पांच महाव्रत और बौद्ध धर्म के पांच शील प्रसिद्ध हैं। आज को दौर में उनके नए संस्करण जरूरी हैं। यम नियम और पंच महाव्रत या शील निजी जीवन को संस्कारित करने और सुगठित बनाने के लिए है। परंतु उनका शुद्धतम अर्थों में पालन करना कठिन है। बेहतर है कि पहले व्यावहारिक पंचशीलों को व्यवहार में शामिल रखा जाए। पारंपरिक योगसाधना में शामिल पंचशीलों को सरल अर्थों में समझना चाहें तो उन्हें श्रमशीलता, मितव्ययिता, शिष्टता, सुव्यवस्था और सहकारिता के नाम दे सकते हैं।
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