Maha Shivratri 2023: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का महापर्व मनाने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह सम्पन्न हुआ था। महाशिवरात्रि पके दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। कहते हैं इस दिन महादेव की आराधना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि पर विधि-विधान से महादेव की पूजा, अर्चना एवं मंत्र जप करने से ग्रहदोष और दुर्भाग्य दूर होता है और साथ ही सुख, संपत्ति और सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का यह पर्व 18 फरवरी, शनिवार को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर यदि आप भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो उन्हें प्रसन्न करने के लिए रुद्र मंत्र का जाप करना चाहिए। आइए जानते भगवान शिव के रुद्र मंत्र को जपने की विधि ।
रुद्र मंत्र एवं अर्थ
ॐ नमो भगवते रुद्राये।
अर्थ: मैं भगवान रुद्र अर्थात भगवान शिव को नमन करता हूं। उन्हें प्रणाम करता हूं।
रुद्र गायत्री मंत्र
ॐ सर्वेश्वराय विद्महे, शूलहस्ताय धीमहि | तन्नो रूद्र प्रचोदयात् ||
अर्थ: हे सर्वेश्वर भगवान आपके हाथ में त्रिशूल है और मेरा जीवन विभिन्न प्रकार के कष्टों और परेशानियों में घिरा हुआ है। ऐसे में आप मुझे अपनी कृपा में ले कर मेरे कष्टों को दूर कीजिए और मुझ पर कृपा कीजिए, क्योंकि मैं आपकी शरण में हूं।
जाप विधि
- रुद्र मंत्र की जाप संख्या एक लाख है।
- वैसे तो इसे किसी भी माह की मास शिवरात्रि से प्रारंभ किया जा सकता है, लेकिन महाशिवरात्रि में इसका जाप करेंगे तो अधिक फल मिलेगा।
- रुद्र मंत्र के जाप के लिए अपने घर के पूजा स्थान में स्नानादि से निवृत होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण कर आसन बिछाकर बैठें।
- सामने चौकी पर शिव जी की मूर्ति अथवा चित्र रखें।
- फिर हाथ में पूजा की सुपारी, अक्षत, सिक्का, पुष्प और जल डालकर एक लाख जाप करने का संकल्प लें।
रूद्र मंत्र जाप के लाभ
- इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है, जिसके परिणाम स्वरूप बड़ी से बड़ी बीमारी भी दूर हो सकती है।
- जो व्यक्ति काफी समय से विभिन्न प्रकार के कष्टों में घिरा हुआ हो, उसे भी रूद्र मंत्र का जाप करने से उन सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और उसका जीवन धन्य हो जाता है।