आज आंवला नवमी है जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा और इसके नीचे खाना बनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन जप-तप,दान-स्न्नान आदि धार्मिक कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है इसलिए इस पर्व को अक्षय नवमी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार,अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करने से भगवान विष्णु,देवी लक्ष्मी और शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सौभाग्य,आरोग्य और धन वृद्धि के लिए शास्त्रों में इस दिन कुछ उपाय बताए गए हैं।
Amla Navami 2022: जानिए आंवला नवमी की पूजाविधि, कथा, महत्व और पूजा शुभ मुहूर्त
धन प्राप्ति के लिए-
अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने के बाद मां लक्ष्मी के निमित्त कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना बहुत उत्तम माना गया है। ऐसा करने से माता लक्ष्मी की भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। अक्षय नवमी के दिन सुबह-शाम इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में वैभव की प्राप्ति होती है और धन आगमन के नए-नए अवसर मिलते हैं।
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बढ़ेगी सुख-समृद्धि-
इस दिन स्न्नान करके शुभ रंगों के वस्त्र पहनकर आंवले के वृक्ष का पूजन करें। वृक्ष पर हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और जल में दूध मिलाकर आंवले की जड़ को सींचे एवं आरती कर वृक्ष की प्रदिक्षणा करें। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होगा और परिवार के सदस्यों की तरक्की होगी और अगर आपका धन कहीं अटका हुआ है तो वह भी निकल जाएगा।
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आरोग्य प्राप्ति के लिए-
मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन इस वृक्ष के नीचे बैठने और भोजन करने से सभी आदि-व्याधियों का नाश होता है। इस दिन किसी भी रूप में आंवले का सेवन करना बेहद लाभदायक माना जाता है। ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
दान-पुण्य करें-
शास्त्रों में वर्णित है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु एवं शिवजी का निवास होता है और इस दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है।आंवले का दर्शन,स्पर्श तथा उसके नाम का उच्चारण करने से वरदायक भगवान श्री विष्णु अनुकूल हो जाते हैं। दान और ब्राह्राणों को भोजन कराने पर पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। आंवला नवमी के दिन किए गया दान और ब्राह्राणों को भोजन कराने से धन-सम्पदा और सुख-शान्ति में कई गुना बढ़ोत्तरी होती है।