विवाह दो लोगों के बीच का वह बंधन है जिसकी नींव आपसी विश्वास पर टिकी होती है। इस रिश्ते में पारदर्शिता का भी बहुत महत्व है। पारदर्शिता का न होना भावनाओं को तो ठेस पहुंचाता ही है, हमेशा के लिए विश्वास को तोड़ देता है। इसकी वजह से रिश्ते में दरार आ सकती है और रिश्ता टूटने की कगार पर आ जाता है। खासकर अगर किसी बात को जानबूझकर छुपाया गया है तो।
यही पारदर्शिता रिश्ते की शुरुआत के दौरान भी कई स्थितियों को लेकर रखी जानी चाहिए, जिनमें से एक है वित्तीय स्थिति। आजकल लड़का हो या लड़की, आर्थिक आत्मनिर्भरता और स्वतन्त्रता को लेकर दोनों ही स्पष्ट सोच रखते हैं। अपने करियर के प्रति समर्पण और भविष्य को लेकर सजगता भी रखते हैं। ऐसे में चाहे लव मैरिज हो या अरेंज, जरूरी है कि दोनों एक-दूसरे से उन सभी जानकारियों को साझा अवश्य करें जो उनके रिश्ते और भविष्य दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
क्यों है जरूरी फाइनेंस पर बात करना
फाइनेंस की बातें यानी आर्थिक स्थिति से संबंधित बातें। भावनात्मक तौर पर यह कहा जा सकता है कि रिश्तों के बीच पैसों को क्या लाना! लेकिन असल में अक्सर आर्थिक झगड़े ही रिश्तों में दरार आने का बड़ा कारण बनते हैं। किसने, किसपर, कैसे, क्या खर्च किया, कौन किस तरह से खर्च करेगा, शादी के बाद क्या नई जिम्मेदारियां जुड़ेंगी और किस पर कितना भार आएगा।
यह सब बातें अगर पहले से ही स्पष्ट हों तो रिश्तों की गर्माहट हमेशा बनी रहेगी। इसलिए इन सभी बातों को पहले से ही शांति से बैठकर समझें और तय करें। इससे यह फायदा होगा कि आगे किसी भी तरह की असमंजसता और उलझन नहीं होगी और दूसरे आपको सामने वाले की एप्रोच भी समझ आ जाएगी।
इन बातों को करें क्लियर
सैलरी और खर्चे
आजकल ज्यादातर दम्पति कामकाजी होते हैं। चाहे वे किसी फर्म से जुड़े हों या कोई निजी काम करते हों। वर्तमान जीवनशैली के लिहाज से दो लोगों का कमाना गलत भी नहीं लेकिन विवाह के पूर्व यह जरूरी है कि लड़का-लड़की दोनों अपनी सैलरी और खर्चों के बारे में खुलकर बात करें।
अगर आप यह सोचते हैं कि सैलरी अभी ज्यादा बता देता हूँ या खर्चे अभी कम बताती हूँ, बाद में तो सब एडजस्ट हो जाएगा। तो आप सबसे बड़ी गलती करते हैं। यह एक तरह का धोखा होता है जो आप सामने वाले को दे रहे होते हैं। बाद में सच्चाई सामने आने पर रिश्ता निभाया भी जाए तो अविश्वास की छाया उसपर बनी रहती है।
लोन पर भी करें बातचीत
युवावस्था में लिए गए लोन अधिकांशतः एजुकेशन संबंधी ही होते हैं, जो कि नौकरी के शुरूआती सालों में चुक भी जाते हैं। यदि शादी तय होने तक आप इसे चुका नहीं पाए हैं तो सबसे पहले इसे ही पूरा करें। यदि शादी के समय आपके पास कोई भी लोन है तो अतिरिक्त खर्चों या लोन से बचें। याद रखें कि शादी के बाद आपकी जिम्मेदारियां (लड़का-लड़की दोनों की) बढ़ेंगी ही। ऐसे में नया लोन दिक्क़तें खड़ी कर सकता है।
दिखने में ईएमआई भले ही आसान लगें लेकिन हर महीने नियत समय पर इसे चुकाना आसान नहीं होता। इसलिए कर्जों और लोन को लेकर पूरा स्पष्टीकरण रखें। यदि आपके परिवार (दोनों तरफ) में भी कोई बड़ा लोन सिर पर है तो इसको लेकर भी पहले से बात स्पष्ट करें, ताकि शादी में होने वाले सामान्य खर्चों को लेकर भी बाधा न आये।
लेन-देन व्यवहार
ये वह स्थिति है जो शादी के बाद बहुत सारे रिश्तों के टूटने का कारण बन सकती है। यह केवल शादी में दिए जाने वाले उपहारों तक ही सीमित नहीं रहती, शादी के बाद होने वाले व्यवहार पर भी इसका असर दिखाई देता है।
उदाहरण के लिए आपने पहले यह स्पष्ट नहीं किया कि आप शादी के बाद एक-दूसरे के रिश्तेदारों या परिचितों के मामले में किसी तरह की आर्थिक मदद करेंगे या नहीं। शादी के बाद अचानक ऐसी कोई स्थिति बनी तो ये बहस का मसला बन सकता है। इसलिए शादी तय होते समय ही तय कीजिए कि क्या शादी के बाद ऐसी कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी रहेगी। यदि रहेगी तो उसे कैसे हैंडल करना है।