पिछले तीन सालों से जारी कोरोना महामारी की रफ्तार फिलहाल भले ही हल्की और नियंत्रित नजर आ रही है, पर इसके कई प्रकार के दुष्प्रभाव अब भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बने हुए हैं। कोरोना के दुष्प्रभावों को लेकर हुए तमाम अध्ययनों से पता चलता है कि संक्रमण के कारण लोगों में हृदय, फेफड़े की गंभीर बीमारियों के साथ मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का जोखिम भी काफी बढ़ गया है। इस बीच हाल ही में हुए एक अध्ययन में विशेषज्ञों की टीम ने पाया कि कोरोना संक्रमण ने लोगों की आंतों को भी प्रभावित किया है जिसका दुष्प्रभाव लंबे समय तक बना हुआ रह सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हालिया अध्ययन में पाया कि पेट में बनी समस्या कोविड-19 के दुष्प्रभाव के कारण भी हो सकती है, जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है। यदि आप कोरोना संक्रमण के शिकार रह चुके हैं तो इस बारे में और भी ध्यान दिया जाना जरूरी हो जाता है।
अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 गट माइक्रोबायोम को प्रभावित करता है, जिसके कारण पेट से संबंधित कई प्रकार की समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। आइए इस बारे में आगे विस्तार से समझते हैं।
संक्रमण का गट माइक्रोबायोम पर असर
शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि कोरोना वायरस के कारण संक्रमितों की आंतों में मौजूद माइक्रोबायोम में असंतुलन देखा जा रहा है, जिसके कारण भोजन के पाचन से लेकर पेट में दर्द और इससे संबंधित कई अन्य प्रकार की समस्याओं के विकसित होने का भी खतरा हो सकता है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने इसके लिए चूहों पर अध्ययन किया, इसमें पाया गया कि कोरोना वायरस आंतों में मौजूद स्वस्थ बैक्टीरिया को प्रभावित करता है, जिसके दीर्घकालिक दुष्प्रभावों का भी जोखिम हो सकता है।
अध्ययन में क्या पता चला?
नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि संक्रमण का शिकार रह चुके लोगों को फिलहाल पेट से संबंधित लक्षणों पर गंभीरता से ध्यान देते रहने की आवश्यकता होती है। संक्रमण के दौरान खांसी, बुखार, नाक बहने जैसे ट्रेडमार्क लक्षणों के साथ-साथ रोगियों में पाचन तंत्र से संबंधित कई लक्षण देखे जा रहे हैं। लॉन्ग कोविड की स्थिति में भी इसका खतरा हो सकता है।
अध्ययन में पाया गया कि लगभग 34% तक संक्रमितों ने पाचन से संबंधित विकारों का अनुभव किया। अध्ययन में कहा गया है कि, इस तरह की स्थिति में रोगी में सेकेंडरी बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है।
इस तरह के लक्षणों को लेकर रहें अलर्ट
इस अध्ययन में विशेषज्ञों की टीम ने पाया कि कोरोनावायरस, रिसेप्टर के रूप में एंजियोटेंसिन-कनवर्टिंग एंजाइम 2 (ACE-2) प्रोटीन का प्रयोग करके आंतों की कोशिकाओं में प्रवेश करता है। इसके कारण रोगियों में पेट से संबंधित कई प्रकार की समस्याओं का अनुभव हो सकता है। अधिकतर लोगों ने एनोरेक्सिया, दस्त, मतली, उल्टी और पेट में दर्द की शिकायत की। यह कोविड-19 के गंभीर संक्रमण को बढ़ाने वाली स्थिति भी हो सकती है, जिसके बारे में सभी को सावधानी बरतनी चाहिए।
द चाइनीज यूनिवर्सिटी में 100 लोगों के डेटा अध्ययन में पाया गया कि गट माइक्रोबायोम संरचना में आया बदलाव कई प्रकार की दीर्घकालिक समस्याओं के जोखिम को भी बढ़ाने वाली हो सकती है।
क्या है अध्ययन का निष्कर्ष?
अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर शोधकर्ताओं ने बताया कि संक्रमण के दौरान और ठीक होने के बाद भी लोगों में आंतों से संबंधित लक्षण देखे जा रहे हैं। यदि आपको भी पेट में इस प्रकार की समस्या कुछ समय से बनी हुई है तो इस बारे में किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें। आंतों में लंबे समय तक बनी रहने वाली समस्याओं के कारण कई प्रकार के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों का भी जोखिम हो सकता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।
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