देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अबतक के आंकड़ों के अनुसार भारत में 2 करोड़ 26 लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना वायरस अपनी चपेट में ले चुका है। संक्रमितों की बढ़ती संख्या और चिकित्सा सुविधाओं की कमी हर बीतते दिन के साथ स्थिति को और तनावपूर्ण बनाती जा रही है। जब बात कोरोना के उपचार की हो रही हो तो इन दिनों स्टेरॉयड दवाएं काफी चर्चा में हैं। कोविड के इलाज के दौरान डॉक्टर इन दवाओं को प्रयोग में ला रहे हैं, जबकि कुछ लोग खुद से ही स्टेरॉयड दवाओं को सेवन कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कोरोना में यह दवाएं किस तरह से फायदेमंद हैं और क्या कोरोना के सभी रोगियों को इसकी आवश्यकता होती है?
स्टेरॉइड क्या होता है?
इस बारे में जानने के लिए हमने दिल्ली एम्स के डॉक्टर रंजन यादव से बातचीत की। डॉ रंजन बताते हैं कि स्टेरॉयड शब्द, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का शार्ट फॉर्म है। यह दवाएं एंटी-इंफ्लेमेटरी और इम्यूनो-सप्रेसिव के रूप में प्रयोग में लाई जाती हैं। आमतौर पर सूजन को कम करने के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
क्या कोरोना के हर रोगी को स्टेरॉयड की जरूरत होती है?
विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना के सभी रोगियों को स्टेरॉयड की जरूरत नहीं है। ज्यादातर रोगी बिना स्टेरॉयड के ही ठीक हो जा रहे हैं। जिन लोगों को कोरोना के एसिम्टोमैटिक या कोरोना के हल्के लक्षण हों, इसके अलावा ऑक्सीजन की दिक्कत नहीं हो, ऐसे रोगियों को प्राय: स्टेरॉयड की जरूरत नहीं होती है। इसलिए बिना किसी डॉक्टरी सलाह के कोरोना के रोगियों को स्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
किन लोगों को दी जाती हैं यह दवाएं?
विशेषज्ञ कहते हैं कि जिन रोगियों में ऑक्सीजन का स्तर लगातार गिर रहा हो, इसके अलावा फेफड़े और गले में गंभीर दिक्कतों के साथ बीमारी में कोई सुधार न हो रहा हो, उन लोगों को डॉक्टर जरूरत के हिसाब से स्टेरॉयड दवाओं के इस्तेमाल की सलाह दे सकते हैं। मसलन जिन रोगियों की स्थिति गंभीर हो और संक्रमण में सुधार न हो रहा हो, उन्हें स्टेरॉयड की आवश्यकता होती है। इसके अलावा जिन संक्रमितों के एक्स-रे में फेफड़े में घाव या गंभीर सूजन का पता चलता है उन्हें भी डॉक्टर इन दवाओं के सेवन की सलाह दे सकते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि इसके लिए कोई तय पैरामीटर नहीं है जिससे निर्धारित किया जा सके कि किसी रोगी को स्टेरॉयड दिया जाना चाहिए और किसे नहीं?
संक्रमण के पहले पांच दिनों में स्टेरॉयड से बचना चाहिए
विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना की शुरुआत में प्रतिरक्षा प्रणाली के माध्यम से संक्रमण से मुकाबला करने पर जोर दिया जाना चाहिए है। रोगियों को स्टेरॉयड देने से उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली दब जाती है और शरीर के इम्यून सिस्टम संक्रमण से मुकाबला नहीं कर पाता है। आमतौर पर डॉक्टर बीमारी के पहले 4-5 दिनों के दौरान स्टेरॉयड नहीं देते हैं। लोगों को कोविड-19 बीमारी के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए, जिससे इस तरह की दवाइयों का इस्तेमाल वह खुद से न शुरू कर दें। इसके गंभीर नुकसान भी हो सकते हैं।