कुछ साल पहले बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी नाम के बुखार की चपेट में आकर सैकड़ों बच्चों ने अपनी जान गंवा दी थी। इनमें से अधिकतर बच्चों की मौतें हाइपोग्लाइसीमिया या लो ब्लड शुगर के कारण हुई थीं। दरअसल, आमतौर पर हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण दिमागी बुखार के मरीजों में दिखते हैं। हालांकि मुजफ्फरपुर में दिमागी बुखार के मामले अक्सर आते रहते हैं, कभी कम तो कभी ज्यादा। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015-16 में बिहार में पांच साल से कम उम्र के 48 फीसदी बच्चे दिमागी बुखार के कारण मौत का शिकार हो गए थे। इसलिए इस बीमारी से सतर्क रहने की जरूरत है। इस बीमारी को मस्तिष्क ज्वर या एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम या जापानी इंसेफ्लाइटिस भी कहा जाता है। चूंकि यह गंभीर बीमारी है, जो अधिक गर्मी और नमी के मौसम में फैलती है, ऐसे में बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने इसको लेकर सतर्क किया है और इसकी रोकथाम के उपाय बताए हैं। आइए जानते हैं कि इस बीमारी से कितने साल तक के बच्चे प्रभावित हो सकते हैं, इसके लक्षण और बचाव के उपाय क्या हैं?
क्यों कहा जाता है चमकी बुखार?
- दरअसल, बोलचाल की भाषा में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम को चमकी बुखार कहा जाता है। इसकी वजह ये है कि इससे ग्रस्त मरीज का शरीर अचानक सख्त हो जाता है और मस्तिष्क और शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है, आम बोलचाल की भाषा में इसी ऐंठन को चमकी कहा जाता है।
कौन हो सकता है चमकी बुखार का शिकार?
- बिहार के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, एक से 15 साल तक के बच्चे इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं। इम्यूनिटी कमजोर होना इसकी एक वजह हो सकता है। बहुत ज्यादा गर्मी और नमी के मौसम में इस बीमारी की तीव्रता काफी बढ़ जाती है।
चमकी बुखार के लक्षण क्या हैं?
- चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को लगातार तेज बुखार रहता है, शरीर में ऐंठन होती है। इसके अलावा कमजोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश भी हो सकता है। कभी-कभी तो शरीर सुन्न भी हो जाता है और झटके लगते रहते हैं। इन लक्षणों पर ध्यान देने और डॉक्टर से संपर्क कर सही समय पर इलाज की जरूरत होती है।
चमकी बुखार से बचने के लिए क्या सावधानी बरतें?
- चूंकि गर्मी के मौसम में फल हो या खाना, जल्दी खराब हो जाते हैं, इसलिए ध्यान रखें, बच्चों को ऐसी चीजों का सेवन न करने दें। साथ ही बच्चों को गंदगी से दूर रखें, खाना खाने से पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह से धुलाएं। बच्चों को साफ पानी पीने के लिए दें। इसके अलावा सबसे जरूरी बात कि उन्हें बाहर धूप में खेलने से मना करें।