शनिवार दोपहर 12.15 बजे। महाराष्ट्र के अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा के नॉर्थ एवेन्यू स्थित 19 नंबर बंगले पर गहमागहमी का माहौल है। कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर तक पैदल यात्रा करने के बाद नवनीत अपने बंगले पर लौट चुकी हैं। चारों तरफ भगवा झंडे, जय श्रीराम और जय बजरंग बली के नारे लगाए जा रहे हैं। इसी बीच, सांसद राणा और उनके विधायक पति रवि समर्थकों से आगे की रूपरेखा की तैयारियों को लेकर चर्चा कर रहे हैं। सांसद राणा अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाते हुए घर आए मेहमानों, समर्थकों के हालचाल जान रही हैं। वहीं, चाय-नाश्ते पर अपनी आपबीती भी बयां कर रही हैं। इस दौरान अमर उजाला डिजिटल ने उनसे विशेष बातचीत की। उन्होंने कई सवालों के खुलकर जवाब भी दिए। पढ़ें, विशेष बातचीत के अंश...
सवाल: हनुमान चालीसा में चौपाई है कि "जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई" अपने ऊपर आए इस संकट को टालने के लिए क्या जेल में इनका अनुसरण किया?
जवाब: जी...बिल्कुल आपने बिल्कुल सही चौपाई को याद किया। इन्हीं के सहारे मैंने जेल में अपने 24 दिन निकाले हैं। रोज सुबह मैं 51 बार चालीसा का पाठ करती थी। फिर शाम को 51 बार। इसी तरह मैं जेल में अपना समय काट लेती थी। सुबह मुझे करीब तीन से चार घंटे और शाम को भी इतना ही वक्त लगता था। लेकिन इसमें मुझे जेल में मौजूद हिंदू बहनों का भी सहयोग मिलता था। वे भी मेरे साथ पाठ करती थीं। मैं महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी देती हूं कि मुझे जहां मौका मिलेगा, वहां मैं अपने धर्म का प्रचार करने से पीछे नहीं हटूंगी।
सवाल: इतने दिन आप जेल में रहीं बच्चों से दूर थीं, सुना है सांसद राणा से उनकी अपनी ही बेटी थोड़ी नाराज है।
जवाब: (हंसते हुए) अरे पूछिए मत... जब कभी बड़ी बेटी और छोटा बेटा बीमार होते हैं, तो मैं सारे काम छोड़कर उनके पास पहुंच जाती हूं। उनके पास रहती हूं और उनकी देखरेख करती हूं। जब मैं जेल में थी तब मेरी बेटी को बहुत तेज बुखार था। यह पहली बार हुआ होगा कि मैं उसके पास नहीं पहुंच सकी। इसलिए वो थोड़ी गुस्सा है। (सवाल के दौरान सांसद राणा को रोकते हुए उनकी बेटी कहती है, बीमारी में मां आपको मेरी याद तक नहीं आई, मैं आपसे गुस्सा हूं।)
देख लिया आपने, अभी भी वो थोड़ी नाराज है, लेकिन मैं उसे मना लूंगी। लेकिन मेरी गैरमौजूदगी अमरावती में मेरे परिवार वालों ने मेरे बच्चों की देखरेख की। जब मैं दिल्ली आ गई तो बच्चों को भी यहीं बुलावा लिया है। करीब 22 दिनों बाद मैं अपने बच्चों से मिली।
सवाल: जेल का अनुभव कैसा रहा?
जवाब: हनुमान चालीसा के पाठ और अपने धर्म के प्रचार के लिए फिर जेल जाना पड़ा तो जरूर जाऊंगी, लेकिन महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार को सबक सिखा कर ही दम लूंगी। मैं पीछे हटने वाले लोगों में से नहीं हूं। देखिए...हम लोग जैसा फिल्मों में देखते हैं, जेल में थोड़ा कुछ वैसा ही होता है। लेकिन इसकी असलियत सलाखों के पीछे जाने के बाद ही पता चलती है। वहां के भी कुछ नियम होते हैं, उसका सभी को पालन करना होता है। जब आदित्य ठाकरे जेल में जाएंगे, तब उद्धव ठाकरे को पता चलेगा जेल जाना और भेजना कैसा होता है।
सवाल: सुना है अभी सरकार और विरोधी नजर रखे हुए हैं।
जवाब: जोर से हंसते हुए...आपने एक शायरी सुनी होगी। मुझसे नफरत करने वाले भी कमाल का हुनर रखते हैं, मुझे देखना तक नहीं चाहते, लेकिन नजर मुझ पर ही रखते हैं। देखिए जो व्यक्ति और जो सरकार कभी हनुमान की नहीं हो सकी, तो श्रीराम की क्या होगी।
साउथ की एक 'पुष्पा' फिल्म का एक डायलॉग है न...उसी तरह अब ये सांसद नवनीत कौर राणा भी महाराष्ट्र सरकार के आगे झुकूंगी नहीं। मैं अपना काम करती रहूंगी। जो जहां बुलाएगा, वहां जाएंगे हनुमान चालीसा करेंगे। बाकी अभी तो फिलहाल थोड़ा समय मैं अपनी हेल्थ को दे रही हूं, बाकी समय अपने बच्चों के साथ बिता रही हूं। जल्द ही अपने संसदीय क्षेत्र की तरफ कूच करूंगी क्योंकि बहुत सारे प्रोजेक्ट्स जिन पर काम होना है। बाकि लोगों से भी मिलना और आगे विकास कामों को गति देना है।
सवाल: सोशल मीडिया पर भगवा ओढ़े हनुमान जी की मूर्ति लिए एक फोटो आपका वायरल हो रहा है। वह आप कहां से लाईं?
जवाब: देखिए.. हनुमान भक्त होने के नाते ये मूर्ति मेरे एक समर्थक ने मुझे दिल्ली में भेंट की है। अब इसे मैं अपने घर के मंदिर में स्थापित करने जा रही हूं।
सवाल: ऐसा कहा जा रहा है कि राणा दंपति किसी के इशारे पर ये सब कर रहे हैं?
जवाब: लोगों को एक बात समझनी होगी कि राणा दंपति किसी के रिमोट कंट्रोल से नहीं चलते, भाजपा के भी नहीं। आज हम महाराष्ट्र के लोगों को उद्धव ठाकरे से मुक्ति दिलाना चाहते हैं। महाराष्ट्र से शकुनि और अपशकुनी के संकट को दूर करने के लिए हमने शनिवार सुबह दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ किया।
सवाल: 14 मई की शाम को सीएम ठाकरे एक रैली कर रहे हैं इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब: देखिए, सीएम आज ही एक टीजर में अपने कार्यकर्ताओं से कह रहे हैं कि उन्हें वज्रमूठ दें ताकि वे विरोधियों के दांत तोड़ने के काम आएं। अगर उनमें इतनी हिम्मत हैं तो वे औरंगजेब की कब्र पर चादर चढ़ाने वालों के दांत तोड़कर दिखाएं।
सवाल: क्या आप सीएम ठाकरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेंगी?
जवाब: जी बिल्कुल, उद्धव ठाकरे प्रदेश की जिस भी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, वहां से मैं उनके खिलाफ चुनावी मैदान में उतरुंगी। अगर उनमें हिम्मत है तो वे आज की रैली में घोषणा करें कि वे कहां से चुनाव लड़ेंगे। मैं उन्हें अपने खिलाफ चुनाव लड़ने कि चुनौती देती हूं।
सवाल: उद्धव ठाकरे के बारे में क्या कहना चाहेंगी?
जवाब: उनके पिता बाला साहेब ने कभी चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन उन्होंने हमेशा शिवसैनिकों को आगे बढ़कर पद दिया। उद्धव को अगर पद का लालच है, तो वे चुनाव लड़ें और ये साफ करें कि कहां से लड़ेंगे। उनके खिलाफ मैं लडूंगी। महाराष्ट्र में रामभक्त और हनुमान भक्त इनके खिलाफ खड़े होंगे। बाला साहेब ने शिवसेना का निर्माण किया, लेकिन उद्धव ठाकरे ने इसे 'सुलेमान सेना' बना दिया।
सवाल: क्या राणा दंपति देश के सभी राज्यों और महाराष्ट्र के सभी जिलों में हनुमान चालीसा कोई आयोजन करने की योजना बना रहे हैं?
जवाब: फिलहाल तो इस बारे में विचार कर रहे हैं कि देश के सभी राज्यों के शहरों में हनुमान चालीसा का पाठ कैसे और किस स्तर पर किया जाए, लेकिन जो भी हमें बुलाएगा, हम राम और हनुमान भक्त होने के नाते जरूर जाएंगे और पाठ में शामिल होंगे। जहां तक महाराष्ट्र की बात है तो बिल्कुल हम राज्य के हर जिले में चालीस का पाठ करेंगे।