पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब। यह पुरानी कहावत आज इसलिए याद आ गई क्योंकि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सोमवार को अचानक 12वीं के नतीजे घोषित कर दिेए। परिणाम हालांकि पिछले साल से बेहतर आए, लेकिन कई छात्र-छात्राओं को निराशा भी हाथ लगी। ऐसे में उन विद्यार्थियों को निराश होने की बजाय हमारे उन भारतीय क्रिकेटर्स की तरफ देखना चाहिए जिन्होंने कड़ी मेहनत, अनुशासन, लगन और ढृढ निश्चय के बूते सफलता की बुलंदियां हासिल की।
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली का जन्म 5 नवंबर 1988 को दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे चीकू ने शुरुआती पढ़ाई विशाल भारती पब्लिक स्कूल से की, फिर बेहतर क्रिकेट करियर के मद्देनजर उन्हें पश्चिम विहार के सेवियर कॉन्वेंट स्कूल में शिफ्ट किया गया, जिस विराट कोहली का सिक्का दुनिया भर में चलता है, वह सिर्फ 12वीं पास है। क्रिकेट करियर की वजह से कोहली कॉलेज भी नहीं जा पाए।
भारतीय क्रिकेट टीम के पू्र्व कप्तान धोनी ने डीएवी जवाहर विद्या मन्दिर, रांची से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। स्कूल के ही दौरान उन्हें क्रिकेट का चस्का लगा फिर संत जेवियर्स कॉलेज रांची में दाखिला लिया, लेकिन खेल के कारण पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी। वर्ष 2011 में वर्ल्ड कप जीतने के बाद जेवियर्स कॉलेज से उन्हें ऑनररी डिग्री प्रदान कर दी।
सीमित ओवर्स में भारतीय क्रिकेट टीम के उपकप्तान रोहित शर्मा कभी कॉलेज नहीं जा पाए। लेडी ऑफ वेलंकन्नी हाई स्कूल से प्राइमरी की पढ़ाई पूरी करने वाले हिटमैन का चयन हायर सेकेंडरी स्कूल के दौरान ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए हो गया। था। यानी रोहित शर्मा भी 12वीं तक ही शिक्षित हैं।
भारतीय क्रिकेट टीम के ओपनर शिखर धवन ने भी क्रिकेट को ज्यादा महत्व दिया। दिल्ली के पश्चिम विहार में सेंट मार्क्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल से गब्बर ने 12वीं तक पढ़ाई की फिर क्रिकेट को ही अपना सबकुछ समझ लिया।