प्राणियों के शरीर में रक्त में सर्वाधिक प्रभाव डालने वाले महान ग्रह पृथ्वी पुत्र मंगल 22 फरवरी की सुबह 4 बजकर 33 मिनट पर अपनी स्वयं की राशि मेष की यात्रा समाप्त करके शुक्र की राशि वृषभ में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि पर ये 14 अप्रैल की मध्यरात्रि 1 बजकर 10 मिनट तक गोचर करेंगे, उसके बाद मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। दीर्घकालिक योग साधना में लगे हुए भगवान शिव के पसीने की एक बूंद से उत्पन्न मंगल अत्यधिक साहसी, परिश्रमी और कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं। जन्मकुंडली में इनके शुभ प्रभाव के फलस्वरूप समाज में अच्छी कामयाबी और ख्याति प्राप्त करता है। कुंडली में ये अपनी राशि या उच्चराशि में होकर केंद्र में हों तो ‘रूचक योग’का निर्माण करते हैं जो पंचमहापुरुष योग में से एक है। जिन जातकों की जन्म कुंडली में ये मांगलिक योग बनाते हैं उन्हें दांपत्य जीवन में कहीं न कहीं कठिनाइयों का सामना करना ही पड़ता है और विवाह में विलंब भी होता है। इसलिए जिनकी जन्मकुंडली में मांगलिक दोष हो उन्हें इस दोष की शांति अवश्य करा लेनी चाहिए। मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल कर्क राशि में नीचराशि तथा मकर राशि में उच्चराशिगत संज्ञक माने गए हैं। इनके राशि परिवर्तन का सभी बारह राशियों पर कैसा प्रभाव रहेगा इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं।