राजस्थान के जयपुर के जस्सी गांव में एक लड़की ने सराहनीय पहल करते हुए महिलाओं की पढ़ाई को सुलभ बनाने के लिए एक पुस्तकालय खोला है। पहले राजस्थान के इस गांव के लोगों को पुस्तकालय की सुविधा के लिए 13 से 14 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था, और अभिभावकों ने लड़कियों के साथ छेड़छाड़ के डर से उन्हें गांव के बाहर के पुस्तकालय में जाने से मना कर दिया था।
अब बस्सी गांव की एक लड़की ने गांव में ही एक पुस्तकालय खोला है, जिससे अपने गांव की लड़कियों के लिए शिक्षा को सुलभ बना सके। पुस्तकालय खोलने वाली लड़की कविता सैनी ने बताया कि "हमारे गांव में महिलाओं के लिए पुस्तकालय नहीं था और निकटतम पुस्तकालय 13 से 14 किमी दूर था। ऐसे में, उन्हें पढ़ाई के लिए दूर जाना पड़ता था। और परिजनों ने छेड़छाड़ के डर से लड़कियों को बाहर जाने से मना कर दिया था। इसलिए, मैंने इस पुस्तकालय को गांव में ही खोला।"
कविता ने बताया कि पुस्तकालय में वर्तमान में 398 पुस्तकें हैं। उन्होंने कहा, "पुस्तकालय सुबह नौ से शाम पांच बजे तक खुला रहता है और किताबें मुफ्त में मिलती हैं।" आर्थिक आजादी के लिए बस्सी गांव की महिलाएं कढ़ाई का काम भी करती हैं। कढ़ाई के काम के अलावा, वे खिलौने भी बनाते हैं जो बाजार में 100 रुपये से 1000 रुपये के बीच बिकते हैं।
मुख्य कार्यक्रम प्रबंधक पिंकी जैन के कहा, "कोविड-19 के मद्देनजर, गांव में कई लोगों ने अपनी नौकरी खो दी थी, ऐसे में यह हस्तशिल्प रोजगार ग्रामीणों की वित्तीय स्थिति में सुधार लाया है। हम देख रहे हैं कि इसके जरिए उनकी वित्तीय स्थिति बेहतर हो रही है।" एक पाठक ने बताया कि गांव की महिलाओं को अंग्रेजी भी सिखाई जा रही है।
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राजस्थान के जयपुर के जस्सी गांव में एक लड़की ने सराहनीय पहल करते हुए महिलाओं की पढ़ाई को सुलभ बनाने के लिए एक पुस्तकालय खोला है। पहले राजस्थान के इस गांव के लोगों को पुस्तकालय की सुविधा के लिए 13 से 14 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था, और अभिभावकों ने लड़कियों के साथ छेड़छाड़ के डर से उन्हें गांव के बाहर के पुस्तकालय में जाने से मना कर दिया था।
अब बस्सी गांव की एक लड़की ने गांव में ही एक पुस्तकालय खोला है, जिससे अपने गांव की लड़कियों के लिए शिक्षा को सुलभ बना सके। पुस्तकालय खोलने वाली लड़की कविता सैनी ने बताया कि "हमारे गांव में महिलाओं के लिए पुस्तकालय नहीं था और निकटतम पुस्तकालय 13 से 14 किमी दूर था। ऐसे में, उन्हें पढ़ाई के लिए दूर जाना पड़ता था। और परिजनों ने छेड़छाड़ के डर से लड़कियों को बाहर जाने से मना कर दिया था। इसलिए, मैंने इस पुस्तकालय को गांव में ही खोला।"
कविता ने बताया कि पुस्तकालय में वर्तमान में 398 पुस्तकें हैं। उन्होंने कहा, "पुस्तकालय सुबह नौ से शाम पांच बजे तक खुला रहता है और किताबें मुफ्त में मिलती हैं।" आर्थिक आजादी के लिए बस्सी गांव की महिलाएं कढ़ाई का काम भी करती हैं। कढ़ाई के काम के अलावा, वे खिलौने भी बनाते हैं जो बाजार में 100 रुपये से 1000 रुपये के बीच बिकते हैं।
मुख्य कार्यक्रम प्रबंधक पिंकी जैन के कहा, "कोविड-19 के मद्देनजर, गांव में कई लोगों ने अपनी नौकरी खो दी थी, ऐसे में यह हस्तशिल्प रोजगार ग्रामीणों की वित्तीय स्थिति में सुधार लाया है। हम देख रहे हैं कि इसके जरिए उनकी वित्तीय स्थिति बेहतर हो रही है।" एक पाठक ने बताया कि गांव की महिलाओं को अंग्रेजी भी सिखाई जा रही है।