04:03 PM, 18-Feb-2023
शिवलिंग परिक्रमा के दौरान करें इन नियमों का पालन
- शिवलिंग की परिक्रमा को लेकर कुछ विशेष नियम हैं।
- शिवलिंग की आधी परिक्रमा की जाती है।
- आधी परिक्रमा कर वापस आधी परिक्रमा करनी चाहिए।
- शिवलिंग की परिक्रमा करते समय दिशा का भी ध्यान रखें।
- शिवलिंग की परिक्रमा बाईं ओर से की जाती है।
- परिक्रमा करते समय कभी भी जलाधारी नहीं लांघनी चाहिए।
03:42 PM, 18-Feb-2023
महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ को न चढ़ाएं ये फूल
महाशिवरात्रि में भगवान भोलेनाथ की चारों प्रहर पर पूजा की जाएगी। लेकिन शिव जी की पूजा के दौरान उन्हें कुछ विशेष पुष्प अर्पित नहीं करने चाहिए। केतकी के फूलों के बारे में सब जानते हैं। इसके अलावा भी शिवजी की पूजा में पत्रकंटक, गंभारी, बहेड़ा, तिंतिणी, गाजर, कैथ, कोष्ठ, धव,मंदती, केवड़ा, जूही, कुंद, शिरीष, कंद, अनार, कदंब, सेमल, सारहीन, और कपास के फूल भी नहीं चढ़ाएं चाहिए।
03:29 PM, 18-Feb-2023
महाशिवरात्रि में मनोकामनापूर्ति के लिए बनाएं ये शिवलिंग
दही से बना शिवलिंग: दही निर्मित शिवलिंग की पूजा करने से धन, यश की प्राप्ति होगी।
पीतल या कांसा के शिवलिंग: कांसा या पीतल के निर्मित शिवलिंग की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पार्थिव(मिट्टी) शिवलिंग: पार्थिव शिवलिंग बना के पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।
गुड़ से बने शिवलिंग: इस प्रकार की शिवलिंग की पूजा करने से प्रेम संबंध प्रगाढ़ होते हैं।
जौ या चावल या आटे से निर्मित शिवलिंग: इसका निर्माण करके पूजा करने से वैवाहिक रिश्ते सुख समृद्ध होंगे।
भस्म से बना शिवलिंग: भस्म निर्मित शिवलिंग का निर्माण कर पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
03:11 PM, 18-Feb-2023
महाशिवरात्रि पर करें पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ
शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम्
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम:शिवाय॥1॥
मंदाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथ महेश्वराय।
मण्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै मकाराय नम:शिवाय॥2॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय बृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नम:शिवाय॥3॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नम:शिवाय॥4॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नम:शिवाय॥5॥
पञ्चाक्षरिमदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥6॥
02:45 PM, 18-Feb-2023
Mahashivratri: महाशिवरात्रि के उपाय
जीवन में यश और समृद्धि के लिए आज महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर गन्ने के रस और घी से अभिषेक करें।
02:09 PM, 18-Feb-2023
Mahashivratri: शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर
शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि बहुत ही प्रिय होती है। इस कारण से हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि मासिक शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। लेकिन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है इस दिन शिवलिंग प्रगट हुआ और भगवान शिव संग माता पार्वती का विवाह हुआ था।
01:38 PM, 18-Feb-2023
Mahashivratri: महाशिवरात्रि पर सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में होती है भारी भीड़
आज महाशिवरात्रि के अवसर पर देश के सभी मंदिरों में भारी भीड़ एकत्रित हुई है। जिसमें से शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में खास तरह का पूजा-पाठ का आयोजन किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव इन सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में स्वयं महादेव ज्योति पुंज के रूप में विराजमान है। ये 12 ज्योतिर्लिंगों इस प्रकार है। सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमाशंकर, विश्वेश्वर (विश्वनाथ), त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घुष्मेश्वर।
12:49 PM, 18-Feb-2023
महाशिवरात्रि पर क्या हैं मान्यताएं
माना जाता है कि जब कुछ नहीं था अर्थात सृष्टि के आरंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान ब्रह्मा के शरीर से भगवान शंकर रुद्र रुप में प्रकट हुए थे। कई स्थानों पर यह भी माना जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह भी इसी दिन हुआ था। इसलिये महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों एवं भगवान शिव के उपासकों का एक मुख्य त्योहार है। ऐसा भी माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने, व्रत रखने और रात्रि जागरण करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं एवं उपासक के हृद्य को पवित्र करते हैं। मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान शिव की सेवा में दान-पुण्य करने व शिव उपासना से उपासक को मोक्ष मिलता है।
12:29 PM, 18-Feb-2023
महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप
शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप इस दिन करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।
12:08 PM, 18-Feb-2023
भगवान शिव की आराधना प्रदोषवेला में करना शुभ
भगवान शिव की चतुर्दशी तिथि और प्रदोष काल में पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष कि चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है किन्तु फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। भगवान शिवजी की पूजा-आराधना प्रदोषकाल में करना बहुत ही शुभ माना जाता है। त्रयोदशी तिथि का अंत और चतुर्दशी तिथि के आरम्भ का संधिकाल ही इनकी परम अवधि है। सुबह और शाम के संधिकाल को प्रदोषकाल कहा जाता है।
11:44 AM, 18-Feb-2023
Shivratri: महाशिवरात्रि 2023 पूजा सामग्री
- शिव जी की तस्वीर या छोटा शिवलिंग, बेलपत्र
- भांग
- धतूरा
- मदार पुष्प, फूलों की माला
- शमी के पत्ते
- कमल और सफेद फूल
- गंगाजल, महादेव के लिए वस्त्र
- गाय का दूध, दही, शक्कर
- जनेऊ, चंदन, केसर, अक्षत्
11:24 AM, 18-Feb-2023
Mahashivratri: महाशिवरात्रि व्रत के पारण का मुहूर्त
महाशिवरात्रि व्रत पारण का मुहूर्त कल यानी 19 फरवरी 2023 को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से शाम 3 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।
11:15 AM, 18-Feb-2023
Mahashivratri: भगवान शिव के हाथों में क्यों है त्रिशूल और डमरू
भगवान शिव जी का स्वरूप बहुत ही निराला और अनोखा है। शिवजी के श्रृंगार में त्रिशूल का विशिष्ट स्थान है। त्रिशूल प्रतीक है भौतिक,दैविक और आध्यात्मिक धाराओं का और साथ ही साथ शक्ति का भी। त्रिशूल के तीन शूल क्रमशः सत,रज और तम गुण से प्रभावित भूत,भविष्य और वर्तमान का द्योतक हैं।त्रिशूल के माध्यम से युग-युगांतर में सृष्टि के विरुद्ध सोचने वाले राक्षसों का संहार किया है। डमरू उस अनहद नाद का घोतक है जिसकी आकांक्षा सभी को रहती है।
10:50 AM, 18-Feb-2023
Mahashivratri: शिवलिंग पर क्यों नहीं चढ़ाते तुलसी ?
आज भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आराधना का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। भगवान शिव को जल, गंगाजल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूध, दही और घी अर्पित किया जाता है। लेकिन हिंदू धर्म में सबसे पवित्र चीज मानी जाने वाली तुलती को अर्पित करना वर्जित माना गया है। आखिर क्यों ? इसके पीछे वजह है कि भगवान शिव ने तुलती के पति शंखचूड़ राक्षस का वध कर दिया था इस कारण से शिवजी की पूजा में तुलती के पत्ते नहीं अर्पित करते हैं।
10:39 AM, 18-Feb-2023
Mahashivratri: आज कैसे करें शिवलिंग का रुद्राभिषेक ?
हिंदू धर्म में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। शिललिंग का अभिषेक करते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- रुद्राभिषेक करते समय दिशा का ध्यान देना बहुत ही जरूर होता है। रुद्राभिषेक में भक्त का मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए।
- सबसे पहले गंगाजल शिवलिंग को चढ़ाएं और अभिषेक करते हुए शिवजी के मंत्रों का लगातार जाप करें।
- आपको अभिषेक के दौरान शिवजी के विभिन्न मंत्रों जैसे महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र, रुद्र मंत्र और ऊं नम:शिवाय का जाप करें।
- गंगाजल से अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर गन्ने का रस, शहद ,दूध, दही और बेल पत्र अर्पित करें।
- फिर इसके बाद शिवलिंग के ऊपर चंदन का लेप लगाएं और सभी तरह की पूजा चीजें चढ़ाएं।