क्या आपने कभी सोचा है कि अगर हमारे पास फोटोकॉपी मशीन नहीं होती तो हमारी जिंदगी कैसी होती? आज हम एक पन्ने की सैकड़ों फोटोकॉपी महज चंद मिनटों में पा जाते हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है कि दुनिया की पहली फोटोकॉपी मशीन कैसी थी? तो चलिए आज हम आपको दुनिया की पहली फोटोकॉपी मशीन से जुड़ी कुछ मजेदार बातों के बारे में बताते हैं।
दो दोस्तों की मेहनत से बना जेरॉक्स 914
जेरॉक्स 914 दुनिया की सबसे पहली फोटोकॉपी मशीन है। इसकी कहानी कुछ ऐसी है कि इसे साल 1959 में चेस्टर कार्लसन ने बनाया था। उनके इस आविष्कार में उनके इंजीनियर दोस्त ऑटो कॉरनेई ने भी उनकी मदद की थी।
कैसे पड़ा जेरॉक्स 914 नाम?
अब आप सोच रहे होंगे कि दुनिया की सबसे पहली फोटोकॉपी मशीन का नाम जेरॉक्स 914 क्यों पड़ा? तो इसका जवाब इसके फीचर में छिपा है। यह मशीन 9 इंच/14 इंच (229 मिलीमीटर × 356 मिलीमीटर) की साइज तक वाले कागजों की कॉपी कर सकती थी।
एक मिनट में सात कॉपियां
जेरॉक्स 914 में एक मिनट में सात कॉपियां निकाली जा सकती थीं। वहीं, यह मशीन महीने भर में एक लाख कॉपियां निकाल सकती थी।
कीमत के कारण किराए पर ली जाती थी मशीन
इस मशीन की कीमत इतनी ज्यादा थी कि कंपनी ने ग्राहकों को इसे खरीदने के बजाए किराए पर लेने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1965 में एक मशीन को किराए पर लेने के लिए ग्राहकों को 95 अमेरिकी डॉलर देना पड़ता था। उस समय इस मशीन की कीमत 27,500 डॉलर थी। ऐसे में साफ था कि इसे खरीद पाना चंद लोगों के लिए ही मुमकिन था।
आग लगने का खतरा
शुरुआती दौर में सबसे बड़ा खतरा इसके आग लगने का था। दरअसल जब लोगों ने इस मशीन को इस्तेमाल करना शुरू किया तब उन्होंने देखा कि यह मशीन बहुत ज्यादा गर्म हो जाती है। यही कारण था कि उन दिनों मशीन में आग लगने की घटनाएं काफी सामने आने लगीं।
जेरॉक्स 914 के साथ आग बुझाने की मशीन
जेरॉक्स 914 के गर्म होने और आग लगने की आशंका को देखते हुए शुरुआती दौर में कंपनी इसके साथ आग बुझाने के लिए एक छोटी सी मशीन भी देती थी।
लोगों की पहली पसंद
गर्म होने और आग लगने के बावजूद यह मशीन लोगों के लिए किसी वरदान या अजूबे से कम नहीं थी। यही कारण था कि इसकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती ही चली गई।
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर हमारे पास फोटोकॉपी मशीन नहीं होती तो हमारी जिंदगी कैसी होती? आज हम एक पन्ने की सैकड़ों फोटोकॉपी महज चंद मिनटों में पा जाते हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है कि दुनिया की पहली फोटोकॉपी मशीन कैसी थी? तो चलिए आज हम आपको दुनिया की पहली फोटोकॉपी मशीन से जुड़ी कुछ मजेदार बातों के बारे में बताते हैं।
दो दोस्तों की मेहनत से बना जेरॉक्स 914
जेरॉक्स 914 दुनिया की सबसे पहली फोटोकॉपी मशीन है। इसकी कहानी कुछ ऐसी है कि इसे साल 1959 में चेस्टर कार्लसन ने बनाया था। उनके इस आविष्कार में उनके इंजीनियर दोस्त ऑटो कॉरनेई ने भी उनकी मदद की थी।
कैसे पड़ा जेरॉक्स 914 नाम?
अब आप सोच रहे होंगे कि दुनिया की सबसे पहली फोटोकॉपी मशीन का नाम जेरॉक्स 914 क्यों पड़ा? तो इसका जवाब इसके फीचर में छिपा है। यह मशीन 9 इंच/14 इंच (229 मिलीमीटर × 356 मिलीमीटर) की साइज तक वाले कागजों की कॉपी कर सकती थी।
एक मिनट में सात कॉपियां
जेरॉक्स 914 में एक मिनट में सात कॉपियां निकाली जा सकती थीं। वहीं, यह मशीन महीने भर में एक लाख कॉपियां निकाल सकती थी।
कीमत के कारण किराए पर ली जाती थी मशीन
इस मशीन की कीमत इतनी ज्यादा थी कि कंपनी ने ग्राहकों को इसे खरीदने के बजाए किराए पर लेने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1965 में एक मशीन को किराए पर लेने के लिए ग्राहकों को 95 अमेरिकी डॉलर देना पड़ता था। उस समय इस मशीन की कीमत 27,500 डॉलर थी। ऐसे में साफ था कि इसे खरीद पाना चंद लोगों के लिए ही मुमकिन था।
आग लगने का खतरा
शुरुआती दौर में सबसे बड़ा खतरा इसके आग लगने का था। दरअसल जब लोगों ने इस मशीन को इस्तेमाल करना शुरू किया तब उन्होंने देखा कि यह मशीन बहुत ज्यादा गर्म हो जाती है। यही कारण था कि उन दिनों मशीन में आग लगने की घटनाएं काफी सामने आने लगीं।
जेरॉक्स 914 के साथ आग बुझाने की मशीन
जेरॉक्स 914 के गर्म होने और आग लगने की आशंका को देखते हुए शुरुआती दौर में कंपनी इसके साथ आग बुझाने के लिए एक छोटी सी मशीन भी देती थी।
लोगों की पहली पसंद
गर्म होने और आग लगने के बावजूद यह मशीन लोगों के लिए किसी वरदान या अजूबे से कम नहीं थी। यही कारण था कि इसकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती ही चली गई।