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आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर भले ही राम मंदिर को लेकर साकारात्मक पहल का दावा कर रहे हों, लेकिन साधु संत समाज को उन्हें लेकर गहरा रोष है। राम जन्मभूमि आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डा. राम विलास वेदांती के अनुसार
श्री श्री रविशंकर का हिन्दू धर्म से क्या लेना-देना। वह न तो धर्म गुरू हैं और न ही वेद, योग, शा , पुराण के बारे में जानते हैं।
डा. वेदांती का कहना है कि वह कौन होते हैं
राम मंदिर बनवाने में पहल करने की। वह तो झोली बाबा हैं, अयोध्या में राम मंदिर के बहाने के दुनिया भर में फैले अपने एनजीओ के धनोपार्जन की रोटी सेंकने आए हैं। वेदांती का कहना है कि वह प्रयास भले करें, लेकिन हमें उनकी मध्यस्थता मंजूर नहीं है।
पढ़ें- राम मंदिर: श्रीश्री बोले- अभी और वक्त लगेगा, ओवैसी का जवाब- 'देश को कर रहे गुमराह'
दिल्ली में महरौली स्थित प्राचीन योगशक्ति पीठ के प्रमुख रसायनी बाबा का भी कहना है कि श्री श्री न तो विष्णु से ताल्लुक रखते हैं और न ही उन्हें शिव का ज्ञान हैं। वह कारपोरेट बाबा हैं। त्याग, तपस्या, धर्म, कर्म से उनका कोई लेना-देना नहीं है। रविशंकर को राम मंदिर बनाने के लिए मध्यस्थता में पड़ने का मतलब ही नहीं समझ में आता। रसायनी बाबा का कहना है कि साधु संत समाज रविशंकर को स्वीकार नहीं करेगा।
डा. वेदांती का कहना है कि अयोध्या में रामजन्मभूमि का निर्माण राम जन्मभूमि न्यास करेगा। जहां राम लला विराजमान हैं, वहीं मंदिर बनेगा और इसके इर्द-गिर्द किसी भी तरह की कोई मस्जिद हमें स्वीकार्य नहीं है। वेदांती का कहना है कि राम मंदिर बनाने का निर्णय राम जन्मभूमि न्यास, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, भाजपा और साधु संत समाज के लोगों करेंगे। इस मंदिर का निर्माण देश की जनता की आंकाक्षाओं और उसकी श्रद्धा के अनुरुप होगा। इसमें हमें किसी रविशंकर की जरूरत नहीं है।
वेदांती ने कहा कि लाठी, गोली हमने खाई, आंदोलन साधु संत समाज, जनता ने किया। सबकुछ हमने झेला ये अंत में मंदिर बनवाने श्री श्री रविशंकर कहां से आ गए। वह भी आध्यात्म गुरू बनकर। वेदांती का कहना है कि रविशंकर आध्यात्म गुरू कब से हो गए। वहीं रसायनी बाबा ने कहा कि वह प्रचार गुरू हैं। दिल्ली में यमुना नदी के किनारे अपना पाखंड फैलाकर जो रविशंकर ने किया उसे भुलाया नहीं जा सकता। रसायनी बाबा ने कहा कि यह काम साधु का नहीं है कि वह नदी के किनारे की सभ्यता, उसके श्रोत से ऐसा खिलवाड़ करे।
डा. राम विलास वेदांती का कहना है कि शिया समुदाय अयोध्या में राम मंदिर के निकट मस्जिद निर्माण नहीं चाहते। शिया समुदाय की लखनऊ में बहुतायत में आबादी है। वह लखनऊ में ही भव्य मस्जिद चाहते हैं। वेदांती ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख रिजवी इससे सहमत हैं।
इसलिए मंदिर का निर्माण उच्चतम न्यायालय द्वारा आने वाले निर्णय के बाद आपसी सहमति से किया जाएगा। वेदांती ने कहा कि इस दिशा में पहल चल रही है। इसमें निर्मोही अखाड़ा, अखाड़ा परिषद रामजन्मभूमि न्यास के महंत नृत्य गोपालदास, रामदास, धर्मदास सब अपने स्तर से प्रयास कर रहे हैं।
19 नवंबर को महत्वपूर्ण घोषणा
डा. वेदांती ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर रहा है। यह याचिका मंजूर होने के बाद 19 नवंबर को लखनऊ में महत्वपूर्ण घोषणा होगी। इसमें शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख रिजवी, अखाड़ा परिषद, महंत नृत्य गोपालदास, धर्मदास, रामदास समेत सभी कई धर्माचार्य होंगे। यह घोषणा राम मंदिर के निर्माण की दिशा में काफी अहम होगी।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उ.प्र. के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद श्री श्री रविशंकर के प्रयास से उत्साहित नहीं हैं। अयोध्या से जुड़े सूत्र बताते हैं कि राममंदिर आंदोलन में योगी आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैद्यनाथ ने बड़ी भूमिका निभाई थी। इस आंदोलन, आयोध्या और राम जन्मभूमि से योगी का भावनात्मक लगाव भी जुड़ा है। माना यह जा रहा है कि श्री श्री से योगी आदित्यनाथ बहुत संभलकर मिले थे।
आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर भले ही राम मंदिर को लेकर साकारात्मक पहल का दावा कर रहे हों, लेकिन साधु संत समाज को उन्हें लेकर गहरा रोष है। राम जन्मभूमि आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डा. राम विलास वेदांती के अनुसार
श्री श्री रविशंकर का हिन्दू धर्म से क्या लेना-देना। वह न तो धर्म गुरू हैं और न ही वेद, योग, शा , पुराण के बारे में जानते हैं।
डा. वेदांती का कहना है कि वह कौन होते हैं
राम मंदिर बनवाने में पहल करने की। वह तो झोली बाबा हैं, अयोध्या में राम मंदिर के बहाने के दुनिया भर में फैले अपने एनजीओ के धनोपार्जन की रोटी सेंकने आए हैं। वेदांती का कहना है कि वह प्रयास भले करें, लेकिन हमें उनकी मध्यस्थता मंजूर नहीं है।
पढ़ें- राम मंदिर: श्रीश्री बोले- अभी और वक्त लगेगा, ओवैसी का जवाब- 'देश को कर रहे गुमराह'
दिल्ली में महरौली स्थित प्राचीन योगशक्ति पीठ के प्रमुख रसायनी बाबा का भी कहना है कि श्री श्री न तो विष्णु से ताल्लुक रखते हैं और न ही उन्हें शिव का ज्ञान हैं। वह कारपोरेट बाबा हैं। त्याग, तपस्या, धर्म, कर्म से उनका कोई लेना-देना नहीं है। रविशंकर को राम मंदिर बनाने के लिए मध्यस्थता में पड़ने का मतलब ही नहीं समझ में आता। रसायनी बाबा का कहना है कि साधु संत समाज रविशंकर को स्वीकार नहीं करेगा।
रामलला विराजमान के पास मस्जिद मंजूर नहीं
राम मंदिर
- फोटो : self
डा. वेदांती का कहना है कि अयोध्या में रामजन्मभूमि का निर्माण राम जन्मभूमि न्यास करेगा। जहां राम लला विराजमान हैं, वहीं मंदिर बनेगा और इसके इर्द-गिर्द किसी भी तरह की कोई मस्जिद हमें स्वीकार्य नहीं है। वेदांती का कहना है कि राम मंदिर बनाने का निर्णय राम जन्मभूमि न्यास, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, भाजपा और साधु संत समाज के लोगों करेंगे। इस मंदिर का निर्माण देश की जनता की आंकाक्षाओं और उसकी श्रद्धा के अनुरुप होगा। इसमें हमें किसी रविशंकर की जरूरत नहीं है।
वेदांती ने कहा कि लाठी, गोली हमने खाई, आंदोलन साधु संत समाज, जनता ने किया। सबकुछ हमने झेला ये अंत में मंदिर बनवाने श्री श्री रविशंकर कहां से आ गए। वह भी आध्यात्म गुरू बनकर। वेदांती का कहना है कि रविशंकर आध्यात्म गुरू कब से हो गए। वहीं रसायनी बाबा ने कहा कि वह प्रचार गुरू हैं। दिल्ली में यमुना नदी के किनारे अपना पाखंड फैलाकर जो रविशंकर ने किया उसे भुलाया नहीं जा सकता। रसायनी बाबा ने कहा कि यह काम साधु का नहीं है कि वह नदी के किनारे की सभ्यता, उसके श्रोत से ऐसा खिलवाड़ करे।
शिया भी नहीं चाहते अयोध्या में मस्जिद
Yogi- Sri Sri
- फोटो : PTI
डा. राम विलास वेदांती का कहना है कि शिया समुदाय अयोध्या में राम मंदिर के निकट मस्जिद निर्माण नहीं चाहते। शिया समुदाय की लखनऊ में बहुतायत में आबादी है। वह लखनऊ में ही भव्य मस्जिद चाहते हैं। वेदांती ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख रिजवी इससे सहमत हैं।
इसलिए मंदिर का निर्माण उच्चतम न्यायालय द्वारा आने वाले निर्णय के बाद आपसी सहमति से किया जाएगा। वेदांती ने कहा कि इस दिशा में पहल चल रही है। इसमें निर्मोही अखाड़ा, अखाड़ा परिषद रामजन्मभूमि न्यास के महंत नृत्य गोपालदास, रामदास, धर्मदास सब अपने स्तर से प्रयास कर रहे हैं।
19 नवंबर को महत्वपूर्ण घोषणा
डा. वेदांती ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर रहा है। यह याचिका मंजूर होने के बाद 19 नवंबर को लखनऊ में महत्वपूर्ण घोषणा होगी। इसमें शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख रिजवी, अखाड़ा परिषद, महंत नृत्य गोपालदास, धर्मदास, रामदास समेत सभी कई धर्माचार्य होंगे। यह घोषणा राम मंदिर के निर्माण की दिशा में काफी अहम होगी।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उ.प्र. के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद श्री श्री रविशंकर के प्रयास से उत्साहित नहीं हैं। अयोध्या से जुड़े सूत्र बताते हैं कि राममंदिर आंदोलन में योगी आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैद्यनाथ ने बड़ी भूमिका निभाई थी। इस आंदोलन, आयोध्या और राम जन्मभूमि से योगी का भावनात्मक लगाव भी जुड़ा है। माना यह जा रहा है कि श्री श्री से योगी आदित्यनाथ बहुत संभलकर मिले थे।