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Wayanad By-Election not announced for Rahul's Lok Sabha seat, know how the political equation of Wayanad is
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Wayanad By-Election: राहुल की लोकसभा सीट पर क्यों नहीं हुआ उपचुनाव का एलान, कैसे हैं वायनाड के सियासी समीकरण?
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Wed, 29 Mar 2023 02:55 PM IST
राहुल की सदस्यता जाने के बाद अब वायनाड की सीट खाली हो गई है। ऐसे में कहा जा रहा है कि जल्द ही इस सीट पर भी उपचुनाव हो सकते हैं। सवाल ये भी है कि नियम क्या कहता है? अगर उपचुनाव हुए तो कांग्रेस के टिकट पर कौन चुनाव लड़ेगा? आइए समझते हैं...
चुनाव आयोग ने बुधवार को कर्नाटक विधानसभा चुनावों का एलान कर दिया। इस दौरान आयोग ने हाल ही में खाली हुई केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनावों का एलान नहीं किया गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस सीट से सांसद थे। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द हो चुकी है। राहुल ने 2019 में केरल के वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव जीता था। राहुल की सदस्यता जाने के बाद अब वायनाड की सीट खाली हो गई है। हालांकि, पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट के साथ ही तीन राज्यों की चार विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव की तारीखों का एलान जरूर हुआ।
भले ही आज वायनाड उपचुनाव का एलान नहीं हुआ, लेकिन कहा जा रहा है कि आगे चुनाव आयोग इसका एलान कर सकती है। सवाल ये भी है कि नियम क्या कहता है? आखिर क्यों अभी आयोग ने उप-चुनाव का एलान नहीं किया? आगे अगर उपचुनाव हुए तो कांग्रेस के टिकट पर कौन चुनाव लड़ेगा? आइए समझते हैं...
पहले जानिए वायनाड सीट के बारे में
वायनाड लोकसभा सीट केरल में पड़ती है। 2009 में ये सीट अस्तित्व में आई थी। 2008 में परीसीमन के बाद इसे लोकसभा सीट के रूप में घोषित किया गया। यहां पर पहली बार 2009 में चुनाव हुए। पहले चुनाव में ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई ) कैंडिडेट एडवोकेट एम. रहमतुल्ला को कांग्रेस उम्मीदवार एमआई शनावास ने लगभग 1,53,439 वोटों से हराया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने ही बाजी मारी। कांग्रेस उम्मीदवार शनावास ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सीपीआई उम्मीदवार पीआर सत्यन मुकरी को 20,870 वोटों से मात दी थी। वायनाड सीट केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक तीनों प्रांतों को जोड़ने वाला क्षेत्र हैं और तीनों ही प्रांत कांग्रेस के प्रभाव वाले क्षेत्रों में आते हैं।
वायनाड छोड़कर यहां होंगे उपचुनाव
चुनाव आयोग के मुताबिक, पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट पर 10 मई को चुनाव होगा और 13 मई को नतीजे आएंगे। ओडिशा की झारसुगुड़ा विधानसभा सीट, उत्तर प्रदेश की छानबे और स्वार विधानसभा सीट और मेघालय की सोहियोंग विधानसभा सीट पर भी इन्हीं तारीखों पर चुनाव होगा।
क्यों अभी उपचुनाव का एलान नहीं हुआ?
वायनाड सीट पर उपचुनाव का एलान न करने पर चुनाव आयोग का बयान आया है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा, 'एक सीट खाली होने पर उपचुनाव कराने के लिए हमारे पास छह महीने का समय होता है। ट्रायल कोर्ट ने न्यायिक उपाय के लिए राहुल गांधी को 30 दिन का समय दिया है। इसलिए, हम इंतजार करेंगे।'
उपचुनाव के लिए क्या है नियम?
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय कहते हैं, 'लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के तहत चुनाव आयोग को संसद और विधानसभाओं में खाली सीटों पर रिक्ती के छह महीने के भीतर उपचुनाव करवाने का अधिकार है। हालांकि इसमें एक शर्त है कि नवनिर्वाचित सदस्य के लिए एक वर्ष या उससे अधिक का कार्यकाल बचा हो।'
पांडेय बताते हैं कि यहां राहुल गांधी की अयोग्यता के बाद वायनाड सीट 23 मार्च को खाली हो गई थी, ऐसे में धारा 151ए के अनुसार चुनाव आयोग के लिए 22 सितंबर, 2023 तक इस निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव कराना अनिवार्य है। यहां 17वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने में अभी एक साल से ज्यादा का समय बचा है, ऐसे में यहां उपचुनाव अनिवार्य हो जाता है, भले ही निर्वाचित सांसद को बेहद छोटा कार्यकाल मिले।'
...लेकिन फंस सकता है पेंच
ऐसा ही एक मामला लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल से जुड़ा है। एनसीपी नेता मोहम्मद फैजल को हत्या के एक मामले में दस साल की सजा मिली थी। इसके बाद नियम के अनुसार, लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने उपचुनाव की तारीखें भी घोषित कर दी थीं। हालांकि, बाद में उपचुनाव पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी। अब एक बार फिर से केरल हाईकोर्ट के फैसले के बाद फैजल की सदस्यता बहाल कर दी गई है। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी फैजल ने याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई जारी है। ऐसे में राहुल गांधी के मामले में भी उपचुनाव पर पेंच फंस सकता है। अगर चुनाव आयोग इसकी घोषणा करता है, तो चुनाव प्रक्रिया पूरी होने से पहले अदालत द्वारा दोषसिद्धि पर रोक लगाने की स्थिति में मतदान को रद्द करना पड़ सकता है।
अगर चुनाव हुए तो राहुल की जगह कौन लड़ेगा?
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप भंडारी से बात की। उन्होंने कहा, 'केरल की वायनाड सीट काफी अहम है। इसकी सीमाएं तमिलनाडु के अलावा कर्नाटक से भी लगी हैं। कर्नाटक में अभी चुनाव होने हैं। ऐसे में अगर यहां उपचुनाव हुए तो कांग्रेस की तरफ से कोई गांधी परिवार का सदस्य ही यहां से चुनाव लड़ सकता है। प्रियंका गांधी का नाम सबसे आगे चल रहा है। प्रियंका के आने से तमिलनाडु और कर्नाटक तक इसका असर पड़ेगा।'
प्रदीप आगे कहते हैं, 'अगर प्रियंका चुनाव लड़ती हैं तो इससे राष्ट्रीय स्तर पर इसको लेकर बातचीत होगी। इसका फायदा भी कांग्रेस उठा सकती है। हालांकि, कुछ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उपचुनाव होने की स्थिति में स्थानीय नेता को भी टिकट दिया जा सकता है।'
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