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Triangular contest in BJP's bastion Rajkot West, know the expectations of the locals
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Gujarat Election 2022: BJP के गढ़ राजकोट पश्चिम में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला, जानें स्थानीय लोगों की उम्मीदें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदाबाद
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Sat, 26 Nov 2022 08:21 PM IST
सार
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पिछले दो बार के विधायक रहे पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी इस बार चुनाव मैदान में नहीं है। उनकी जगह भाजपा ने दर्शिता पारस शाह को टिकट दिया है। 2012 में नए परिसीमन के बाद इसका नाम राजकोट पश्चिम हो गया।
गुजरात के राजकोट में रोजगार के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं। राजकोट का उद्योग भी जबरदस्त है । यहां के लोग खाने-पीने के शौकीन हैं। राजनीति की बात की जाए तो राजकोट भाजपा का गढ़ रहा है। यहां 1967 से 1975 तक यहां से भारतीय जनसंघ को जीत मिलती रही। 1980 में यहां से कांग्रेस जीती। 1985 से राजकोट-II सीट पर भाजपा ही जीतती रही है। 2012 में नए परिसीमन के बाद इसका नाम राजकोट पश्चिम हो गया।
इस बार त्रिकोणीय है मुकाबला
इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा को कांग्रेस के साथ ही पहली बार आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से भी चुनौती मिल रही है। पिछले दो बार के विधायक रहे पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी इस बार चुनाव मैदान में नहीं है। उनकी जगह भाजपा ने दर्शिता पारस शाह को टिकट दिया है। उनका मुकाबला कांग्रेस के मनसुख कलारिया और आप के दिनेश जोशी से है। पिछली बार विजय रुपाणी ने कांग्रेस की इंद्राणी राजगुरु को 53 हजार से ज्यादा वोट से हराया था।
भले ही विकास के मामले में गुजरात में राजकोट का प्रमुख स्थान है, लेकिन यहां समस्याएं भी कम नहीं है। महंगाई, बेरोजगारी से लोग परेशान हैं। स्थानीय लोग विजय रुपाणी को उम्मीदवार नहीं बनाने की भी शिकायत करते हैं।
इसलिए रंगीला है राजकोट
राजकोट के स्थानीय निवासी दिलुभा गढ़वी का कहना है कि यहां की मानवता की मिसाल कहीं और मिलना मुश्किल है। इंडस्ट्री एरिया की बात करें तो हमारे यहां पर पांच से छह जीआईडीसी है। यहां हर एक प्रांत के लोग आकर रोजी-रोटी कमा रहे है। राजकोट का इन्डस्ट्रीयल एरिया सोमनाथ से शुरू होकर के मेसोडा तक और बाद में सापर-वेरावल, सोमनाथ जीआईडीसी, गुवाडवा, सापर-वेरावल से परवडा तक फैला है।
शिक्षा व्यवस्था की बात करें तो राजकोट में कई सारी यूनिवर्सिटी-कॉलेज और सर्वोदय स्कूल भी मौजूद है। प्रविभा गढ़वी का कहना है कि राजकोट को रंगीला इसलिए कहा जाता है क्योंकि हर एक प्रांत के लोग यहां रहते हैं। समस्याओं की बात करते हुए प्रविभा कहते हैं, ‘महंगाई बहुत बढ़ गई है, व्यापार रोजगार में थोड़ी मंदी है। हमारे जैसे लोगों के बच्चों को स्कूल भेजना ही कठिन हो गया है, क्योंकि फीस भरने के हमारे पास पैसे नहीं होते कि अच्छे स्कूल में बच्चों को भर्ती कर सकें। बिजली के बढ़ते बिल ने अलग से परेशान कर रखा है।’
क्या हैं राजकोट पश्चिम के लोगों की परेशानियां?
अजूभा गढ़वी का कहना है कि राजकोट में ट्रैफिक की समस्या बड़ी है। ओवरब्रिज का काम जारी है इसलिए ट्रैफिक ज्यादा रहता है। पेशे से चालक जयदेव गढ़वी ने कहा कि मेरी आमदनी से घर तो चलता है लेकिन रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल, तेल के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। इस वजह से छोटे आदमी का जीना दुश्वार हो चुका है। चुनाव में अजूभा आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस में मुकाबला बताते हैं। दिलुभा गढ़वी का कहना है कि राजकोट में चुनाव में जो जीतेगा उसकी सरकार तो बनेगी लेकिन मेरा कहने का मतलब यह है कि सरकार बनने के बाद जो बेरोजगार है उनके लिये कुछ करना चाहिये। हम चाहते हैं कि ऐसी सरकार आये जो मजदूर, गरीब, आम आदमी की मदद करे।
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इस बार त्रिकोणीय है मुकाबला
इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा को कांग्रेस के साथ ही पहली बार आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से भी चुनौती मिल रही है। पिछले दो बार के विधायक रहे पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी इस बार चुनाव मैदान में नहीं है। उनकी जगह भाजपा ने दर्शिता पारस शाह को टिकट दिया है। उनका मुकाबला कांग्रेस के मनसुख कलारिया और आप के दिनेश जोशी से है। पिछली बार विजय रुपाणी ने कांग्रेस की इंद्राणी राजगुरु को 53 हजार से ज्यादा वोट से हराया था।
भले ही विकास के मामले में गुजरात में राजकोट का प्रमुख स्थान है, लेकिन यहां समस्याएं भी कम नहीं है। महंगाई, बेरोजगारी से लोग परेशान हैं। स्थानीय लोग विजय रुपाणी को उम्मीदवार नहीं बनाने की भी शिकायत करते हैं।
राजकोट पश्चिम
अमर उजाला
- फोटो : amar ujala
इसलिए रंगीला है राजकोट
राजकोट के स्थानीय निवासी दिलुभा गढ़वी का कहना है कि यहां की मानवता की मिसाल कहीं और मिलना मुश्किल है। इंडस्ट्री एरिया की बात करें तो हमारे यहां पर पांच से छह जीआईडीसी है। यहां हर एक प्रांत के लोग आकर रोजी-रोटी कमा रहे है। राजकोट का इन्डस्ट्रीयल एरिया सोमनाथ से शुरू होकर के मेसोडा तक और बाद में सापर-वेरावल, सोमनाथ जीआईडीसी, गुवाडवा, सापर-वेरावल से परवडा तक फैला है।
शिक्षा व्यवस्था की बात करें तो राजकोट में कई सारी यूनिवर्सिटी-कॉलेज और सर्वोदय स्कूल भी मौजूद है। प्रविभा गढ़वी का कहना है कि राजकोट को रंगीला इसलिए कहा जाता है क्योंकि हर एक प्रांत के लोग यहां रहते हैं। समस्याओं की बात करते हुए प्रविभा कहते हैं, ‘महंगाई बहुत बढ़ गई है, व्यापार रोजगार में थोड़ी मंदी है। हमारे जैसे लोगों के बच्चों को स्कूल भेजना ही कठिन हो गया है, क्योंकि फीस भरने के हमारे पास पैसे नहीं होते कि अच्छे स्कूल में बच्चों को भर्ती कर सकें। बिजली के बढ़ते बिल ने अलग से परेशान कर रखा है।’
क्या हैं राजकोट पश्चिम के लोगों की परेशानियां?
अजूभा गढ़वी का कहना है कि राजकोट में ट्रैफिक की समस्या बड़ी है। ओवरब्रिज का काम जारी है इसलिए ट्रैफिक ज्यादा रहता है। पेशे से चालक जयदेव गढ़वी ने कहा कि मेरी आमदनी से घर तो चलता है लेकिन रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल, तेल के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। इस वजह से छोटे आदमी का जीना दुश्वार हो चुका है। चुनाव में अजूभा आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस में मुकाबला बताते हैं। दिलुभा गढ़वी का कहना है कि राजकोट में चुनाव में जो जीतेगा उसकी सरकार तो बनेगी लेकिन मेरा कहने का मतलब यह है कि सरकार बनने के बाद जो बेरोजगार है उनके लिये कुछ करना चाहिये। हम चाहते हैं कि ऐसी सरकार आये जो मजदूर, गरीब, आम आदमी की मदद करे।
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