गुजरात के सूरत की चार मंजिला इमारत में आग लगने का मंजर दिल दहला देने वाला था। सरथना इलाके की तक्षशिला कांप्लेक्स में शुक्रवार शाम के चार बजे जब आग लगी, उस समय वहां लगभग 60 छात्र तीसरी और चौथी मंजिल पर स्थित कोचिंग क्लास में पढ़ाई कर रहे थे।
15 साल की उर्मिला पटेल दर्जनों बच्चों के साथ आग से बचने के लिए नीचे कूद गई। सभी फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं और उनका इलाज चल रहा है। घटना में 20 लोगों की मौत हो चुकी है। आग लगने के कारणों की स्पष्ट जानकारी नहीं है। लेकिन अधिकारियों का मानना है कि शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी है।
पिछले चार महीने के दौरान यह सूरत के कोचिंग सेंटर में आग की दूसरी घटना है। पीड़िता उर्मिला ने कहा, 'हम चौथी और सबसे ऊपरी मंजिल पर थे। अचानक से वहां आसपास धुआं हो गया। हमें सांस लेने में बहुत परेशानी होने लगी। हम मदद के लिए चिल्लाने लगे। मैंने अपनी मां को फोन किया और वहां मौजूद एकमात्र सीढ़ियों की तरफ भागी। लेकिन सीढ़ियों पर भी आग लग गई थी।'
उन्होंने आगे बताया, 'दूसरों की तरह मैं और मेरे दोस्त कमरे में वापस आ गए। हमारे पास कूदने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था। मैंने दूसरे लोगों को कूदते हुए देखा और उनका अनुसरण किया।' उर्मिला का पीपी सवानी अस्पताल में जांघ, कमर और सिर में लगी चोट का इलाज चल रहा है।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि दमकल की गाड़ियां 45 मिनट देरी से पहुंची। बचाई गई एक लड़की के पिता परेश पटेल ने कहा, 'जब आग लगी मेरी बेटी इमारत के अंदर थी। घटनास्थल से फायर स्टेशन दो किलोमीटर से ज्यादा दूर नहीं है। उन्हें आने में 45 मिनट का समय लगा। मेरी बेटी को बेशक बचा लिया गया है लेकिन वह सदमे में है। 5-6 माता-पिता अपने लापता बच्चों को ढूंढ रहे हैं।'
प्रतीक कंसारा नाम के प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, 'लगभग 22-25 बच्चों को सीढ़ियों के जरिए बचाया गया है जबकि 20 नीचे कूद गए। हमें पता चला है कि इमारत के अंदर 60-70 बच्चे मौजूद थे। हमें आशंका है कि 8-10 बच्चे अभी भी इमारत के अंदर मौजूद हैं।'
कई लोगों की जान बचाने वाले केतन ने कहा, 'वहां सब जगह धुआं था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। मैंने साढ़िया लीं और पहले छात्रों को वहां से जाने में मदद की। जिससे 8-10 लोगों की जान बच गई। बाद मे मैंने दो और बच्चों को बचाया। दमकल की गाड़ियां लगभग 40-45 मिनट बाद आईं।'
राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी लगभग रात के नौ बजे हालात का जायजा लेने के लिए घटनास्थल पहुंचे। उन्होंने कहा, 'अनियमितताओं के मद्देनजर राज्य भर में मौजूद सभी प्रकार के भवन की जांच के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके साथ ही मृतक छात्रों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है।'
गुजरात के सूरत की चार मंजिला इमारत में आग लगने का मंजर दिल दहला देने वाला था। सरथना इलाके की तक्षशिला कांप्लेक्स में शुक्रवार शाम के चार बजे जब आग लगी, उस समय वहां लगभग 60 छात्र तीसरी और चौथी मंजिल पर स्थित कोचिंग क्लास में पढ़ाई कर रहे थे।
15 साल की उर्मिला पटेल दर्जनों बच्चों के साथ आग से बचने के लिए नीचे कूद गई। सभी फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं और उनका इलाज चल रहा है। घटना में 20 लोगों की मौत हो चुकी है। आग लगने के कारणों की स्पष्ट जानकारी नहीं है। लेकिन अधिकारियों का मानना है कि शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी है।
पिछले चार महीने के दौरान यह सूरत के कोचिंग सेंटर में आग की दूसरी घटना है। पीड़िता उर्मिला ने कहा, 'हम चौथी और सबसे ऊपरी मंजिल पर थे। अचानक से वहां आसपास धुआं हो गया। हमें सांस लेने में बहुत परेशानी होने लगी। हम मदद के लिए चिल्लाने लगे। मैंने अपनी मां को फोन किया और वहां मौजूद एकमात्र सीढ़ियों की तरफ भागी। लेकिन सीढ़ियों पर भी आग लग गई थी।'
उन्होंने आगे बताया, 'दूसरों की तरह मैं और मेरे दोस्त कमरे में वापस आ गए। हमारे पास कूदने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था। मैंने दूसरे लोगों को कूदते हुए देखा और उनका अनुसरण किया।' उर्मिला का पीपी सवानी अस्पताल में जांघ, कमर और सिर में लगी चोट का इलाज चल रहा है।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि दमकल की गाड़ियां 45 मिनट देरी से पहुंची। बचाई गई एक लड़की के पिता परेश पटेल ने कहा, 'जब आग लगी मेरी बेटी इमारत के अंदर थी। घटनास्थल से फायर स्टेशन दो किलोमीटर से ज्यादा दूर नहीं है। उन्हें आने में 45 मिनट का समय लगा। मेरी बेटी को बेशक बचा लिया गया है लेकिन वह सदमे में है। 5-6 माता-पिता अपने लापता बच्चों को ढूंढ रहे हैं।'
प्रतीक कंसारा नाम के प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, 'लगभग 22-25 बच्चों को सीढ़ियों के जरिए बचाया गया है जबकि 20 नीचे कूद गए। हमें पता चला है कि इमारत के अंदर 60-70 बच्चे मौजूद थे। हमें आशंका है कि 8-10 बच्चे अभी भी इमारत के अंदर मौजूद हैं।'
कई लोगों की जान बचाने वाले केतन ने कहा, 'वहां सब जगह धुआं था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। मैंने साढ़िया लीं और पहले छात्रों को वहां से जाने में मदद की। जिससे 8-10 लोगों की जान बच गई। बाद मे मैंने दो और बच्चों को बचाया। दमकल की गाड़ियां लगभग 40-45 मिनट बाद आईं।'
राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी लगभग रात के नौ बजे हालात का जायजा लेने के लिए घटनास्थल पहुंचे। उन्होंने कहा, 'अनियमितताओं के मद्देनजर राज्य भर में मौजूद सभी प्रकार के भवन की जांच के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके साथ ही मृतक छात्रों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है।'