सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पराली जलाने की समस्या से संबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश पर अगले हफ्ते विचार करने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कुछ बदलाव के साथ अध्यादेश को बुधवार को कैबिनेट ने अप्रूव कर दिया है और अगले हफ्ते इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रख दिया जाएगा।
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की पीठ वर्ष 2020 में दायर उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पंजाब व हरियाणा सरकार को पराली जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध सुनिश्चित करने का निर्देश देने की गुहार लगाई गई थी। छोटे और मझोले किसानों को पराली को नष्ट करने वाली मशीन मुहैया कराने की मांग की गई थी।
पीठ ने सॉलिसिटर जनरल मेहता की आग्रह पर इस मामले पर अगले हफ्ते सुनवाई करने का निर्णय लिया है। वही याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि अध्यादेश इस उद्देश्य से लाया जा रहा है कि अदालत द्वारा पराली जलाने पर निगरानी रखने के लिए नियुक्त किए गए जज को रोका जा सके। विकास सिंह ने कहा कि सितंबर का महीना आएगा फिर से यह समस्या शुरू हो जाएगी।
मालूम हो कि सॉलिसिटर जनरल ने गत वर्ष अक्टूबर महीने में सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी थी कि केंद्र सरकार पराली जलाने की समस्या के मद्देनजर एक स्थाई निकाय बनाने को लेकर विधान लाने जा रही है। यह कहते हुए सरकार ने पराली जलाने पर निगरानी रखने के लिए जस्टिस मदन बी लोकुर वाली एक सदस्य कमेटी के गठन के आदेश को स्थगित करने की गुहार की थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पराली जलाने की समस्या से संबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश पर अगले हफ्ते विचार करने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कुछ बदलाव के साथ अध्यादेश को बुधवार को कैबिनेट ने अप्रूव कर दिया है और अगले हफ्ते इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रख दिया जाएगा।
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की पीठ वर्ष 2020 में दायर उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पंजाब व हरियाणा सरकार को पराली जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध सुनिश्चित करने का निर्देश देने की गुहार लगाई गई थी। छोटे और मझोले किसानों को पराली को नष्ट करने वाली मशीन मुहैया कराने की मांग की गई थी।
पीठ ने सॉलिसिटर जनरल मेहता की आग्रह पर इस मामले पर अगले हफ्ते सुनवाई करने का निर्णय लिया है। वही याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि अध्यादेश इस उद्देश्य से लाया जा रहा है कि अदालत द्वारा पराली जलाने पर निगरानी रखने के लिए नियुक्त किए गए जज को रोका जा सके। विकास सिंह ने कहा कि सितंबर का महीना आएगा फिर से यह समस्या शुरू हो जाएगी।
मालूम हो कि सॉलिसिटर जनरल ने गत वर्ष अक्टूबर महीने में सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी थी कि केंद्र सरकार पराली जलाने की समस्या के मद्देनजर एक स्थाई निकाय बनाने को लेकर विधान लाने जा रही है। यह कहते हुए सरकार ने पराली जलाने पर निगरानी रखने के लिए जस्टिस मदन बी लोकुर वाली एक सदस्य कमेटी के गठन के आदेश को स्थगित करने की गुहार की थी।